बेहद कम और नपा-तुला बोलने, अनुशासन के पाबंद राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पार्टी में अपने अक्खड़ मिजाज के लिए जाने जाते हैं. लेकिन, पिछले कुछ दिनों से वे पार्टी में असहज दिख रहे हैं. उनकी ये असहता लालू के बड़े लाल से रिश्तों की वजह से है.
दरअसल, राजद के 25वें स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर तेजप्रताप ने जो कुछ कहा उससे यह बवाल उत्पन्न हो गया.इसके पहले भी तेज प्रताप ने कई बार जगदानंद की सार्वजनिक रूप से फजीहत कर चुके हैं. इसके बाद शुक्रवार को उनके इस्तीफे की चर्चाएं सामने आईं, हालांकि राजद ने इससे इंकार किया. लेकिन जगदानंद की इसपर चुप्पी चर्चाओं को बल दिया. अब सवाल यह है कि इस मामले पर लालू प्रसाद क्या करेंगे.
ताजा विवाद तेज प्रताप यादव ने एक मसले पर दल के नेताओं को हाथ उठाने को कहा. उनकी इस अपील पर मंच पर बैठे कई नेताओं ने हाथ नहीं उठाया, लेकिन तेज ने खास तौर पर जगदा पर निशाना साधते हुए कहा- लगता है अंकल अभी भी नाराज हैं… . उनके इस बयान के बाद बगल में बैठे श्याम रजक ने जगदानंद का हाथ जबर्दस्ती उठवा दिया. तेज प्रताप ने बिना किसी का नाम लिये मंच से ही प्रदेश नेतृत्व को खूब खरी-खोटी सुनाई. उन्होंने कहा कि कुछ लोग उन्हें आगे बढ़ता नहीं देखना चाहते हैं.
उन्होंने खुद की उपेक्षा किए जाने और पीछे धकेलने का आरोप लगाया. यही कारण है कि कुछ महीने पहले तेज प्रताप ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव की जेल से रिहाई के लिए पोस्टकार्ड अभियान शुरू किया था. इस दौरान भी उन्होंने एक दिन प्रदेश कार्यालय में जमकर जगदानंद पर हमला किया था. उन्होंने कहा था कि जगदानंद उनके अभियान में रुचि नहीं ले रहे और तो और उनके प्रदेश दफ्तर में आने पर अपने चैंबर से बाहर तक नहीं निकले.
दरअसल, तेज प्रताप को यह मलाल रहता है कि उन्हें उनके पिता की पार्टी में छोटे भाई तेजस्वी की तरह सम्मान नहीं मिलता. यह बात वह पहले साफ तौर पर भी जाहिर कर चुके हैं. पोस्टकार्ड अभियान के मसले पर भी घेरा था. तेजस्वी के साथ जगदानंद का बेहतर तालमेल है.पिछली बार जब तेज प्रताप की सार्वजनिक बयानबाजी से जगदानंद आहत हुए थे तब तेजस्वी बंद कमरे में उनसे मुलाकात कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की थी.
इस्तीफे की खबर के बाद आनन-फानन में मीडियाकर्मी दौड़े-दौड़े आरजेडी कार्यालय पहुंचे. जब मीडियाकर्मियों ने उनसे पूछा कि क्या आपने इस्तीफा दे दिया है, तो वह कुछ भी बोलने से बचते रहे. न तो उन्होंने इस्तीफे की खबर की पुष्टि की और न ही इस खबर का खंडन ही किया. जाहिर है जगदा बाबू जैसे कद्दावर नेता का कुछ भी टिप्पणी न करना एक कन्फ्यूजन तो जरूर पैदा कर रहा था. राजद के ही अंदरूनी सूत्रों से जगदानंद सिंह के इस्तीफे की जो बातें सामने आई थीं, उसके अनुसार सियासत की पारखी नजरों को कुछ हद तक सच्चाई दिख रही थी. जगदा बाबू कुछ बोल नहीं रहे थे, लेकिन मीडियाकर्मियों से यह भी कह रहे थे कि आप स्वतंत्र हैं, जो छापना है छापिये. उनका चेहरा बता रहा था कि वह किसी मुक्ति का एहसास कर रहे हैं.
डैमेज कंट्रोल करने दिल्ली पहुंचे तेजस्वी
जगदा बाबू के इस्तीफे की खबर फैल जाने के पीछे बड़ी वजह तेजस्वी का अचानक दिल्ली जाना भी रहा. कहा गया कि तेजस्वी के पास जगदा बाबू का इस्तीफा पहुंच गया था. उन्होंने लालू यादव को भी इस्तीफा भेज दिया था. लेकिन, उनका त्यागपत्र स्वीकार नहीं किया गया. तेजस्वी के बारे में यही जानकारी आई कि वह डैमेज कंट्रोल करने दिल्ली चले गए.
लालू यादव के प्रति बेहद लॉयल हैं जगदा बाबू
खबरों में कितनी सच्चाई है यह तो लालू प्रसाद, जगदानंद सिंह और तेजस्वी यादव बेहतर जानते हैं. लेकिन सियासी सूत्र यही बता रहे हैं कि तेजस्वी डैमेज कंट्रोल करने में कामयाब रहे और लालू को आगे कर एक बार फिर जगदा बाबू को यू-टर्न लेने पर मजबूर कर दिया. सभी जानते हैं कि बिहार की सियासत में जगदानंद बाबू उन चंद नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें सभी दल अपने साथ लाना चाहते हैं. बताया जाता है कि सीएम नीतीश कुमार भी कई बार उन्हें जदयू में लाने की कोशिश कर चुके हैं. लेकिन, लालू यादव के प्रति उनकी लॉयल्टी में कभी कमी नहीं आई.
