जाति आधारित जनगणना के समर्थन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपनी राय स्पष्ट की है। उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना सभी लोगों के हित में है। जातीय जनगणना हो जायेगी‚ तो समाज में सभी तबके के लोगों को संतोष होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास अपने संसाधन से इसे कराने का विकल्प खुला है।
सोमवार को ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में जाति आधारित जनगणना के मुद्े पर बिहार में भाजपा के साथ मतभेद को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा‚ ‘मैं इस बात को मानने को तैयार नहीं हूं। हमने बातचीत तो की ही है। हम सब ने एक साथ मिलकर काम किये हैं‚ इसलिए हम ऐसा नहीं मानते हैं।’ बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों से जाति आधारित जनगणना कराने के लिए सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग हो सकते हैं। यह उनका व्यक्तिगत विचार हो सकता है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा‚ ‘आज कल क्या हो गया है कुछ लोग बोलते हैं‚ उसी के ऊपर सारी बातें चली जाती हैं।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय जनगणना को लेकर बिहार विधानमंडल से वर्ष २०१९–२० में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा गया था। इसको लेकर हमलोग हमेशा अपनी बात को रखते रहे हैं‚ लेकिन इस बार विपक्ष की तरफ से एक सुझाव आया है कि सबलोगों को मिलकर प्रधानमंत्री से अपनी बात कहनी चाहिए। विपक्षी दलों के नेता हमसे मिले और हमने इस पर अपनी सहमति दी। इस संबंध में कई दलों के लोगों से बातचीत हो चुकी है और उनके हिसाब से भाजपा को भी इस बात के लिए इंटिमेट किया जा चुका है। क्या करना है और क्या नहीं करना है‚ ये तो केंद्र सरकार के ऊपर निर्भर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जाति आधारित जनगणना कराये जाने से समाज में खुशी होगी। इससे समाज में सभी तबके के लोगों को संतोष होगा। जाति आधारित जनगणना कराये जाने का विचार कई राज्य रखते हैं‚ कितने राज्यों से इसके लिए कहा भी जा रहा है‚ लेकिन इस पर यह नहीं समझा जाये कि यह जनगणना कराने से किसी जाति को अच्छा लगेगा या किसी को खराब लगेगा। ये सभी के हित में है। यदि जातीय जनगणना को लेकर समाज में किसी प्रकार का डिस्टर्वेंस होने की आशंका होती‚ तो विधानमंडल में सभी दल इसका समर्थन नहीं करते। उन्होंने कहा कि एक बार जातीय जनगणना हो जायेगी‚ तो अच्छा होगा। इससे एक–एक चीज की जानकारी मिलेगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इजराइली सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिये विपक्ष के नेताओं‚ कुछ न्यायाधीशों और पत्रकारों की जासूसी कराये जाने के मामले की जांच की मांग की है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि फोन टैपिंग से जुडे सभी पहलुओं की जांच होनी चाहिये‚ ताकि सच्चाई बाहर आ सके। ॥ मुख्यमंत्री ने कहा कि आजकल तकनीक का दुरुपयोग कर कौन क्या कर लेगा‚ यह कोई नहीं जानता। इसलिए जरूरी है कि इन सब चीजों पर पूरे तौर पर एक एक बात को देख करके उचित कदम उठाया जाये। मेरी समझ में इस मामले की जांच होनी चाहिए‚ लेकिन क्या हुआ है या नहीं हुआ है‚ यह मुझे नहीं पता। संसद में कुछ लोग बोल रहे हैं और समाचार–पत्रों में भी इस मामले में खबरें आ रही हैं‚ जिन्हें मैं देख रहा हूं। उन्होंने कहा कि यदि कोई किसी के फोन को अपने ढंग से सुन रहा है या कुछ कर रहा है या कब्जा कर रहा है‚ तो यह पता लगना चाहिए।
जनता दल (यूनाइटेड़) के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंड़ल ने जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर पार्टी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ललन सिंह के नेतृत्व में गृहमंत्री अमित शाह से सोमवार को मुलाकात की। सत्तारूढ़ दल भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक जद (यू) ने शनिवार को अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस मुद्दे पर प्रस्ताव पारित किया था। ललन सिंह ने कहा कि बिहार विधानसभा ने जाति के आधार पर जनगणना कराने के लिए २०१९ और २०२० में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था और अब केंद्र सरकार को अंतिम निर्णय लेना है। उन्होंने कहा कि शाह ने आश्वासन दिया कि इस पर चर्चा की जाएगी। बिहार में भाजपा के कुछ नेताओं ने इस तरह के कदम के खिलाफ आपत्ति व्यक्त की है‚ इस बारे में पूछे जाने पर सिंह ने दावा किया कि वह उनके रुख से वाकिफ नहीं हैं‚ लेकिन उन्होंने कहा कि भाजपा ने भी विधानसभा में प्रस्ताव का समर्थन किया था। जद(यू) सांसदों के प्रतिनिधिमंड़ल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए पीएमओ से समय मांगा था‚ लेकिन शाह से मिलने के लिए कहा गया।