उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद पुष्कर सिंह धामी नए मुख्यमंत्री होंगे। पुष्कर सिंह धामी कल शाम 5 बजे उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण करेंगे। आपको बता दें कि, पुष्कर सिंह धामी दो बार खटीमा से विधायक रह चुके हैं। भाजपा विधायक दल की बैठक में ये फैसला लिया गया है। बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पार्टी मामलों के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम मौजूद रहे। देहरादून में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में धामी के नाम पर मुहर लगाई गई।
उत्तराखंड भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने बड़ी जिम्मेदारी है, पूर्व सैनिक के बेटे को जिम्मेदारी दी है। पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी है उसे निभाऊंगा। धामी ने कहा कि चुनाव की चुनौती को स्वीकार करता हूं। सबके साथ मिलकार काम करूंगा। धामी ने आगे कहा कि मेरी पार्टी ने एक सामान्य से कार्यकर्ता को सेवा का अवसर दिया है। जनता के मुद्दों पर हम सबका सहयोग लेकर काम करेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के करीबी माने जाने वाले धामी भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष समेत पार्टी में अन्य पदों पर कार्य कर चुके हैं और युवाओं में उनकी पकड़ को बेहतर माना जाता है।
बता दें कि, पुष्कर सिंह धामी ऊधमसिंहनगर जिले की खटीमा सीट से विधायक हैं और धामी की युवाओं में अच्छी पकड़ है। पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के 11वें CM के रूप में शपथ लेंगे। चार महीने में राज्य को तीसरा मुख्यमंत्री मिलेगा।
इससे पूर्व ………..
महज 115 दिन उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) ने शुक्रवार को नाटकीय घटनाक्रम के तहत संवैधानिक बाध्यताओं के चलते इस्तीफा दे दिया. इसके बाद शनिवार दोपहर 3 बजे होने वाली विधायक दल की बैठक में अगले मुख्यमंत्री (Chief Minister) का चयन होने की संभावना है. जाहिर है सूबे में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों से पहले उत्तराखंड वासियों को एक बार फिर नया मुख्यमंत्री मिलने जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेतृत्व मौजूदा विधायकों में से ही किसी को नया मुख्यमंत्री बना सकता है.
तीरथ सिंह रावत नहीं बन सकते थे विधानसभा सदस्य
नए मुख्यमंत्री की रेस में राज्य सरकार में मंत्री धन सिंह रावत, बंशीधर भगत, हरक सिंह रावत और सतपाल महाराज का नाम सबसे आगे चल रहा है. गौरतलब है कि लगभग 4 महीने पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीएम पद से इस्तीफा दिया था. उसके बाद 10 मार्च को पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत को नया मुख्यमंत्री बनाया गया. नियमों के मुताबिक सीएम पद पर बने रहने के लिए रावत को 10 सितंबर तक विधानसभा चुनाव जीतना था. राज्य में विधानसभा की दो सीटें गंगोत्री और हल्द्वानी खाली हैं, जहां उपचुनाव होना है. अगले साल फरवरी-मार्च में ही विधानसभा चुनाव भी होने हैं. ऐसे में उपचुनाव कराने का फैसला निर्वाचन आयोग पर ही निर्भर करता है. संभवतः इसी उधेड़बुन के चलते तीरथ सिंह रावत को इस्तीफा देना पड़ा.
धन सिंह रावत का नाम रेस में सबसे आगे
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री पद की रेस में राज्य सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धन सिंह रावत का नाम सबसे आगे है. रावत श्रीनगर विधानसभा से विधायक हैं. धन सिंह आरएसएस कैडर से आते हैं और उत्तराखंड बीजेपी में संगठन मंत्री भी रह चुके हैं. सात अक्टूबर 1971 को जन्में धन सिंह रावत पौड़ी गढ़वाल के मूल निवासी हैं. उन्होंने डबल एमए और राजनीति विज्ञान में पीएचडी की है.
