राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार शुक्रवार को पटना आए। देश और प्रदेश से जुड़े मसले पर पार्टी की राय पर वह खुलकर बोल रहे। वर्तमान संदर्भ से जुड़े ज्वलंत मसलों पर उनसे खास बात की विशेष संवाददाता भुवनेश्वर वात्स्यायन ने।
जाति आधारित जनगणना को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है कि इससे समाज अगड़ा-पिछड़ा में बंट जाएगा। हकीकत इसके उलट है। वर्ष 1931 में जाति आधारित जनगणना हुई थी। उसके बाद समाज के हर वर्ग के लोगों की संख्या बढ़ी है। उनकी जनगणना सभी के लिहाज से महत्वपूर्ण है। यह नकारात्मक सोच है कि बंट जाएगा समाज। सकारात्मक सोच यह है कि समाज के हर तबके के लोगों की गणना हो जाएगी। जब आप करना नहीं चाहते तो कई तर्क हैं। जदयू की तो यह मांग है। हमारे सांसदों ने गृहमंत्री अमित शाह से इसपर बात भी की है। हम अपनी पार्टी की आइडियोलाजी में इसे शामिल कर चुके हैं। समाज के हर तबके के साथ न्याय होना चाहिए।
आप कह रहे कि यूपी चुनाव अकेले भी लड़ने को तैयार है पार्टी?
जदयू चाहता है कि जहां एनडीए की सरकार है वहां हम एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ें। पर अगर बात नहीं बनती है तो हम अकेले लड़ने को भी तैयार हैैं। यूपी और मणिपुर दोनों जगहों के बारे में पार्टी की यही राय है। हमने अरुणाचल प्रदेश में अकेले 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था और अच्छी संख्या में जीते। पार्टी का स्टैैंड पूरी तरह से साफ है।
जनसंख्या नियंत्रण का काम कानून से कतई संभव नहीं है। लोगों को संजय गांधी का जमाना भी याद है। आपातकाल के दौरान नसबंदी करा रहे थे। क्या हुआ था तब? जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाना नसबंदी की तरह है। हमलोग इसके खिलाफ हैं। कानून बनाने से नहीं होने वाला कुछ। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच बेहतर है कि लड़कियों को पढ़ाएं। यह जनसंख्या नियंत्रण में कारगर होगा।
आरसीपी सिंह जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब उन्होंने बूथ स्तर तक पदाधिकारी बनाए। अब जब वह काम पूरा हो गया तो हम अपने कार्यकर्ताओं की बात कर रहे। कार्यकर्ता सक्रिय रहेंगे तभी तो बूथ भी चलेगा।
कार्यकर्ताओं को सम्मान दिए जाने का कोई स्वरूप नहीं होता। आप उनसे मिलते रहिए। उनकी समस्याओं के निदान पर काम कीजिए। कार्यकर्ता यही चाहते हैैं कि कोई उनसे बात करे। यह काम अब शुरू होगा।
विधायिका के लोग अफसरशाही के खिलाफ लगातार शिकायतें करते हैैं, इसका क्या निदान होगा?
यहां भी भ्रम फैलाया जाता है। कार्यपालिका के साथ बेहतर समन्वय रखेंगे तो समस्या नहीं होगी। कार्यपालिका के लोग भी समाज के ही अंग हैैं। वह समाज के बाहर नहीं रहते।