संसद के मानसून सत्र का तीसरा सप्ताह भी शोर–शराबे और हंगामे की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में कागज फाड़़ने‚ उसके टुकड़े़ हवा में लहराने को लेकर कहा कि विपक्षी सांसद अपने आचरण से संविधान‚ संसद और जनता का अपमान कर रहे हैं। भारत के लिए वर्तमान समय बहुत महत्वपूर्ण है। कोरोना महामारी‚ महंगाई‚ बेरोजगारी‚ भारत–चीन सीमा पर तनाव‚ अफगानिस्तान में तालिबान का बढ़ता हुआ वर्चस्व आदि संकट भारत को घेरे हुए हैं। इन सभी ज्वलंत मुद्दों पर संसद में सार्थक बहस की उम्मीद की जा रही थी लेकिन विपक्ष पेगासस जासूसी कांड की जांच की मांग को लेकर खड़ा हुआ है और संसद चलने नहीं दे रहा है। पत्रकारों‚ नेताओं और कुछ अन्य लोगों पर जासूसी के आरोप प्रथम दृष्टया प्रमाणित नहीं लगते लेकिन लोकतांत्रिक शासन प्रणाली का तकाजा है कि सरकार और उसकी एजेंसियों को पूरी तरह पाक–साफ होना चाहिए। कोईभी जिम्मेदार नागरिक इस बात का विरोध नहीं करेगा कि राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखने के लिए जहां आवश्यक हो वहां ऐसे उपाय किए जाएं‚ लेकिन साथ ही यह भी अपेक्षा है कि उसके लोकतांत्रिक अधिकारों और निजता में कोई दखलंदाजी न की जाए। अब यह सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी बनती है कि पेगासस जासूसी कांड़ के सवाल पर विपक्ष को कैसे मनाती है। लेकिन विपक्ष द्वारा संसद में हंगामा करना‚ शोर–शराबा करना और यहां तक कि मंत्रियों के हाथ से कागज छीन कर हवा में लहराना अशोभनीय है। इस घटना से संसद की मर्यादा का उल्लंघन हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने सत्र शुरू होने के समय ही विपक्ष से कह दिया था कि सरकार उसके हर सवाल का जवाब देगी। सत्ता पक्ष ने संसद की कार्यवाही सुचारू ढंग से चलाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी‚ लेकिन लगता है कि विपक्ष ने संसद न चलने देने की रणनीति अपनाई है। विपक्ष जिस तरह संसद की कार्यवाही नहीं चलने दे रहा है‚ उसका संदेश अच्छा नहीं जा रहा है। पहले भी ऐसा होता रहा है। ऐसा लगता है कि संसद में हंगामा और शोर–शराबा करके सदन की कार्यवाही ठप करने वाले राजनीतिक दल और उनके नेताओं को आम जनता जब तक चुनावों में दंडि़त नहीं करेगी‚ तब तक संसद हंमामे और शोर–शराबे की भेंट चढ़ती रहेगी। संसद मेंे गतिरोध की राजनीति लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है।
CAA के खिलाफ दायर याचिकाओं पर SC में आज सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में आज (19 मार्च) नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। कानून पर...