राज्य के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि कुलपतियों और प्राचार्यों के हाथों में बिहार का भविष्य है। बिहार में मेधा की कमी नहीं है। बिहारी मेधा को सिर्फ ज्ञान और विज्ञान की दिशा देने की जरूरत है। शिक्षा ही विकास की रीढ़ है और उसे मजबूत करने की जवाबदेही आप लोगों को दी गई है। आप लोग जो भी अनुशंसा करेंगे, उन्हें तेजी से लागू किया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने ये बातें प्रदेश के शैक्षणिक विकास की योजना बनाने के लिए गठित पांचों समितियों के विशेषज्ञ कुलपतियों और प्राचार्यों को संबोधित करते हुए कहीं।
उन्होंने कहा कि आप लोगों की अनुशंसा ऐसी हों जो धरातल पर उतारने योग्य हों। उन्होंने कुलपतियों से आग्रह किया कि दूरदराज के कॉलेजों में जा कर आप लोग खुद शैक्षणिक गुणवत्ता का निरीक्षण कीजिए। व्यवस्थाएं खुद ही सुधरने लगेंगी।
शोध कार्य बढ़ाने की जरूरत
विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने कहा कि प्रदेश की उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में शोध की बहुत कमी है। शोध कार्य बढ़ाने की आवश्यकता है। खुले और दूरस्थ शिक्षण संस्थाओं को प्रोत्साहित करें , ताकि उच्च शिक्षा को विस्तार दिया जा सके। प्रति लाख आबादी के हिसाब से रिसर्च को बढ़ाने का मानदंड किया जाना चाहिए।
बिहार को शीर्ष क्रम में स्थान बनाना है
बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. कामेश्वर झा ने समितियों से कहा कि प्रदेश के शैक्षणिक विकास को गति देने की आवश्यकता है। समितियों को अपनी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय सर्वेक्षण में बिहार को शीर्ष क्रम में स्थान बनाना है। इसलिए इस दिशा में ऐसी अनुशंसा की जाए कि उसका परिणाम निकल सकें। डॉ. झा ने कहा कि विश्वविद्यालयों के शोध केंद्रों को विकसित करने के लिए प्रभावी कदम उठाना चाहिए।
समितियां छोटे-छोटे प्रतिवेदन भी दें
शिक्षा विभाग के सचिव असंगबा चुबा आओ ने कहा कि समितियों को चाहिए कि वह अपने छोटे-छोटे प्रतिवेदन भी दें, ताकि उन्हें प्रभावी तौर पर निरंतर लागू किया सके। असंगबा ने समितियों को बताया कि शैक्षणिक विकास में आपकी कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है। बैठक में गुणवत्ता निश्चय समिति, शैक्षणिक सुधार समिति, IT व ICT कार्यान्वयन समिति, नवीन शिक्षा समिति, नैक समिति एवं विज्ञान एवं तकनीकी समिति के पदाधिकारी उपस्थिति हुए।