केंद्रीय मंत्रिमंड़ल के विस्तार होने पर जदयू के उसमें शामिल होने की अटकलों के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को दिल्ली के लिए रवाना हुए। हालांकि दिल्ली पहुंचने पर मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि आंख चेक कराने आये हैं। प्रधानमंत्री के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमलोग एक साथ हैं‚ मिलना–जुलना लगा रहता है। उधर जदयू ने भी आंख के इलाज के लिए मुख्यमंत्री के दिल्ली जाने की बात कही है। बैंकर्स समिति व राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद मुख्यमंत्री मंगलवार को एक विशेष विमान से दिल्ली रवाना हुए।
मुख्यमंत्री के साथ उनके विश्वासपात्र माने जाने वाले जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा‚ जदयू नेता और नेत्र विशेषज्ञ ड़ॉ. सुनिल कुमार सिंह और नीतीश के एक मित्र उदयकांत मिश्र समेत सुरक्षा अधिकारी राजेश भी दिल्ली गये हैं। जदयू २०१३–२०१७ के दौरान एक अंतराल को छोड़़कर लंबे समय से भाजपा की सहयोगी रही है। वर्ष २०१९ के लोकसभा चुनाव के बाद भगवा पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रचंड़ बहुमत प्राप्त किया था‚ जिसके बाद मंत्रिमंड़ल में सहयोगी दलों के लिए ‘प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व’ के प्रस्ताव को नीतीश ने ठुकरा दिया था। लोकसभा में जदयू संसदीय दल के नेता और मुंगेर से सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने केंद्रीय मंत्रिमंड़ल में विस्तार को लेकर दिल्ली की यात्रा के क्रम में नीतीश के प्रधानमंत्री से मुलाकात करने की चर्चा को अटकलबाजी बताते हुए सोमवार को कहा था‚ ‘मुख्यमंत्री अपनी आंख के इलाज के लिए दिल्ली जा रहे हैं और जहां तक मंत्रिमंड़ल विस्तार की बात है यह प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है। प्रधानमंत्री कब मंत्रिमंड़ल का विस्तार करेंगे और किससे परामर्श करेंगे यह उनका विशेषाधिकार है। उनके इस विशेषाधिकार को मुख्यमंत्री की दिल्ली यात्रा से जोड़़ना बेबुनियाद है।’ ललन सिंह को उन उम्मीदवारों में से एक के तौर पर देखा जा रहा है जो जदयू की ओर से केंद्रीय मंत्रिमंड़ल में शामिल हो सकते हैं।
केंद्रीय मंत्रिमंड़ल के विस्तार होने पर जदयू की ओर से बनाए जाने मंत्रियों में एक और नाम जो चर्चा में है वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह का है। पूर्व आईएएस अधिकारी आरसीपी ने सोमवार को पत्रकारों द्वारा इस बाबत पूछे जाने पर कहा था‚ ‘मेरा नाम तो २०१७ से आता रहा है तो ये स्वाभाविक है कि लोग अपने हिसाब से कयास लगाते हैं लेकिन ये अधिकार हमारे नेता का है और उन्होंने जब भी निर्णय लिया सभी से पूछकर ही लिया।’ उन्होंने कहा था‚ ‘यह अच्छा नहीं लगता कि हम राज्य में सत्ता में भागीदार हैं लेकिन केंद्र में नहीं‚ हालांकि हम वहां भी एनड़ीए का हिस्सा हैं। केंद्र सरकार में शामिल होने के बाद दोनों पार्टियों के लिए चीजें बेहतर होंगी।’ उन्होंने लोजपा नेता चिराग पासवान पर कटाक्ष करते हुए कहा था‚ ‘मैंने चिराग का बयान सुना था। जो कहते थे कि मैं शेर (लोजपा संस्थापक और दिवंगत पूर्व केंदीय मंत्री रामविलास पासवान) की औलाद हूं और बाद में कह रहे थे कि मैं अनाथ हूं तो हमने आजतक नहीं सुना कि शेर भी कभी अनाथ हो सकता है और शेर का बेटा अगर शेर तो शेर का भाई (पशुपति कुमार पारस) भी तो शेर ही होगा।’ लोजपा में टूट के बारे में आरसीपी ने कहा था‚ ‘स्वाभाविक रूप से जब कोई भी पार्टी टूटती है तो उसका कोई आधार होता है और स्वाभाविक है कि जहां ६ सांसद थे ५ अलग हुए हैं तो कुछ ना कुछ गलती हुई होगी।’ पारस को केंद्रीय मंत्रिमंड़ल में शामिल किए जाने के बारे में पूछे जाने पर आरसीपी ने कहा था‚ ‘ये हम नहीं तय करेंगे‚ उनका दल तय करेगा।
हमारे पास दंगाइयों का इलाज है उनको घुटने के बल चलने पर मजबूर कर देंगे….
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