विश्व स्वास्थ्य संगठन को अब दुनिया में तेजी से फैलते जा रहे कोरोना वायरस के डे़ल्टा वेरियंट की चिंता सताने लगी है। संगठन के अनुसार विश्व के ९६ देशों में इस स्वरूप के अनेक मामले २९ जून तक सामने आ चुके हैं। इन देशों में संक्रमणों के मामले बढ़ रहे हैं और अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। दूसरी लहर में भारत में भयानक कोहराम मचा चुका यह वेरियंट अत्यधिक संक्रामक है और अब दुनिया को भी सिहरा रहा है। भारत में भी जो नये संक्रमण मिल रहे हैं‚ वे इसी स्वरूप या इसके प्लस वेरियंट के हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि आने वालेे कुछ हफ्तों में दुनिया में यह वायरस का सबसे हावी स्वरूप होगा। पूरी दुनिया के लिए यह खतरे की घंटी है। ९६ देशों में कोरोना का फिर से सिर उठाना कड़े़ लॉकड़ाउन जैसे हालात की याद दिला रहा है। हालांकि भारत सहित दुनिया के तमाम मुल्कों में कोरोना के मामलों में कमी आने के बाद प्रतिबंधों में भारी ढील दी गई है‚ लेकिन इस ढील का बेजा फायदा उठाना शुरू कर दिया गया है। मॉल हों या बाजार या सब्जी मंडि़यां हों सभी स्थानों पर पहले की तरह भारी भीड़़ फिर से नजर आने लगी है। दिल्ली के लक्ष्मी नगर बाजार का उदाहरण लें तो इसे भारी भीड़़ उमड़़ पड़़ने के कारण एक और हफ्ते बंद रखने का आदेश दे दिया गया है। ऐसे ही हालात देश के अन्य शहरों में भी हैं। थोड़़ी सी छूट मिलते ही लोग बाजारों में टूट पड़ते हैं। कोरोना का एक भयानक दौर हम देख चुके हैं। पिछले डे़ढ़ दो सालों में सरकारों के लगातार प्रयास से बच्चा–बच्चा कोरोना के खतरों‚ इससे बचने की सावधानियों और कोरोना उपयुक्त व्यवहार का आदी हो चुका है। ऐसे में जबकि विशेषज्ञ रोज यह याद दिला रहे हैं कि कोरोना अभी गया नहीं है तब हम सभी को जिम्मेदार नागरिक की तरह व्यवहार करते हुए कोरोना के लिए उपयुक्तहालात नहीं बनने देने चाहिए। टीकाकरण ही जब कोरोना के खिलाफ एकमात्र हथियार है और जब तमाम ना नकुर के बाद समाज के सभी वर्गों में टीकों की स्वीकार्यता बन चुकी है और लोग टीकाकरण के लिए बढ़ चढ़कर आगे आ रहे हैं‚ तब केंद्र सरकार को भी टीकाकरण अभियान की गति मंद न पड़े़‚ इसके भरपूर प्रयास करने चाहिए। १२ से १८ साल के बच्चों के लिए भी टीके की मंजूरी मिलने वाली है‚ यह उत्साह बढ़ाने वाली बात है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेडरोस अधानोम ग्रब्रेयेसस ने कहा कि दुनिया कोविड-19 महामारी के एक खतरनाक दौर मे हैं. इसके पीछे की वजह डेल्टा वेरिएंट के 100 से ज्यादा देशों में मिलना है. एक प्रेस ब्रीफिंग में ग्रब्रेयेसस ने कहा कि भारत में पहली बार सामने आया डेल्टा वेरिएंट में अभी भी बदलाव और म्यूटेशन हो रहे हैं और ये कई देशों में कोविड-19 का सबसे ज्यादा खतरनाक वेरिएंट बनकर उभरा है.
WHO प्रमुख ने इस बात का सुझाव दिया कि वैक्सीनेशन के जरिए महामारी के तीव्र चरण को ठीक ढंग से खत्म किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही दुनियाभर के नेताओं से ये सुनिश्चित करने की गुजारिश की है कि अगले साल इस समय तक हर देश में 70 फीसदी लोगों को वैक्सीन लगा दी जाए. WHO प्रमुख ने कहा, ये कुछ देशों की सामूहिक शक्ति के भीतर है कि वे कदम उठाएं और सुनिश्चित करें कि वैक्सीन बांटी जाएं. उन्होंने बताया कि अभी तक तीन अरब वैक्सीन डोज साझा की जा चुकी हैं.
कुछ मुल्कों का वैक्सीनेशन में पीछे रहना सबके लिए खतरा
हालांकि, दुनियाभर में वैक्सीनेशन में असमानता एक बड़ी चिंता बनकर उभरी है. यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो ये एक बड़ी मुसीबत बन सकती है. अभी तक दुनियाभर में लगाई गई कोविड वैक्सीनेशन का सिर्फ दो फीसदी ही गरीब मुल्कों में हुआ है. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा जैसे अमीर मुल्कों ने एक अरब वैक्सीन को साझा करने का ऐलान किया है. WHO प्रमुख ने कहा कि अगर कुछ देश वैक्सीनेशन में पीछे रह जाएंगे तो ये पूरी दुनिया के लिए खतरा होगा.
वैक्सीनेशन वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी
महानिदेशक ने कहा कि सितंबर तक हर देश की 10 फीसदी आबादी का वैक्सीनेशन हो जाना चाहिए. इस साल के आखिर तक 40 फीसदी और अगले साल के मध्य तक 70 फीसदी आबादी वैक्सीनेट होनी चाहिए. इसके जरिए ही कोरोना को हराया जा सकता है. उन्होंने कहा कि वैक्सीन समानता सिर्फ एक अच्छी चीज नहीं है. ये महामारी को नियंत्रित करने और वैश्विक अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने के लिए भी जरूरी है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक महामारी को हर जगह खत्म नहीं कर दिया जाता है, तब तक महामारी दुनिया से खत्म नहीं होगी.
बिना वैक्सीन लगवाए लोगों के बीच फैल रहा है डेल्टा वेरिएंट
टेडरोस अधानोम ग्रब्रेयेसस ने कहा था कि कोरोना के अब तक जितने भी वेरिएंट की पहचान हुई है उनमें डेल्टा सबसे अधिक संक्रामक है और यह उन लोगों में तेजी से फैल रहा है, जिन्हें कोविड रोधी वैक्सीन नहीं लगी है. उन्होंने कहा था कि कुछ देशों ने जन स्वास्थ्य एवं सामाजिक पाबंदियों में ढील दी है ऐसे में विश्व में संक्रमण के मामलों में बढोतरी देखने को मिली है. उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए आज के समय में जो कदम उठाए जाते हैं वे डेल्टा समेत वायरस के अन्य चिंताजनक स्वरूपों के खिलाफ भी प्रभावी हैं.