बिहार विधानसभा में मंगलवार को विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया. दोपहर 2 बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो विपक्ष ने विधायकों की पिटाई का मसला उठाते हुए सदन में इस पर चर्चा की मांग रखी. विधानसभा अध्यक्ष इस मांग को पहले ही खारिज कर चुके हैं. विपक्ष ने इस मुद्दे पर वॉक आउट कर दिया है. राजद, कांग्रेस और वाम दल के नेता सदन से निकले. इस मानसून सत्र में वो सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे, जब तक विधानसभा अध्यक्ष इस पर चर्चा को तैयार नहीं होते है.
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि सोमवार को हमलोग अध्यक्ष महोदय से मिलकर विपक्षी दलों ने आग्रह किया था कि 23 मार्च की घटना पर बहस हो. बिहार सरकार के मंत्री सब कुछ विधानसभा अध्यक्ष के मत्थे फोड़ दिया, लेकिन सब कुछ नीतीश कुमार की मर्जी से हो रहा है. विधानसभा अध्यक्ष नीतीश कुमार की कठपुतली बन कर रह गए हैं. अब हमलोगों ने निर्णय लिया कि जहां जनप्रतिनिधियों का सम्मान नहीं होगा, जहां कुछ लोग विधानसभा को जागीर समझ रखे हैं, वहां हम नहीं जाएंगे. पूरे विधानसभा के मानसून सत्र में हमलोग सदन का बहिष्कार करेंगे. अगर उस मुद्दे पर बहस नहीं हुई तो हम सदन में जाने को तैयार नही हैं.
आपको बता दें कि ये पहली बार नहीं है, जब बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और उनकी सरकार पर निशाना साधा है, इससे पहले कई बार वे नीतीश कुमार को घेर चुके हैं. पिछेल दिनों तेजस्वी ने मुख्यमंत्री को चुनौती देते हुए कहा कि उनसे अगर बिहार नहीं संभल रहा है तो उनको कुर्सी छोड देना चाहिए. राजद (RJD) बताएगी कि कैसे इस कोरोना काल में लोगों को मदद पहुंचाई जाती है. तेजस्वी यादव ने कहा था कि सरकार राजद के लोगों को अस्पतालों की वास्तविकता, समीक्षा और जायजा लेने की अनुमति दे. उन्होंने नीतीश कुमार से कहा कि ‘अगर सरकार नहीं संभल रही तो कुर्सी छोड़ दीजिए. हमें मौका दीजिये. हम दिखाएंगे की काम कैसे होता है.
तेजस्वी ने सरकार को पूरी तरह असफल बताते हुए कहा था कि अस्पताल में डॉक्टर नहीं है, दवा का अभाव है मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है. अगर आरजेडी, बेड-दवा और ऑक्सीजन सभी की व्यवस्था कर भी दे तो डॉक्टर और नर्स की बहाली करना तो सरकार का काम है. उन्होंने कहा था कि कोरोना के दूसरी लहर की शुरुआत में सर्वदलीय बैठक में हमने 30 सुझाव रखे थे, लेकिन सरकार ने एक भी सुझाव नहीं माना. उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि चार साल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके एक भी पत्र का जवाब नहीं दिया.