जगदा बाबू हैं ‘ए टू जेड’ सियासत का फेस
ऐसे तो जगदानंद सिंह अपने अक्खड़ मिजाज की वजह से भी जाने जाते हैं. बेहद अनुशासन पसंद हैं और बोलते भी बेहद कम हैं. राजद की बदलती सियासत (सर्वसमाज को साथ लाने की) को संवारने के लिए लालू ने उन पर जो जिम्मेदारी सौंपी है, उसके सबसे बड़े जगदा बाबू ही हैं. जगदानंद सिंह को आगे कर राजद सर्वसमाज की राजनीति करने का जो दावा करता है, उसके लिए सबसे मुफीद चेहरा हैं.
अपने करीबियों को नहीं खोना चाहते लालू
बीते चुनाव में एनडीए को नेक टू नेक तक की फाइट तक पहुचाने का श्रेय भी जगदानंद सिंह के ही नाम माना जाता है. राजद की ‘ए टू जेड’ (सर्वसमाज) राजनीति के पीछे भी जगदा बाबू का फेस अहम माना जाता है. ऐसे में लालू यह कदापि नहीं चाहते कि जगदा बाबू से उनका साथ छूटे. ऐसे भी अंत समय में रघुवंश बाबू से जुदा होना लालू यादव के लिए बड़ा धक्का साबित हुआ. यह लालू अपने करीबी को खोकर कितने आहत हैं वह उनके वर्तमान चेहरे को देखकर भी समझा जा सकता है.
जगदानंद सिंह-तेज प्रताप के असहज रिश्ते
कहा जाता है कि राजद के 25वें स्थापना दिवस समारोह में जिस तरह से तेज प्रताप यादव ने सार्वजनिक तौर पर जगदा बाबू के साथ के बारे में टिप्पणी की, वह उससे भी आहत हैं. हालांकि तेज प्रताप यादव ने नाराजगी की इन बातों का पूर्ण खंडन किया है. लेकिन अंदर की खबर यही है कि तेज प्रताप यादव और जगदानंद सिंह के रिश्ते सामान्य तौर पर सहज नहीं हैं और यह कई बार सार्वजनिक स्थानों पर भी सामने दिख जाता है.
तेज प्रताप अक्सर जगदा बाबू पर लगाते हैं आरोप
कुछ दिन पहले ही तेज प्रताप यादव ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव की जेल से रिहाई के लिए जो पोस्ट कार्ड अभियान शुरू किया था, इस दौरान उन्होंने जगदानंद सिंह पर निशाना साधा था. तेज प्रताप ने कहा था कि जगदानंद बाबू उनके अभियान में रुचि नहीं ले रहे हैं. जगदा बाबू पर उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि उनके आने पर वे चैंबर से बाहर तक नहीं निकलते. उस वक्त भी जगदा बाबू को ठेस पहुंची थी.
तेजस्वी ने लालू यादव से जगदा बाबू को फोन करवाया
हालांकि पिछली बार जगदानंद बाबू और तेजस्वी यादव के बेहतर तालमेल की वजह से मामला निपट गया था. माना जाता है कि जगदा बाबू ने भी अनुभव का परिचय देते हुए तेज प्रताप की नादानी को क्षमा कर दिया था, लेकिन इस बार वह बेहद आहत महसूस कर रहे थे. ऐसे में तेजस्वी से मामला संभला नहीं और उनको लालू यादव को आगे करना पड़ा. वे दिल्ली गए और लालू जी से जगदा बाबू को फोन करवाया.
लालू ने भावुक होकर जब जगदा बाबू से ये कहा…
सूत्र यही बताते हैं कि लालू यादव ने जगदानंद बाबू से कुछ ऐसी बातें कहीं जिसके बाद जगदा बाबू कुछ भी जवाब देने की स्थिति में नहीं रह गए, और लालू की बात उनको माननी पड़ी. सूत्र बताते हैं कि लालू ने जगदानंद सिंह से यही कहा कि आप अभिभावक हैं, बच्चों को संभालना आपका काम है. और अब मेरा भी अंतिम समय है. अंत समय में आप भी छोड़ जाएंगे तो लालू तो नहीं बचेगा. तेजस्वी को आपके मार्गदर्शन की बहुत आवश्यकता है.
लालू के इमोशनल कार्ड से थम गया सियासी भूचाल
लालू यादव ने जगदानंद सिंह से यहां तक कहा कि आप राजद दफ्तर जाएं और वहां से मुझे वीडियो कॉल करें कि आप कार्यालय में हैं. तब जगदानंद सिंह भी लालू की बात काट नहीं सके और उन्हें दफ्तर जाना पड़ा. तभी मीडियाकर्मी भी पहुंचे. जाहिर है बिहार की सियासत में शुक्रवार के दिन जो भूचाल आने वाला था, वह लालू के इमोशनल कार्ड ने थाम लिया.