बंशीधर भगत भी दावेदार
उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत भी सीएम पद के दावेदारों में शामिल हैं. कालाढूंगी विधानसभा सीट से विधायक भगत उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बनी विभिन्न सरकारों में मंत्री रहे हैं. 2002 के विधानसभा चुनाव में वह हल्दानी सीट से कांग्रेस की डॉ इंदिरा हृदयेश से चुनाव हार चुके हैं.
हरक सिंह रावत का नाम भी फिजाओं में
करीब डेढ़ महीने पहले कोरोना महामारी से जुड़ी घटनाओं का जिक्र करते समय कैमरे के सामने रो देने वाले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का नाम भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में बताया जा रहा है. हरक सिंह रावत के पास इस समय आयुष और आयुष शिक्षा समेत कई महत्वपूर्ण विभाग हैं.
उत्तराखंड के गठन में सतपाल महाराज का बड़ा रोल
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी सीएम पद के दावेदार बताए जा रहे हैं. सतपाल महाराज ने उत्तराखंड के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. एक सांसद और केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, आई के गुजराल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु पर उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के लिए दबाव डाला था. 21 मार्च 2014 को वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे.
शनिवार को विधायक दल की बैठक
जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शनिवार को पर्यवेक्षक के तौर पर देहरादून जाएंगे. शनिवार शाम विधायक दल की बैठक होगी. प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की अध्यक्षता में दोपहर 3 बजे यह बैठक आयोजित की जाएगी. उत्तराखंड बीजेपी के मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने यह जानकारी दी है. सभी विधायकों को देहरादून में उपस्थित रहने के लिए कहा गया है.
इस संवैधानिक संकट के चलते देना पड़ा तीरथ सिंह को इस्तीफा
इससे पहले तीरथ सिंह रावत ने नड्डा को भेजे अपने इस्तीफे में कहा, ‘आर्टिकल 164-ए के हिसाब से मुझे मुख्यमंत्री बनने के बाद 6 महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना था, लेकिन आर्टिकल 151 कहता है कि अगर विधानसभा चुनाव में एक साल से कम समय बचता है तो वहां पर उपचुनाव नहीं कराए जा सकते हैं. उत्तराखंड में संवैधानिक संकट न खड़ा हो, इसलिए मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं.’
एनडी तिवारी छोड़ कोई नहीं पूरा कर सका कार्यकाल, 21 साल में 10वां CM
सन् 2000 में उत्तराखंड के साथ ही झारखंड का भी गठन हुआ था. हालांकि राजनीतिक दृष्टि से देखें तो उत्तराखंड और झारखंड में एक अजीब सा साम्य है. मुख्यमंत्री देने के मामले में उत्तराखंड अब झारखंड के रिकॉर्ड के करीब पहुंच चुका है. बीते 21 सालों में झारखंड में 12 मुख्यमंत्री बने हैं, तो उत्तराखंड राज्य गठन के बाद भारतीय जनता पार्टी की दो साल की अंतरिम सरकार में जिस राजनीतिक अस्थिरता का जन्म हुआ था, वह 21 साल बाद भी बदस्तूर जारी है. हाल-फिलहाल तीरथ सिंह रावत की मुख्यमंत्री पद से विदाई होते ही तय हो गया है कि राज्य को 21 साल में दसवां मुख्यमंत्री मिलेगा. उत्तराखंड के अस्तित्व में आने के बाद पहली विधानसभा चुनाव में नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने थे. राज्य के राजनीतिक इतिहास में भी पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वह एकमात्र सीएम हैं.
अंतरिम सरकार में ही बदल गए सीएम
2000 में उत्तराखंड के अलग राज्य घोषित होने पर भारतीय जनता पार्टी ने नित्यानंद स्वामी के सिर मुख्यमंत्री ताज पहनाया था. उन्होंने कुछ समय के लिए अंतरिम सरकार को संभाला भी, लेकिन फिर एक साल पूरा होने से पहले ही उनकी जगह भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री बना दिया गया. बताया जाता है कि 2002 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने ये बड़ा फैसला लिया था. यह अलग बात है कि पार्टी का यह दांव उलटा पड़ा और विस चुनाव में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हो गई. दिल्ली आलाकमान के फरमान पर सीएम बदलने का खेल जो तब शुरू हुआ, वह आज भी जारी है. इस बार भी बीजेपी आलाकमान ने कई बैठकों के बाद सीएम को बदलना तय किया.
