बिहार की राजनीति में इस सवाल की चर्चा जोरों पर है कि जेडीयू में क्या कुछ बड़ा होने वाला है? जेडीयू की 31 जुलाई को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होनी है. माना जा रहा है इस बैठक नए अध्यक्ष के नाम पर मुहर भी लग सकती है. बिहार में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रहे जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद उनकी अध्यक्ष की कुर्सी खतरे में पड़ती नजर आ रही है.
क्या बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर कोई नया चेहरा विराजमान होगा ? ये सवाल बिहार की राजनीति में लगातार पूछा जा रहा है और इसका उत्तर जल्दी ही मिलने की संभावना है. 31 जुलाई को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है. माना जा रहा है कि बैठक का मुख्य उद्देश्य पार्टी के लिए नए अध्यक्ष का चुनाव करना है. इस पद के लिए पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा सबसे प्रबल उम्मीदवार बताए जा रहे हैं.
पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष आर सी पी सिंह को हाल ही में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में इस्पात मंत्री बनाया गया है. माना जा रहा है कि पार्टी के ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति के मद्देनज़र आर सी पी सिंह अध्यक्ष का पद छोड़ेंगे जिसके बाद नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी. 18 जुलाई को हुई पार्टी की एक बैठक में आर सी पी सिंह ने कहा था कि वो मंत्री और अध्यक्ष का पद एक साथ संभालने में सक्षम हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अगर पार्टी उन्हें अध्यक्ष पद से हटने को कहेगी तो भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी.
उसी बैठक में नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा की जमकर तारीफ़ की थी जिससे उन्हें अध्यक्ष बनाए जाने की अटकलें तेज़ हो गई हैं. दरसअल कुशवाहा को अध्यक्ष पद बनाकर नीतीश कुमार सामाजिक समीकरण भी साधना चाहते हैं. नीतीश कुमार कुर्मी जाति से आते हैं और उपेंद्र कुशवाहा कोइरी जाति से. इन दोनों जातियों को बिहार में लव कुश के नाम से जाना जाता है जिसकी संख्या क़रीब 8-10 फ़ीसदी मानी जाती है.
आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिलने के बाद से ही पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है. रविवार को जेडीयू के नवमनोनीत प्रदेश पदाधिकरियों की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह ने जरूर भाग लिया, लेकिन कई वरिष्ठ नेता बैठक से दूरी भी बना ली. आरसीपी सिंह ने एक बयान में कहा, “पार्टी तय करेगी तो मैं अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी मजबूत साथी को देने में पीछे नहीं हटूंगा. संगठन है तभी पार्टी है, तभी मैं मंत्री और हमारे नेता मुख्यमंत्री हैं.”
उपेंद्र कुशवाहा के नाम की चर्चा जोरों पर
इधर, जेडीयू के अगले अध्यक्ष को लेकर उपेंद्र कुशवाहा के नाम की चर्चा जोरों पर है. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के जेडीयू में विलय के बाद कुशवाहा का पार्टी में प्रभाव बढ़ता जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि इससे आरसीपी सिंह का खेमा नाराज है.
पार्टी की 31 जुलाई को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक होने वाली है. सभी की नजर अब उस बैठक पर टिक गई है. इस बैठक में पार्टी के सभी 75 सदस्यों को शामिल होने की संभावना है. कहा जा रहा है कि इस दिन पार्टी के नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दी जाएगी. जेडीयू के एक नेता भी कहते हैं कि “पार्टी का अध्यक्ष वहीं होगा, जो नीतीश कुमार के भरोसे का होगा और संगठन को बढ़ाने और मजबूत करने का अनुभव होगा. ऐसे में कुशवाहा का नाम सबसे आगे माना जा रहा है. कुशवाहा न केवल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसे के व्यक्ति माने जाते है, उन्हें संगठन चलाने का भी अनुभव है.”
कहा जा रहा है कि कुशवाहा को पार्टी का अध्यक्ष बनाकर नीतीश जातीय समीकरण भी दुरूस्त करना चाहेंगे. वैसे, मुंगेर के सांसद ललन सिंह को भी जेडीयू का अध्यक्ष बनाकर नीतीश एक खास वर्ग को खुश करने की जुगत लगा सकते हैं. ललन सिंह भी नीतीश के काफी करीबी माने जाते है.
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पुरानी पार्टी और ओवैसी समेत कुछ अन्य पार्टियों का गठजोड़ कर कई उम्मीदवार उतारे थे. उनमें से कुछ उम्मीदवारों ने अच्छे खासे वोट बटोरे जिनमें ज़्यादातर कोइरी समाज से ही आए थे. उसके कुछ ही महीने बाद कुशवाहा ने अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय कर दिया.