भारत बायोटेक की कोवैक्सीन कोरोना के बीटा और डेल्टा वेरिएंट से सुरक्षा प्रदान करती है.पुणे के नेशनल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और भारत बायोटेक के संयुक्त शोध में ये बात सामने आई है. बता दें कि डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) पहली बार भारत में पाया गया था और बीटा वेरिएंट (B.1.351) पहली बार दक्षिण अफ्रीका में मिला था. यह अध्ययन उन लोगों के 20 सैंपल पर आधारित है जो कि कोविड से ठीक हुए और 17 लोगों को कोवैक्सीन की दोनों डोज देने के 28 दिन बाद प्राप्त किए गए. अध्ययन में दावा किया गया है कि कोवैक्सिन ने कोरोना के इन दोनों वेरिएंट के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया.
एक सरकारी अध्ययन के मुताबिक- भारत में कोरोना की दूसरी लहर के अधिक तेजी से फैलने में डेल्टा वेरिएंट का योगदान है. शोध में ये बात भी सामने आई कि यह यूके में पहली बार पाए गए अल्फा वेरिएंट की तुलना में अधिक खतरनाक है और 50 प्रतिशत अधिक संक्रामक है. हालांकि वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि मौतों या मामलों की अधिक गंभारता में डेल्टा वेरिएंट की भूमिका का अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है.
कुछ दिन पहले आई थी स्टडी- कोविशील्ड बनाती है अधिक एंटीबॉडीज
बता दें कि कुछ दिन पहले ही एक स्टडी से खुलासा हुआ है कि कोवैक्सीन की तुलना में कोविशील्ड अधिक एंटीबॉडीज बनाती है. खबर के मुताबिक- कोरोना वैक्सीन इंडयूस्डएंडीबॉडी टाइट्रे (COVAT) के शुरुआती शोध में ये बात सामने आई. शोध में उन हेल्थवर्कर्स को शामिल किया गया, जिन्होंने कोवैक्सीन या कोविशील्ड की डोज ली थी. कोविशील्ड लगवाने लोगों में सीरोपॉजिटिविटी रेट (Seropositivity rate) से लेकर एंटी स्पाइक एंटीबॉडी कोवैक्सीन की पहली डोज लेने वालों की तुलना में अधिक थे. इस स्टडी में कहा गया कि कोरोना की दोनों वैक्सीन का प्रभाव अच्छा है, लेकिन सीरोपॉजिटिविटी रेट और एंटी स्पाइक एंटीबॉडी कोविशील्ड में ज्यादा है. इस शोध में 552 हेल्थवर्कस को शामिल किया गया, जिसमें 325 पुरुष और 227 महिलाएं थीं. 456 को कोविशील्ड और 96 को कोवैक्सीन की पहली डोज दी गई. इसी के बाद ये नतीजे सामने आए.
बच्चों के लिए खतरनाक नहीं होगी कोरोना की तीसरी लहर, डॉ. गुलेरिया ने कहा- कोई सबूत नहीं
दिल्ली: कोविड (Covid-19) की तीसरी लहर को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) ने कहा है कि तीसरी लहर बच्चों पर असर डालेगी इसके कोई प्रमाण नहीं हैं. उन्होंने कहा है कि दुनियाभर में किसी सर्वे से ऐसी बात नहीं निकली है. तीसरी वेव कब आ सकती है या बच्चों पर इसका क्या असर होगा, इसे लेकर अब तक कहीं डाटा ग्लोबल नहीं है कि बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे. इसका कोई प्रमाण नहीं है. अब तक दुनिया में डाटा नहीं है कि बच्चों में सीरियस इंफेक्शन हो.
डॉ गुलेरिया ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी जो बच्चे संक्रमित हुए वे हल्के ही बीमार पड़े. उन्होंने कहा कि नहीं लगता कि भविष्य में बच्चों में किसी गंभीर संक्रमण का खतरा देखने को मिलेगा.
देश में एक दिन में 1 लाख से कम मामले
दो महीनों से भी ज्यादा समय के बाद मंगलवार को देश में कोरोना संक्रमण के एक लाख से कम मामले दर्ज किए गए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मंगलवार सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में देश में कोविड-19 संक्रमण के 86,498 नए मामले दर्ज किए गए हैं. यह पिछले 66 दिनों में सबसे कम दैनिक मामले हैं. जिसके बाद भारत में कोरोना के सक्रिय मरीजों की तादाद 13 लाख के आंकड़े पर पहुंच गई है. पिछले 24 घंटों में एक्टिव मरीजों की संख्या में 97,907 की गिरावट आई है, कुल सक्रिय मामलों की संख्या 13,03,702 हो गई है.
कोविशील्ड और कोवैक्सीन की 44 करोड़ खुराकों के लिए ऑर्डर दिया गया
केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नई टीका नीति की घोषणा करने के बाद कोविड-19 रोधी टीकों-कोविशील्ड और कोवैक्सीन की 44 करोड़ खुराकों के लिए ऑर्डर दिया है. प्रधानमंत्री ने सोमवार को घोषणा की थी कि केंद्र राज्यों के खरीद कोटे को अपने हाथों में ले लेगा तथा 18 साल से अधिक आयु वर्ग के लोगों के लिए राज्यों को टीके मुफ्त उपलब्ध कराए जाएंगे. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि विनिर्माताओं द्वारा कोविड रोधी टीकों की इन 44 करोड़ खुराकों की आपूर्ति दिसंबर तक उपलब्ध कराई जाएगी जिसकी शुरुआत अब से हो रही है.