राष्ट्रीय अध्यक्ष का स्वागत एवं उनके विचार का अक्षरशः पालन होगा। जदयू दूसरे राज्यों में चुनाव लडेगा। जदयू को बिहार और अरूणाचल प्रदेश में राज्यस्तरीय पार्टी की मान्यता प्राप्त है। दो और राज्यों में जदयू मजबूती से चुनाव लडेग एवं राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने का प्रयास करेगा। दूसरे दलों के लोगों को पॉलिटिकल कोरोना हो चुका है। उनका भी कोरोना टीका तैयार हो चुका है। जातीय जनगणना की मांग हमारी बहुत पुरानी मांग है। हमारे नेता नीतीश कुमार ने इसे सबसे पहले उठाया था और जोर–शोर से १९९० से इसकी वकालत करते आए हैं। १९३१ में जातीय जणगणना अन्तिम बार हुई थी और उसी के आधार पर आरक्षण की रूप रेखा तैयार हुई थी। ये बातें जदयू के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार‚ अजय आलोक‚ निखिल मंडल एवं अरविन्द निषाद ने संवाददाता सम्मेलन में कहीं। उन्होंने कहा कि जदयू राजग में रहकर कोशिश करेगा कि चुनाव लडे। अगर बात नहीं बनी तो जदयू चुनाव लडने में अकेले सक्षम है। उन्होंने कहा कि १९३१ की जातीय जणगणना के तहत अनुसूचित जाति‚ जनजाति‚ ओबीसी और सामान्य वर्ग का वर्गीकरण किया गया था। आज ९० साल बीत चुके हैं और तमाम जातियां की संरचना बदल गई है। उदाहरण स्वरूप देखिये‚ १९३१ से लेकर १९४५ तक कायस्थ जाति की संख्या नौकरियों में ४३ प्रतिशत थी। आज २०२१ में कायस्थ की नौकरी और सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी एक प्रतिशत है। उसी तरह अन्य जातियो में क्या हुआ और क्या नहीं हुआ यह जानना जरूरी हैं। जो लोग कहते हैं कि समाज में विद्वेष फैलेगा‚ गलत है‚ क्योंकि समाज के हर वर्ग को जानने का अधिकार है कि किस जाति की संख्या कितनी है। सरकार के लिए फायदा यह है कि चाहे केन्द्र की हो या प्रदेश की सरकार हो‚ जाति के आधार पर जानते हुए‚ आर्थिक आधार और शैक्षणिक आधार को जानते हुए सरकारी योजनाओं का तमाम लाभ मिल सके‚ पर हमारे प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी इसी दिशा में तो काम कर रहे हैं । केन्द्र ने तो कहा है कि एसटी‚ एससी की गणना करवाएंगे लेकिन पिछडे‚ अति पिछड़े़ और सामान्य वर्ग की नही करवाएंगे। हमारा यही कहना है कि सबकी गणना करवा लें॥। क्योंकि ९० साल के बाद आज यह जरूरत है ताकि सरकारी योजना का लाभ सबको मिल सके।
कांग्रेस मुख्यालय में चाय-नाश्ता के लिए लोग आते रहते हैं……………
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने बुधवार को कहा कि पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने अपनी...