बिहार विधान मंड़ल के दोनों सदनों में गुरुवार को बिहार के महालेखाकार (सीएजी) की वर्ष २०१८–१९ की रिपोर्ट सदन पटल पर रखी गयी। रिपोर्ट में सरकार की विफलताओं की पोल खोल कर रख दी गयी है। विधान मंड़ल में रिपोर्ट पेश करने के बाद बिहार के महालेखाकार रामावतार शर्मा ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि प्रमुख राजस्व शीषोंर् के अंतर्गत ३१ मार्च २०१९ को बकाया राजस्व ४१०७. ३२ रुपये करोड था‚ जिसमें से ५२१. ०७ करोड पांच वर्षों से अधिक समय से लंबित था। सामान्य हिस्से में वर्ष २०१८–१९ के लिए बिहार सरकार की कुल प्राप्तियां रुपये १‚३१‚७९३. ४५ करोड थीं‚ जिसमें से राज्य सरकार द्वारा अपने स्रोतों से सृजित राजस्व ३३‚५३८. ७० करोड रुपये यानी २५. ४५ प्रतिशत था। केन्द्र सरकार से प्राप्त हिस्सा ९८‚२५४. ७५ करोड रुपये कुल प्राप्तियों का ७४. ५५ प्रतिशत था जिसमें संघीय करों में राज्य का हिस्सा ७३‚६०३.१३ करोड रुपये (कुल प्राप्तियों का ५५. ८५ प्रतिशत) तथा सहायता अनुदान रुपये २४‚६५१. ६२ करोड (कुल प्राप्तियों का १८. ७० प्रतिशत) समाविष्ट थे। लेखा परीक्षा ने ६२९ मामलों में कुल रुपये ३‚६५८.११ करोड के राजस्व की हानि का पता लगाया। संबंधित विभागों ने १‚६४८ मामलों में १३३६. ६५ करोड रुपये स्वीकृत किया।
उन्होंने बताया कि बताया गया कि टैक्स वसूली में कॉमर्शियल टैक्स विभाग ने जुर्माना वसूलने में भारी शिथिलता बरती है। सीएजी ने पाया कि तीन व्यवसायी से ५.६४ करोड रुपये की टैक्स चोरी का पता नहीं लगा सका। वहीं‚ रिपोर्ट में कहा गया कि दस साल में ६४ फीसद सीमा चौकियां मुख्य सडक से नहीं जुडी जिससे सशस्त्र सीमा बल की गतिशीलता पर प्रभाव पड़़ रहा है। भारत–नेपाल सीमा सडक बनाने में सरकार सुस्त रही। २७५९. २५ एकड भूमि के विरुद्ध २४९७. ६४ एकड भूमि का अधिग्रहण हुआ। पुल निर्माण पर ९२८. ७७ करोड रुपये खर्च हुए।
उन्होंने बताया कि मनरेगा‚ भूमिहीन आकस्मिक मजदूरों के पंजीकरण में सुधार करने की जरूरत है। ६०.८८ लाख भूमिहीन मजदूरों के सवæक्षण में से मात्र ३. ३४ फीसद मजदूरों का जॉब कार्ड बने। १ फीसदी से भी कम लोगों को जॉब कार्ड मिले। २२ हजार ६७८ इच्छुक परिवारों में से १४६ को जॉब कार्ड मिले। २०१४–१९ की अवधि में मात्र नौ से १४ फीसदी रजिस्टर्ड विकलांग लोगों को और ९ फीसदी वरिष्ठ नागरिकों को जॉब मिला। जबकि वर्ष २०१४ से १९ के बीच मंदी समय में २६ से ३६ फीसदी लोगों ने रोजगार की मांग की पर मिला मात्र ९ फीसदी लोगों को रोजगार। १०० दिनों की मजदूरी मांगने वाले परिवारों में से मात्र १ फीसदी लोगों को रोजगार मिला। २२–२४ फीसदी रजिस्टर्ड लोगों में से १९ से ५९ फीसदी लोगों को १० से १५ दिनों का रोजगार मिला। निजी मकानों पर भी मनरेगा से काम हुए। निजी जमीन पर काम हुए। कुछ ऐसे मकान बनाये गए जिनमें काम नहीं हो रहे।
पौधरोपण में गड़़बड़़ी से १६४.९८ करोड बर्बाद
रिपोर्ट में बताया गया कि पौधारोपण में भी भारी गडबडी हुई है। ऑफ सीजन पौधरोपण से ज्यादातर पेड सूख गए। पौधरोपण में ढीले–ढाले रवैया के कारण १६४. ९८ करोड रुपये बर्बाद हुए। सीएजी ने कहा की महादलितों के लिए सामुदायिक भवन ९१६ में से १४७ पूरे हुए। जनवरी २०२० तक पूरे हुए हैं। बाकी ६०८ भवन का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुए। वर्ष २०१६–१९ के दौरान यह आंकडा है। वहीं अभियंता प्रमुख के आदेश का उल्लंघन गया और मानपुर पथ प्रमंडल कार्यपालक अभियंता ने किया। इसकी वजह से २. ७३ करोड रुपये का अधिक खर्च हुआ। अभियंता प्रमुख ने सडक निर्माण के लिए स्टोन चिप्स मानपुर से लाने को कहा था‚ जबकि कार्यपालक अभियंता ने कोडरमा से स्टोन चिप्स मंगवाया। ३८ किलोमीटर की बजाय १०० किलोमीटर दूर से स्टोन चिप्स मंगाया गया।
उन्होंने बताया कि ३१ मार्च २०१९ को सार्वजनिक उपक्रमों की अंश पूंजी ३६१२२. २० करोड रुपये और ८८००. ५१ करोड रुपये ऋण था। कुल निवेश ४४९२२. ७१ करोड रुपये है। परिवहन विभाग की ओर से खेल किया गया और सुल्तान पैलेस की अपनी ही जमीन और मकान के लिए खर्च कर दिए २५९ करोड रुपये॥। इसी तरह निबंधन विभाग ने बिहार निबंधन नियमावली‚ २००८ में सेवा प्रभार के संग्रहण से संबंधित अवैध प्रावधान किया‚ जिसके परिणाम स्वरूप न केवल हितधारकों पर वित्तीय बोझ डालकर २०१८–१९ के दौरान रुपये ३१. ७३ करोड के सेवा प्रभार का संग्रहण किया गया अपितु इनको राज्य की समेकित निधि के बदले बैंक खाते में जमा किया गया। खनन पदाधिकारी ‘ एम’ एवं ‘ एन’ फार्म के बिना प्रस्तुत कार्य संवेदकों के विपत्र का भुगतान नहीं होना सुनिश्चित करने में विफल रहे एवं वे कार्य संवेदकों अनधिकृत स्रोतों से खरीदे गए खनिज के लिए रुपये ४६. ४२ करोड अर्थदण्ड आरोपण में भी विफल रहे। इट मौसम २०१७–१८ और २०१८–१९ के दौरान २६० ईंट भटो का परिचालन बिना वैध परमिट के किया गया। परिणामस्वरूप रॉयल्टी एवं अर्थदण्ड से रुपये ३. ८५ करोड की वसूली नहीं की गयी।