कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों पर केंद्र सरकार के जवाब से विपक्ष भड़क गया है. संसद के मानसून सत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण कुमार द्वारा ‘ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं’ का लिखित बयान देने के बाद सियासी हलचल तेज है. शिवसेना सांसद संजय राउत ने इस बयान पर गहरी नाराजगी जताई है और कहा है कि ऐसे झूठे बयान देने पर सरकार के खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए. वही इस मुद्दे को लेकर संसद में आम आदमी पार्टी विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में है. वहीं, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस मसले पर तल्ख टिप्पणी की है.
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस संकट काल में सरकार ने देश को अनाथ छोड़ दिया था. सरकार को पता ही नहीं था कि क्या हो रहा है. AAP इस मुद्दे पर संसद में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करेगी.
उधर समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में राउत ने कहा, “मैं अवाक हूं. ऑक्सीजन की कमी से अपनों को खोने वाले इस बयान को सुनकर उनके परिवारों पर क्या बीत रही होगी? सरकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए. सरकार झूठ बोल रही है.”
बता दें कि कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने मंगलवार को संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में सवाल पूछा था कि क्या कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बहुत सारे कोविड मरीज़ों ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से दम तोड़ दिए? इसके लिखित जवाब में नव नियुक्त केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण कुमार ने कहा, “स्वास्थ्य राज्य का विषय है. मौत की रिपोर्ट की विस्तृत जानकारी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्वास्थ्य मंत्रालय को रेगुलर बेसिस पर मुहैया कराते हैं. राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों की रिपोर्ट के मुताबिक देश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है.”
केंद्रीय मंत्री के इस जवाब से विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस ने सरकार के जवाब की तीखी आलोचना की है और कहा कि सरकार अंधी और असंवेदनशील है. कांग्रेस सांसद वेणुगोपाल ने राज्यमंत्री की गलतबयानी के लिए उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. बता दें कि कोरोना माहामारी की दूसरी लहर के दौरान देशभर के अस्पतालों में बेड, दवाई और ऑक्सीजन की भारी किल्लत हुई थी, जिसकी वजह से सैकड़ों मरीजों की मौत हो गई.
वही दिल्ली के स्वास्थ्यमंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा की अप्रैल-मई महीने में जब कोरोना की लहर आई तब ऑक्सीजन की बहुत किल्लत रही. कई अस्पतालों से ऐसी रिपोर्ट आई थी कि वहां पर ऑक्सीजन खत्म हो गई और जिसकी वजह से कई मौत हुई यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था. दिल्ली सरकार ने इसका निश्चित आंकड़ा पता करने के लिए और इनको मुआवजा देने के लिए एक समिति बनाई थी, जिसका काम था कि जो भी ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई है उनका पता करें और उनको ₹5 लाख तक का मुआवजा दें. इस समिति को केंद्र सरकार ने एलजी के माध्यम से भंग करा दिया. अगर वह समिति काम करती है तो सही आंकड़ा भी सामने आ जाता. हाई कोर्ट के अंदर उस समय अलग-अलग अस्पताल खुद जा रहे थे और यह कह रहे थे कि हमारे यहां ऑक्सीजन खत्म हो गई है. हमको ऑक्सीजन दिलवाओ. सुप्रीम कोर्ट ने इसमें दखल दिया इसकी वजह से दिल्ली में खासतौर से हजारों लोगों की जान बच गई. अगर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दखल नहीं देते तो बहुत भयावह स्थिति हो सकती थी. केंद्र सरकार उन लोगों के जले पर नमक ना छिड़के जिनके घर मौत हुई है. कल को केंद्र सरकार यह भी कह सकती है कि कोरोना कभी आया ही नहीं .
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार के उस दावे पर सवाल उठाए हैं, जिसमें कहा गया है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई. प्रियंका गांधी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कई आरोप लगाए.
प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, ‘”ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई”: केंद्र सरकार. मौतें इसलिए हुईं क्योंकि महामारी वाले साल में सरकार ने ऑक्सीजन निर्यात 700% तक बढ़ा दिया. क्योंकि सरकार ने ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट करने वाले टैंकरों की व्यवस्था नहीं की. एंपावर्ड ग्रुप और संसदीय समिति की सलाह को नजरंदाज कर ऑक्सीजन उपलब्ध कराने का कोई इंतजाम नहीं किया. अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने में कोई सक्रियता नहीं दिखाई.”
बता दें कि मंगलवार को राज्यसभा में सरकार से सवाल पूछा गया था कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से कितने मरीजों की मौत हुई ? जिस पर सरकार ने जवाब दिया कि ऑक्सीजन की वजह से एक भी मौत नहीं हुई.
राज्यसभा में सरकार ने क्या कहा?
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारें आंकड़े देती है, हम कंपाइल करके उसे छापते हैं. केंद्र सरकार की इससे ज्यादा कोई भूमिका नहीं होती इस जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने ये भी साफ कर दिया कि स्वास्थ्य व्यवस्था राज्यों के अधिकार क्षेत्र का मुद्दा है. राज्यों ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट में ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत का जिक्र नहीं किया. मतलब ये कि विपक्ष के सवालों की जवाबदेही केंद्र सरकार ने राज्यों पर डाल दी. सवाल ये भी है कि राज्यों ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई मौतों का आंकड़ा केंद्र को क्यो नहीं दिया ?