लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में भतीजे चिराग पासवान का तख्ता पलट करने के बाद पशुपति कुमार पारस के आज दिल्ली से पटना पहुंचने की सम्भावना है। सूत्र बता रहे हैं कि वह जल्द ही पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुला सकते हैं। पार्टी के संसदीय दल का नेता बनने के बाद कहा जा रहा है कि अब राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए भी उन्होंने तैयारी शुरू कर दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगले दो से तीन दिन में लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई जा सकती है। इसे चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर उनके चाचा पशुपति कुमार पारस की ताजपोशी की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
लोस स्पीकर ने संसदीय दल के नेता के तौर पर दी मान्यता
उधर, नई दिल्ली में रविवार और सोमवार को दिन भर लोजपा की सियासत को लेकर माहौल गर्म रहा। पशुपति कुमार पारस समेत पार्टी के सभी पांच बागी सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से दोनों दिन मुलाकात की। इसके पहले पांचों बागी सांसदों ने बैठक कर पशुपति कुमार पारस को संसदीय दल का नया नेता चुन लिया। लोकसभा स्पीकर ने इसे मान्यता भी दे दी।
चाचा के घर से खाली हाथ वापस लौटे थे चिराग
इसके पहले चिराग पासवान ने चाचा पशुपति कुमार पारस को मनाने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें उनके घर से खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। चिराग को अपने चाचा के घर करीब 20 मिनट तक गेट पर ही इंतजार करना पड़ा। भतीजे चिराग के लिए चाचा के घर का गेट पहली बार इतनी देर हुई। चिराग के पहुंचने से पहले ही पशुपति पारस घर से निकल चुके थे। पारस के नेतृत्व में सांसद वीणा देवी के आवास पर सभी बागी सांसदों की बैठक हुई। इस बैठक के बाद पशुपति कुमार पारस के साथ सभी सांसदों ने लोकसभा स्पीकर से मुलाकात की और उन्हें संसदीय दल के नए नेता के रूप में हुए चुनाव की जानकारी दी।
लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान न सिर्फ अपनी पार्टी बल्कि एनडीए में भी अलग-थलग पड़ गए हैं। बिहार विधानसभा के चुनाव में एनडीए और खासकर नीतीश कुमार और जदयू को नुकसान पहुंचाने के फलस्वरूप वह दल और गठबंधन दोनों में हाशिए पर पहुंच गये। तब जदयू को लोजपा प्रत्याशियों के कारण कम से कम 36 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था। यह बात दीगर है कि चिराग की यह रणनीति उनकी अपनी भी पार्टी के काम नहीं आयी थी।
अपने चाचा से लोकसभा में दल के संसदीय दल का नेता पद गंवाने वाले चिराग पासवान को पार्टी के सांसदों की इस मुखालफत में भाजपा का भी साथ नहीं मिला, जिनसे उन्हें पूरी उम्मीद थी। विधानसभा चुनाव में चिराग यह कहते नहीं थकते थे कि वे पीएम मोदी के हनुमान हैं और चुनाव बाद बिहार में भाजपा और लोजपा की सरकार बनेगी। उधर बिहार में एनडीए के दोनों प्रमुख दल भाजपा और जदयू की लोजपा के भीतर चल रही कवायद पर पिछले कई दिनों से पैनी नजर बतायी जा रही है। चाहे मामला लोकसभा अध्यक्ष से मिलने का हो, जुटने का हो या अन्य गतिविधियां हुई हों। अब जबकि चिराग अकेले पड़ गये हैं तो बेशक जदयू को इससे सुकून मिला होगा। लेकिन इसके साथ ही भविष्य में चिराग को लेकर भाजपा के रुख पर अटकलें भी लग रही हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या आगे चिराग को भाजपा से कोई मदद मिल सकती है?
सोमवार को लोजपा के पांचों सांसदों की दिनभर की गतिविधियों पर कहीं न कहीं एनडीए के दोनों दलों के नेताओं की नजर रही। लोजपा सांसद वीणा सिंह के घर हुई जुटान में जदयू के तीन बड़े नेता देखे गये। यहां पशुपति कुमार पारस, चंदन सिंह, महबूब अली कैसर और प्रिंस राज तथा वीणा देवी के साथ लोकसभा में जदयू संसदीय दल के नेता व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललन सिंह, पासवान के निकट रिश्तेदार तथा वरिष्ठ जदयू नेता महेश्वर हजारी तथा जदयू के मुख्य प्रवक्ता तथा विधान पार्षद संजय सिंह भी मौजूद थे। जानकारी के मुताबिक लोजपा सांसदों के साथ जदयू नेताओं ने दिन का भोजन किया।
पारस की लोजपा से जदयू की रहेगी निकटता
माना जा रहा है कि अब पारस की लोजपा से जदयू की निकटता रहेगी। पशुपति पारस पहले से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रशंसक रहे हैं। सांसद बनने के पहले पारस नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में पशुपालन मंत्री भी रहे हैं तथा नीतीश कुमार ने उन्हें विधान परिषद का भी सदस्य बनवाया था। रविवार की शाम से ही चले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद सोमवार की सुबह जब उन्होंने मीडिया के समक्ष पहली प्रतिक्रया दी, तब भी इसे साफ-साफ कहा था। उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार विकास पुरुष हैं। उन्हें वे अच्छा नेता मानते हैं।