कोरोना महामारी से बे-पटरी हुई अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाना रिजर्व बैंक के लिए चुनौती बना हुआ है. जिसके लिए वो महामारी के प्रभाव का आंकलन करने में जुटी है जिससे इसे सही रास्ते में लाने के विकल्प तैयार किये जा सकें. ऐसे में लोग भी सरकार की तरफ मुंह करके खड़े हैं और वो सरकार से किसी भी तरह के बेल आउट उम्मीद लगाए बैठे हैं. लेकिन इस बार रिजर्व बैंक की रिपोर्ट ने दूसरी लहर से आर्थिक नुकसान का आंकलन किया है.
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट से ये आया सामने
लोगों की उम्मीदों से इतर रिजर्व बैंक ये आंकलन करने में जुटा है कि महामारी में अर्थव्यव्स्था परजो चौरतरफा असर पड़ा है उसका आर्थिक आउटपुट पर क्या असर पड़ेगा. ऐसे में रिजर्व बैंक ने आशंका जताई है कि इस वित्तीय वर्ष में 2 लाख करोड़ के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि इसका जीडीपी पर सीधा असर नहीं पड़ेगा लेकिन फाइनेंशियल गतिविधियां आपस में एक दूसरे से जुड़ी हैं तो इस तरह इकोनॉमिक आउटपुट पर 2 लाख करोड़ का नुकसान होने की संभावना है. रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में ये बात कही है.
आरबीआई के आर्थिक आउटपुट नुकसान का एक फैकटर उसकी हालिया मोनेटेरी पॉलिसी में जीडीपी को लेकर लगाए गया पूर्वानुमान है. जहां उसने अपने ग्रोथ प्रोजेक्शन को 10.5% से घटाकर 9.5% कर दिया है. बुद्धवार को रिलीज की गई रिपोर्ट में कहा गया कि प्रोजेक्शन का अंदाजा इस तथ्य पर लगाया गया कि जीडीपी पहले क्वार्टर में 18.5% की दर से बढ़ेगी.
रिपोर्ट ने अहम तथ्यों का जिक्र भी किया है
दूसरी लहर के प्रभाव पर और जानकारी देते हुए कहा कि डिपोजिट रेट भी कम रहेगा क्योंकि आम पारिवारिक बचत दोनो लहरों की वजह से एक दम नीचे आ गई है. इसके साथ ही लोगों के पास पैसे की कमी भी सामने आई है. कोरोना के महंगे इलाज की वजह से लोगों के पास रखा पैसा काफी हद तक खत्म हो गया.
आमजन की जरूरत से लेकर इंडस्ट्री तक पर असर
दूसरी लहर से जहां आमजन की जरूरी चीचों तक पहुंच सीमित हो गई, वहीं सप्लाई पर भी नकारात्मक असर पड़ा. वहीं इंडस्ट्री की बात करें तो कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने का असर उसकी उत्पादक क्षमता पर पड़ा.
वैक्सीनेशन से मिलेगा सकारात्मक परिणाम
रिपोर्ट में खास बात ये कही गई है कि देश में चल रहे वैक्सीनेशन से अच्छे परिणाम सामने आएंगे. संक्रमण दर कम होगी जिससे सभी क्षेत्रों में गति आएगी. रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि पब्लिक सेक्टर ग्रोथ संभावनाओं को अनलॉक करने के लिए प्राइवेट सेक्टर को लीड करे. आरबीआई के डिप्टी गर्वरनर एमडी पात्रा की अगुवाई में तैयार की गई रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि वित्त मंत्रालय के मुताबिक हर्ड इम्यूनिटि बनने और मरीजों को सही करने की रफ्तार को साधने के लिए सिंतबर 2021 तक 70 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाए जाने का लक्ष्य है जिसके लिए 113 करोड़ डोज की जरूरत होगी. सर्वे के मुताबिक इस हर्ड इम्यनिटि के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 93 लाख लोगों को हर दिन वैक्सीन लगानी होगी.