वैशाली के हाजीपुर में 5 जुलाई को आशीर्वाद यात्रा को लेकर पार्टी के चिराग गुट और पारस गुट के बीच पोस्टर वॉर शुरू है। पूरे शहर में जगह-जगह दोनों गुटों के समर्थक अपने अपने नेता के समर्थन में पोस्टर लगाए हैं। लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुटों के समर्थकों द्वारा लगाए गए पोस्टर में पार्टी के बीच चल रहे गुटबाजी का मामला खुल कर दिखाई पड़ रहा है। चिराग गुट के पोस्टर में चाचा गायब हैं तो पारस गुट के पोस्टर में भतीजा नहीं दिख रहे हैं। पारस गुट भी 5 जुलाई को पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान की जयंती पटना में मना रहा है।
पारस गुट के समर्थकों ने जो पोस्टर लगाए हैं, उसमें चिराग पासवान का चित्र गायब है। जबकि, चिराग पासवान के समर्थकों द्वारा लगाए गए पोस्टरों में हाजीपुर के सांसद पशुपति कुमार पारस की तस्वीर नहीं है। इस तरह पोस्टर वार के जरिए लोजपा के दोनों गुटों के कार्यकर्ता आमने-सामने दिखाई दे रहे हैं। पारस गुट के द्वारा लगाए गए पोस्टर में स्वर्गीय रामविलास पासवान की जयंती पटना में मनाने की अपील की जा रही है और लोगों से बड़ी संख्या में उनकी जयंती में शामिल होने का आह्वान किया गया है।
दूसरी ओर चिराग गुट के समर्थकों ने पार्टी प्रमुख चिराग पासवान के द्वारा स्वर्गीय रामविलास पासवान के जयंती के अवसर पर शुरू किए जा रहे आशीर्वाद यात्रा को लेकर पोस्टर लगाए हैं । इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जन सहयोग की अपील की गई है।
दोनों गुट के कार्यकर्ता एक-दूसरे को नहीं मान रहे नेता
एक तरफ जहां पारस गुट के समर्थकों की दलील है कि पशुपति कुमार पारस चिराग पासवान के चाचा हैं, ऐसे में चिराग पासवान को अपनी चाचा की बात मान लेनी चाहिए थी। जब उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा के संसदीय दल के नेता से पार्टी हित में हटाए जाने की घोषणा की गई तो चिराग पासवान बौखला गए हैं। इसी वजह से चिराग अपने चाचा के खिलाफ गलत बयानी कर रहे हैं और पारस गुट के समर्थकों ने पोस्टरों में चिराग पासवान की तस्वीर नहीं लगाई है। यानी, पारस गुट के समर्थक चिराग पासवान को नेता मानने को तैयार नहीं है।
दूसरी ओर चिराग गुट के समर्थकों ने भी पशुपति कुमार पारस को नेता मानने से इनकार कर दिया है। उनका भी कहना है कि जो पोस्टर उनके द्वारा लगाए गए हैं, उसमें पशुपति कुमार के चित्र हटा दिए गए हैं।