इस्तीफे के ऐलान के 52 घंटे बाद मंत्री मदन सहनी दिल्ली कूच कर गए हैं। दिनभर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बुलावे का इंतजार करते रहे सहनी को हालांकि CM ने भाव नहीं दिया। सहनी का दिल्ली जाना बिहार में नई सियासी हलचल खड़ा सकता है क्योंकि दिल्ली में उनकी मुलाकात बिहार के उन नेताओं से होने की संभावना है जो बिहार की सियासत में बड़ा उलटफेर करने के माहिर माने जाते हैं। हालांकि, सहनी की तरफ से इसे लेकर कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है कि वो दिल्ली क्यों जा रहे हैं।
दिल्ली जाने से पहले मंत्री मदन सहनी करीब 7 बजे दरभंगा से पटना पहुंचे। इस बीच वो मुजफ्फरपुर में एक कार्यक्रम में भी शामिल हुए। सहनी शुक्रवार को अपने इस्तीफे का ऐलान कर दरभंगा चले गए थे। दरभंगा में उन्होंने कहा था वो शनिवार को पटना लौटेंगे और तब इस्तीफे पर अपना अंतिम फैसला लेंगे। असल में सहनी इस बात का इंतजार कर रहे थे कि उनके इस्तीफे के ऐलान पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का क्या रुख रहता है? सहनी को ये लगा था कि इस्तीफे की बात सुनकर मुख्यमंत्री उन्हें बुलावा भेजेंगे और उनसे उनकी शिकायतों पर बात की जाएगी। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। JDU के कुछ नेताओं ने तो मदन सहनी से बात की, लेकिन मुख्यमंत्री की तरफ से कोई भी संदेशा नहीं आया। पटना लौटने के बाद सहनी ने अपने करीबियों से राय-मशविरा किया और कुछ देर में दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
अफसरशाही ने नाराज मंत्री मदन सहनी लगातार गुस्से में बयान दे रहे हैं। शुक्रवार को विभाग के प्रधान सचिव पर जमकर बरसे सहनी, शनिवार को भी खूब गुस्से में दिखें। शनिवार दोपहर मुजफ्फरपुर में उन्होंने BJP से आनेवाले मंत्री जीवेश मिश्र को दलाल तक कह दिया। जीवेश मिश्र बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री हैं। जीवेश ने सहनी से जुड़े मामले पर बोलते हुए ये कहा था कि मंत्री मदन सहनी अधिकारियों के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं। जीवेश के इसी बयान से नाराज सहनी ने उनपर विवादित टिप्पणी की और उन्हें सीमा में रहने की नसीहत दे दी थीं।
मदन सहनी की नाराजगी की असल वजह समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल कुमार हैं। सहनी की मानें तो अतुल कुमार ने ट्रांसफर-पोस्टिंग की उस फाइल को रोक रखा है जो उन्होंने फाइनल कर जारी करने के लिए प्रधान सचिव को दी थी। सहनी का आरोप है कि सरकार में अफसर, मंत्रियों को काम नहीं करने दे रहे हैं और मनमानी कर रहे हैं। इसी को लेकर मदन सहनी ने इस्तीफे का ऐलान किया था। सहनी भले ही जिद पर अड़े हों लेकिन कहा ये जा रहा है कि प्रधान सचिव ने तबादलों में गडबड़ी की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेजी है।
यही वजह है कि CM, मदन सहनी को लेकर अब कुछ ज्यादा ही सख्त दिख रहे हैं। मदन सहनी मुख्यमंत्री के इसी रुख के बाद दिल्ली गए हैं। माना जा रहा है कि दिल्ली में उनकी मुलाकात दूसरी पार्टियों के नेताओं से हो सकती है। लालू प्रसाद यादव भी फिलहाल दिल्ली में ही हैं। हालांकि, सहनी की तरफ या उनके किसी नजदीकी की तरफ से ऐसी कोई पुष्टि नही की गई है। वैसे सहनी का दिल्ली जाना नीतीश कुमार को परेशान कर सकता है क्योंकि संख्याबल के आधार पर नीतीश कुमार पहले से कमजोर हैं।
मिथिलांचल में ओबीसी का बड़ा चेहरा
मदन सहनी मिथिलांचल में जेडीयू का बड़ा ओबीसी चेहरा हैं। पार्टी को लगता है कि पिछड़ी जातियों में मदन सहनी की अच्छी पैठ है। ये घर और ससुराल दोनों जगहों से जीतते रहे हैं। इस बार दरभंगा के बहादुरपुर से जीते जहां इनका घर है। 2015 में गौड़ाबौराम से जीते थे जहां इनका ससुराल है। पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच मदन सहनी की अच्छी पैठ मानी जाती है। मगर ब्यूरक्रेसी में मदन सहनी की पकड़ उतनी मजबूत नहीं है।
पहले भी अफसर से हुआ था विवाद
ये कोई पहला मामला नहीं है कि मदन सहनी का अधिकारियों से विवाद हुआ है। पिछली सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री रहते हुए भी अधिकारी से ठन गई थी। तत्कालीन सचिव पंकज कुमार से काफी दिनों तक विवाद चला था। आखिरकार मदन सहनी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया था। जिसमें उन्होंने पंकज कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।
अबकी बार दो-दो अफसरों से टक्कर
इस बार तो मदन सहनी दो-दो पावरफुल अधिकारियों से टकरा गए हैं। जिनमें अतुल प्रसाद और चंचल कुमार शामिल हैं। मदन सहनी ने कहा कि ऐसे पद पर रहने से कोई फायदा नहीं, जब वो आम आदमी का कोई काम नहीं करा सकते। उन्होंने यहां तक कह दिया उनके विभाग में चपरासी भी नहीं सुनता है। मदन सहनी ने कहा है कि उनके विभाग में अधिकारियों का राज चल रहा है। अब उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। माना जा रहा है कि समाज कल्याण विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर मंत्री मदन सहनी और प्रधान सचिव के बीच विवाद हुआ था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक समाज कल्याण विभाग के मंत्री मदन सहनी ने नियमों को ताक पर रख कर ट्रांसफर करने की कवायद शुरू की थी, लेकिन प्रधान सचिव ने नियम खिलाफ ट्रांसफर करने से इंकार कर दिया था। मंत्री और सचिव की लड़ाई में विभाग में ट्रांसफर ही नहीं हो पाया।