जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को मोदी कैबिनेट में जगह दी गई है। आरसीपी सिंह फिलहाल इस्पात मंत्रालय संभालेंगे। इन सबके बीच अगर देखा जाए खबर जदयू में नाराजगी की भी आ रही है। माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह को केंद्र में मंत्री बनना राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को रास नहीं आ रहा है। ललन सिंह लोकसभा में जदयू के संसदीय दल के नेता हैं। माना जा रहा है कि ललन सिंह की नाराजगी को कम किया जा सकता है। इसी को लेकर मंत्री पद की शपथ लेने के बाद जब आरसीपी सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने इशारों ही इशारों में बड़ी बात कह दी।
आरसीपी सिंह से बार-बार यह सवाल किया गया कि ललन सिंह मंत्री क्यों नहीं बने? आरसीपी सिंह को भी शायद इसी सवाल का इंतजार था। उन्होंने तुरंत कहा आप लोग सुबह से यह सवाल पूछ रहे हैं और इसका जवाब हम जरूर देंगे। आरसीपी सिंह ने इसके आगे कहा कि हम और ललन सिंह कोई अलग थोड़े ही है। मुझमें और ललन बाबू में कोई फर्क है क्या? हम लोग साथ हैं और मजबूती से आगे भी साथ रहेंगे। आरसीपी सिंह के इस बयान के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। खबर यह है कि आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बनने के बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को छोड़ सकते हैं क्योंकि दोनों पद को एक साथ संभाल पाना मुश्किल होगा।
बात करें आज के हालात की तो सत्ताधारी दल जदयू में आजकल हलचल बढ़ गई है। कुछ महीने पहले तक जदयू का मतलब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समझा जाता था, लेकिन सीएम ने खुद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी आरसीपी सिंह को सौंप दी। अब आरसीपी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं ललन सिंह को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने पर भी चर्चाएं हैं। इन सब चीजों के बीच उपेंद्र कुशवाहा ने आज ललन सिंह से मुलाकात कर राजनीतिक सरगर्मी को और हवा दे दी है।
दोनों नेताओं के बीच एक घंटे तक चली मुलाकात
जदयू संसदीय दल के नेता ललन सिंह आज जदयू पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक मुलाकात चली। इस दौरान क्या बातें हुईं, ये तो दोनों नेता ही जानते हैं। मीडिया को यह बताया गया कि जदयू में सब ठीक है।
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सब कुछ ठीक नहीं!
जदयू के नेताओं का कहना है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने पर इस बार फैसला लेने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी को अधिकृत किया गया था। उन्होंने जो फैसला लिया, उस पर कोई गतिरोध नहीं है। हालांकि विपक्षी दल ऐसा नहीं मानते। विपक्षी पार्टियों ने तो इसी मसले पर जदयू में टूट तक का दावा कर दिया है। ऐसे दावों में कितना दम है, ये तो आगे वक्त बताएगा। जदयू में आज की एक और बड़ा बदलाव हुआ है। पार्टी ने मुख्य प्रवक्ता के पद से संजय सिंह को हटाते हुए पूर्व जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार को यह जिम्मेदारी दी है।
पिछली बार ललन सिंह के मसले पर ही हुआ था गतिरोध
2019 में केंद्रीय कैबिनेट में जदयू के शामिल होने का मसला ललन सिंह को लेकर ही फंस गया था। दरअसल जदयू ने आरसीपी और ललन दोनों के लिए मंत्री पद मांगा था और भाजपा की ओर से एक ही पद आफर किए जाने पर मंत्रिमंडल में शामिल होने से इंकार कर दिया था। तकरीबन दो साल बाद जदयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल तो हो गया है, लेकिन भाजपा की पुरानी शर्त पर ही। ललन सिंह इस बार भी प्रतीक्षा सूची में ही रह गए।
जदयू में अपना आधार मजबूत कर रहे कुशवाहा
रालोसपा का विलय कराने के बाद दूसरी बार जदयू में वापसी कराने वाले उपेंद्र कुशवाहा आजकल अपनी पुरानी पार्टी में अपना आधार मजबूत करने में लगे हैं। कुछ दिनों में वे जिलों की यात्रा पर निकलने वाले हैं। इसके जरिये उपेंद्र कार्यकर्ताओं तक सीधा जुड़ाव करने की कोशिश में हैं।