सूबे का पहला चुनाव जीत एनडी तिवारी बने थे मुख्यमंत्री
गौरतलब है कि 2002 में संपन्न पहले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सरकार बनी थी. कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया था. उन्होंने ही 5 साल का कार्यकाल पूरा किया. यह अलग बात है कि उन्हें भी अपने कार्यकाल के दौरान काफी दिक्कतें उठानी पड़ीं. तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हरीश रावत ने कई दफा उनके खिलाफ मोर्चा खोला. यह बात अलग है कि उनकी कोशिशें परवान नहीं चढ़ पाईं. हरीश रावत ने तमाम मुद्दों पर कांग्रेस हाईकमान से लगातार संपर्क साध समीकरण गड़बड़ाने चाहे, लेकिन एनडी तिवारी सूझबूझ से अपनी सरकार बचाते रहे और पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद ही हटे.
2007 में आई बीजेपी ने भी बदले सीएम
एनडी तिवारी के बाद 2007 में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की उत्तराखंड में वापसी हुई और उसे स्पष्ट जनादेश मिला. मुख्यमंत्री के रूप में मेजर जनरल बीसी खंडूरी को चुना गया. यह अलग बात है कि खंडूरी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. 834 दिनों तक सत्ता संभालने के बाद भाजपा में खंडूरी के खिलाफ बगावत हो गई. आखिरकार रमेश पोखरियाल निशंक को राज्य का 5वां सीएम बनाया गया. निशंक भी शेष बचे कार्यकाल को पूरा नहीं कर पाए और फिर राज्य की बागडोर बीसी खंडूरी को सौंप दी गई.
2012 में कांग्रेस की वापसी, दो सीएम
2012 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी से कांग्रेस ने सत्ता छीन ली. कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को सीएम, लेकिन उनका कार्यकाल भी राजनीतिक अस्थिरता की भेंट चढ़ गया. 2013 की केदारनाथ में आई भयानक बाढ़ सीएम विजय बहुगुणा को भी बहा ले गई. विपक्ष ने सवाल उठाते हुए सीएम की नीतियों और उनकी कार्यशैली को जमकर निशाने पर लिया. विजय बहुगुणा के खिलाफ नाराजगी को देख कांग्रेस ने हरीश रावत को उत्तराखंड की बागडोर सौंपी, लेकिन हरीश रावत के लिए सीएम की कुर्सी स्थाई नहीं रही. दो साल बाद पार्टी नेताओं ने उनके खिलाफ बगावत कर दी. उनसे नाराज चल रहा एक धड़ा सीधे बीजेपी से जा मिला और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जरूर हरीश रावत को उस मामले में राहत दी, लेकिन उन्हें उनकी किस्मत का ज्यादा साथ नहीं मिला.
2017 में फिर बीजेपी, 10 साल की सत्ता में देगी 7वां सीएम
2017 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को फिर भारी बहुमत मिला. 57 विधायकों के साथ बनी सरकार से स्थिरता की उम्मीद जगी थी, लेकिन त्रिवेंद्र रावत की विदाई के बाद तीरथ रावत के इस्तीफे से एक बार फिर उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता आ गई है. तीरथ सिंह रावत के नाम सबसे कम समय के लिए उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी बन गया है. तीरथ रावत सिर्फ 115 दिन के लिए ही सीएम रह पाए. भले ही तीरथ के इस्तीफे के पीछे संवैधानिक संकट का हवाला दिया जा रहा हो. बावजूद इसके उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता फिर पैदा हो गई है. अब फिर उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में राज्य को फिर नया सीएम मिलने जा रहा है. दूसरे शब्दों में कहें तो बीजेपी अपनी 10 साल की सत्ता में सातवीं बार किसी शख्स को सीएम बनाने जा रही है.