भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीतकर टोक्यो ओलंपिक को भारत के लिए ऐतिहासिक बना दिया. टोक्यो ओलंपिक में भारत ने 7 पदक अपने नाम किए. इसी के साथ भारत ने ओलंपिक इतिहास में टोक्यो सबसे ज्यादा पदक जीतने का रिकॉर्ड बना लिया है. भारत ने इस बार कुल सात मेडल जीते, जिसमें 1 गोल्ड, 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज रहे. इससे पहले देश को 2012 लंदन ओलंपिक में 6 पदक (2 सिल्वर, 4 ब्रॉन्ज) हाथ लगे थे.
बता दें कि टोक्यो में भारत को भाला फेंक में नीरज चोपड़ा ने गोल्ड, वेटलिफ्टर मीराबाई चानू और रेसलर रवि कुमार दहिया ने सिल्वर मेडल दिलाया. वहीं शटलर पीवी सिंधु, रेसलर बजरंग पूनिया. बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन और पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीते. आइए एक नजर डालते हैं खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर
भाला फेंक: नीरज चोपड़ा ने 7 अगस्त को ओलंपिक खेलों की भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर भाला फेंककर दुनिया को स्तब्ध कर दिया. एथलेटिक्स में पिछले 100 वर्षों से अधिक समय में भारत का यह पहला ओलंपिक पदक है. चोपड़ा व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं इससे पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक 2008 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था.
कुश्ती: स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार पहलवान बजरंग पूनिया ने कजाखस्तान के दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से हराकर कुश्ती प्रतियोगिता में पुरुषों के 65 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता. कुश्ती में बजरंग स्वर्ण पदक नहीं जीत पाए, लेकिन वह कांस्य पदक लेकर स्वदेश लौटेंगे. उनके इस पदक से भारत ने कुश्ती में अपने पिछले रिकॉर्ड की बराबरी की. टोक्यो खेलों में रवि दहिया ने कुश्ती में पुरुषों के 57 किग्रा भार वर्ग में रजत पदक जीता. भारत के लिये इससे पहले लंदन ओलंपिक 2012 में कुश्ती में सुशील कुमार ने रजत और योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक हासिल किया था.
बैडमिंटन: स्टार शटलर पीवी सिंधु से बैडमिंटन में गोल्ड मेडल की आस थी, लेकिन उन्हें सेमीफाइनल में चीनी ताइपे की खिलाड़ी ताई जू यिंग के खिलाफ हार मिली. इसके बाद उन्होंने चीन की ही बिंगजियाओ को हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता.
बॉक्सिंग: इस खेल में देश को मैरी कोम से उम्मीद थी, लेकिन मैरी कोम पदक जीतने में नाकाम रही. वहीं पहली बार ओलंपिक खेल रहीं लवलीना बोर्गोहेन ने 69 किलो भार वर्ग की बॉक्सिंग प्रतियोगिता में सेमीफाइनल में पहुंचकर अपना कांस्य पदक पक्का किया. हालांकि उन्हें सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा.
हॉकी: भातीय पुरुष हॉकी टीम 41 साल बाद हॉकी में ओलंपिक का कोई पदक अपने नाम किया. यह ब्रॉन्ज मेडल था. इससे पहले भारत ने आखिरी बार 1980 में मॉस्को ओलंपिक में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था.
वेटलिफ्टिंग: वेलिफ्टर मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक खेलों की शुरुआत में ही भारत के खाते में रजत पदक डाल दिया था. मीराबाई ने 49 किलो भारवर्ग में कुल 202 किलो, 87 किलो स्नैच में और 115 किलो क्लीन एंड जर्क में वजन उठाकर रजत पदक पर अपना कब्जा जमाया.
गोल्फ: भारत को गोल्फ में अदिति अशोक भी पदक दिलाने के करीब पहुंच गयी थी, लेकिन आखिर में उन्हें चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा. लेकिन गोल्फ में अदिति मामूली अंतर से पदक से चूक गयी. वह खराब मौसम से प्रभावित चौथे दौर में तीन अंडर 68 का स्कोर करके चौथे स्थान पर रही. अदिति का कुल स्कोर 15 अंडर 269 रहा.
नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में 7 अगस्त को इतिहास रच दिया. भाला फेंक एथलीट नीरज ने फाइनल मुकाबले में 87.58 मीटर की दूरी के साथ पहला स्थान किया. इसी के साथ नीरज देश के लिए व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी और ‘ट्रैक एंड फील्ड’ में पहले एथलीट बन गए. नीरज से पहले अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक (2008) में स्वर्ण पदक जीता था. अभिनव ने हालांकि यह स्वर्ण निशानेबाजी में जीता था. टोक्यो में नीरज ने जो किया है, वह ऐतिहासिक है क्योंकि इससे पहले भारत को ओलंपिक में एथलेटिक्स इवेंट्स में कभी कोई पदक नहीं मिला. नीरज चोपड़ा के अलावा 86.67 मीटर के साथ चेक गणराज्य के याकुब वाल्देज दूसरे स्थान पर रहे, जबकि उनके ही देश के विटेस्लाव वेसेली को 85.44 मीटर के साथ कांस्य मिला.
जीत के बाद जब नीरज चोपड़ा पोडियम पर गए, तो भारत का राष्ट्रगान बजा. भारत का ध्वज सबसे ऊपर गया और इसी के साथ पूरे देश की आंखे नम हो गईं. लोग अपने इस हीरो को पोडियम के बीचों-बीच देखकर खुशी से फूले नहीं समा रहे थे. मास्क पहने नीरज की आंखों में चमक थी और कुछ हद तक नमी भी.