देश में बड़े़ पैमाने पर धर्मांतरण में जुटे गैंग के खुलासे के बाद उत्तर प्रदेश‚ बिहार‚ हरियाणा‚ राजस्थान‚ दिल्ली और केरल सहित कुछ राज्यों के मदरसे‚ धार्मिक नेता और शिक्षाविद केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर आ गए हैं। देश की खुफिया एजेंसियां इस बात कि जांच कर रही हैं कि कहीं आईएसआई के इशारे और चीन की शह पर धर्म परिवर्तन की आड़़ में आतंक की पौध तो नहीं तैयार की जा रही थी। वहीं‚ प्रवर्तन निदेशालय विदेशी फंडिंग की जांच में जुट गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं शिक्षा के नाम पर टेरर फंडिंग का खेल तो नहीं चल रहा है। इस गैंग का खुलासा करने वाले यूपी एटीएस से मिले दस्तावेजों और कुछ पुराने मनी ट्रेल रूट को खंगालने के बाद फिलहाल जांच एजेंसियों को लग रहा है कि नेपाल‚ मॉरिशस‚ पाकिस्तान‚ बांग्लादेश और कुछ मुस्लिम देशों से हवाला के जरिए इन संस्थानों में धन पहुंचता है। वैसे‚ इन्वेस्टिगेशन के जारी होने की वजह से एजेंसियां अभी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंची हैं। ॥ खुफिया सूत्रों के अनुसार‚ जांच एजेंसियों को प्रथम द्रष्टया धर्मांतरण के इस खेल से आतंकी संगठनों की सांठगांठ और उनके सक्रिय होने के कुछ सबूत मिले हैं। पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई से लिंक होने की आशंका को भी नकारा नहीं जा सकता है। सूत्रों के अनुसार‚ पाक आतंकी संगठन जैश–ए–मोहम्मद का स्लीपर सेल इस काम में काफी सक्रिय था। सूत्रों के अनुसार‚ आईएसआई के इशारे पर इंडि़यन मुजाहिद्दीन दिल्ली‚ हरियाणा‚ बिहार‚ उत्तर प्रदेश ‚ राजस्थान ‚ केरल ‚ तेलंगाना‚ तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में इधर कुछ महीने से काफी सक्रिय हो गया है‚ जिस पर खुफिया एजेंसियों की पैनी नजर है। सूत्रों के अनुसार‚ प्रवर्तन निदेशालय जल्द ही धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार गौतम‚ जहांगीर और उसके कुनबे के बैंक खाते और पासपोर्ट को खंगालने वाली है। ॥ उधर‚ प्रवर्तन निदेशालय ने उप्र एटीएस से सबूत मिलने के बाद मामला दर्ज कर हवाला फंडिंग और टेरर नेटवर्क की जांच में जुट गया है। जांच एजेंसियों को ऐसे काफी सबूत मिले हैं‚ जिससे साबित होता है कि ये संगठन और उमर गौतम बड़ी संख्या में मूक–बधिर बच्चों का धर्मांतरण कर आतंकी गतिविधियों के लिए उनका इस्तेमाल करने की तैयारी में थे. धर्मांतरण गिरोह के निशाने पर मूक बधिर बच्चे इसलिए भी थे‚ क्योंकि इन पर किसी को शक नहीं होता है। साथ ही इनकी ट्रेनिंग के लिए भी अलग तकनीक का इस्तेमाल किया जाना होता है। इन बच्चों के लिए बाकायदा साइन लैग्वेंज के जरिए पढ़ाने वाले टीचर नियुक्त किए गए थे। ये टीचर ही इन बच्चों का ब्रेन वाश कर इन्हें हिन्दू से मुस्लिम बना रहे थे। जल्द ही इनकी आतंकी ट्रेनिंग भी शुरू होनी थी। इस रैकेट के तार आईएसआई से भी जुड़ते नज़र आ रहे हैं। अब तक जो जांच हुई है‚ उसमें धर्मांतरण के लिए विदेशी फंडिंग के साथ ही साथ टेरर ग्रुप से भी फंडिंग मिलने की बात सामने आई है। जांच में सामने आया है कि गौतम अब तक देश के २४ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हजारों लोगों का अवैध तरीके से धर्मांतरण करा चुका है। सूत्रों के अनुसार‚ एक आतंकी संगठन को लेकर यूपी एटीएस ने खुफिया एजेंसियों से संपर्क साधा है। दरअसल‚ इस संगठन ने अप्रैल में पाकिस्तान में एक खास मिशन तैयार किया था। इसका मकसद धार्मिक उन्माद फैलाने के साथ कट्टरता को भी बढ़ावा देना था। यूपी एटीएस खुफिया एजेंसियों से यह पता लगवाना चाहती है कि कहीं धर्मांतरण रैकेट के तार इस पाकिस्तानी आतंकी संगठन से तो नहीं जुड़े हैं। यूपी एटीएस ने इस आतंकी संगठन के सदस्य आबिद की लोकेशन डिटेल मांगी है। बताया जा रहा है कि आबिद नाम के इस आतंकी को ही मिशन डासना की जिम्मेदारी दी गई थी। उसकी आखिरी लोकेशन पुलवामा के आस–पास की मिली थी। जांच एजेंसी के रडार पर लखनऊ का अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन है‚ जहां सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूल में ५०० बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का भी दावा किया जा रहा है। इस फाउंडेशन के इकबाल अहमद नदवी संस्था के अध्यक्ष‚ उमर गौतम उपाध्यक्ष‚ नजीबुल हसन सचिव‚ अब्दुल हाई‚ मुहीब–ए–आलम‚ आमना रिजवान और मुशीर अहमद सदस्य‚ एजेंसियों के रड़ार पर हैं॥।
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