चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में फूट पड़ गई। यह बगावत दिवंगत रामविलास पासवान के छोटे भाई यानी उनके चाचा पशुपति पारस के नेतृत्व में हुई। अब महागठबंधन की दो बड़ी पार्टियां चिराग को साथ लाने की कोशिश कर रही हैं। दरअसल, बिहार में दलितों का वोट बैंक 16% है और इसमें 6% वोट बैंक पासवान के हैं।
इसलिए लालू प्रसाद यादव की RJD चिराग को अपने साथ आने का न्योता दे रही है, तो कांग्रेस उन्हें अपने साथ लाना चाह रही है। RJD का कहना है कि चिराग के पास महागठबंधन के विकल्प को छोड़कर कोई रास्ता नहीं है, वहीं कांग्रेस ने चिराग की इस हालत के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है।
RJD के निशाने पर नीतीश
RJD के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर पार्टी में अपना एक आदमी बना कर रखते हैं। ऐसा ही उन्होंने LJP में किया। पशुपति जब न विधायक थे और न ही पार्षद, फिर भी नीतीश ने उन्हें मंत्री बनवा दिया था। इस लिहाज से नीतीश का पारस से बेहतर संबंध था। इसी का इस्तेमाल नीतीश ने किया।
उन्होंने कहा कि उसी तरह सूरजभान के छोटे भाई के ललन सिंह से अच्छे संबंध हैं। रामविलास पासवान ने अपने बेटे को वारिस बनाया। LJP में जो था, उनकी वजह से ही था। पशुपति का अपना कोई वजूद नहीं है। ऐसे में चिराग के पास विकल्प यही बचा है कि वे महागठबंधन के साथ जुड़ें।
BJP-JDU को सबक सिखाएं चिराग : कांग्रेस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि BJP ने विधानसभा चुनाव में JDU के खिलाफ चिराग का इस्तेमाल किया और अब BJP ने हाथ खींच कर उन्हें अकेला छोड़ दिया। JDU ने चिराग की पार्टी को तोड़कर बदला लिया।
उन्होंने कहा कि जब LJP के पांच सांसद लोकसभा के स्पीकर से मिलने जा रहे थे, तब BJP-JDU के भी कई नेता साथ गए थे। इनमें संजय जायसवाल और भूपेन्द्र यादव भी शामिल थे। रामविलास पासवान के कद का फायदा BJP-JDU ने उठाया और अब उनकी अनुपस्थिति में उनकी ही पार्टी को तोड़ रहे हैं। चिराग ही उनके उत्तराधिकारी हैं। चिराग को कांग्रेस और RJD के साथ मिलना चाहिए और BJP-JDU को सबक सिखाना चाहिए।
चिराग को लुभाने की दो बड़ी वजह
- बिहार में रामविलास पासवान राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति का बड़ा चेहरा बनकर उभरे थे, लेकिन उनके निधन के 8 महीने के अंदर ही LJP के अंदर आर-पार की राजनीतिक लड़ाई शुरू हो गई। दलितों के इस वोट बैंक पर महागठबंधन की भी नजर है।
- दूसरी बात यह है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। इस लिहाज से चिराग कांग्रेस और RJD दोनों को पसंद आ रहे हैं। दोनों दलों के वरिष्ठ नेता अपनी-अपनी पार्टी से जुड़ने का न्योता दे रहे हैं।