उच्चतम न्यायालय बिहार के दो दशक पुराने सेनारी नरसंहार कांड़ में 14 लोगों को बरी करने के पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया। जहानाबाद जिले के सेनारी गांव में माओवादी संगठनों ने इस घटना में 34 लोगों की हत्या कर दी थी। न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने मामले में बरी किये गये सभी लोगों को राज्य सरकार की अपील पर नोटिस जारी किये हैं। बिहार सरकार ने अधिवक्ता अभिनव मुखर्जी के मार्फत उच्च न्यायालय के 21 मई के आदेश को चुनौती दी है। राज्य सरकार ने अपील में कहा है कि प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही पर विचार नहीं किया गया। अपील में कहा गया है‚‘अभियोजन के मामले को कुल २३ गवाहों का समर्थन मिला था‚ जिनमें तीन १३ प्रत्यक्षदर्शी थे‚ जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया था। इन १३ में तीन घायल प्रत्यक्षदर्शी थे। यह जिक्र करना जरूरी है कि किसी भी आरोपी ने तारीख‚ समय‚ स्थान या वहां मौजूदगी के तरीके का विरोध नहीं किया था लेकिन कानून और साक्ष्य का गलत अर्थ निकाले जाने के आधार पर वे अब तक निर्दोष हैं।’ इसमें कहा गया है कि उच्च न्यालयय का निष्कर्ष साक्ष्यों के और शीर्ष अदालत द्वारा विभिन्न सिद्धातों पर घोषित कानून के विपरीत था। अपील में कहा गया है कि उच्च न्यायालय का आदेश सरकार की दलील और आरेापियों को दोषी साबित करने के निचली अदालत के फैसले पर विचार करने में नाकाम रहा था। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा नवंबर २०१६ में आरोपियों को दोषी करार दिये जाने के फैसले के खिलाफ अपील स्वीकार की थी। निचली अदालत ने दोषियों को विभिन्न अवधि की कैद की सजा सुनाई थी।
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