प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को उनकी जयंती पर याद किया है। रामविलास पासवान को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर संदेश लिखकर कहा है कि वे रामविलास पासवान की बहुत ज्यादा कमी महसूस करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर संदेश में कहा है कि रामविलास पासवान देश के सबसे अनुभवी सांसदों और प्रशासकों में से एक थे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि जनसेवा और समाज के निचले तबके को ऊपर उठाने के लिए किए गए योगदान के लिए रामविलास पासवान हमेशा याद किए जाएंगे। पीएम मोदी के कार्यकाल में लंबे समय तक उपभोक्ता मंत्रालय के मंत्री रहे रामविलास पासवान का 8 अक्तूबर 2020 को निधन हो गया था।
Today is the birth anniversary of my friend, late Ram Vilas Paswan Ji. I miss his presence greatly. He was one of India’s most experienced Parliamentarians and administrators. His contributions to public service and empowering the downtrodden will always be remembered.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 5, 2021
रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को बिहार खगड़िया जिले में एक दलित परिवार में हुआ था, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय के कोसी कॉलेज से लॉ तथा स्नात्कोत्तर की पढ़ाई की थी और 1969 में वे बिहार पुलिस में डीएसपी के तौर पर नियुक्त हुए थे।
रामविलास पासवान केंद्र में सभी राजनीतिक दलों के साथ मिलकर सरकार में शामिल रह चुके हैं और बतौर मंत्री कई मंत्रालयों का कार्यभार संभाल चुके हैं, 1989 में उस समय के प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार में उन्हें श्रममंत्री नियुक्त किया गया था, इसके बाद 1996 में बनी देवेगौड़ा सरकार में रेल मंत्री, 1999 में बनी अटल बिहारी बाजपेई सरकार में कम्युनिकेशन एवं आईटी मंत्री तथा खान, 2004 में बनी मनमोहन सिंह सरकार में रासायन एवं उरवर्क मंत्री, तथा 2014 और 2019 में बनी मोदी सरकार में वे उपभोक्ता मंत्रालय के मंत्री थे।
रामविलास पासवान ने लोकजनशक्ति पार्टी की स्थापना की थी, लेकिन उनके निधन के बाद उनके पुत्र चिराग पासवान तथा भाई पशुपति कुमार पास के बीच उनकी राजनीतिक विरासत को लेकर लड़ाई चल रही है और आज सोमवार को मनायी जाने जाने वाली दिवंगत नेता की जयंती को दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों के नेतृत्व द्वारा शक्ति प्रदर्शन के अवसर के तौर पर देखा जा रहा है। चिराग अपने पिता की जयंती के अवसर पर सोमवार को हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र (जिसका उनके पिता ने कई दशकों तक प्रतिनिधित्व किया) से ‘आशीर्वाद यात्रा’ की शुरुआत करेंगे।
उनके इस निर्णय ने हाजीपुर का वर्तमान में प्रतिनिधित्व करने वाले पशुपति नाथ पारस को नाराज कर दिया है जो लोजपा के अन्य सभी सांसदों के समर्थन से चिराग को हटाकर स्वयं लोकसभा में पार्टी के नेता के तौर पर आसीन होने के बाद अपने गुट द्वारा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किए गए हैं। पारस ने हाल ही में चिराग के कार्यक्रम को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी और सवाल किया था कि क्या उनके पिता की जयंती श्रद्धांजलि देने या लोगों का आशीर्वाद लेने का अवसर है। उन्होंने अपने भतीजे को अपने संसदीय क्षेत्र जमुई में अपना कार्यक्रम आयोजित करने की सलाह दी थी जहां से वह लोकसभा में लगातार दूसरी बार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
लोजपा सांसदों के संख्या बल के अपने साथ होने की स्थिति में पटना स्थित पार्टी के राज्य मुख्यालय भवन पर काबिज होने में कामयाब रहे पारस लोजपा संस्थापक की जयंती के अवसर पर एक समारोह आयोजित कर रहे हैं। पारस के समक्ष इस अवसर पर राज्य के पासवान समुदाय जो पूर्व केंद्रीय मंत्री को अपने प्रतीक के रूप में देखता था, को एकजुट रखने की एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि चिराग ने खुद को अपने पिता की विरासत के सही उत्तराधिकारी के रूप में पेश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। दोनों गुटों के बीच सड़कों पर तीखी नोकझोंक का ताजा उदाहरण शनिवार को चिराग समर्थकों द्वारा खगड़िया में स्थानीय पार्टी सांसद महबूब अली कैसर को काला झंडा दिखाया जाना है।