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सभी के लिए मुफ्त वैक्सीन का स्वागत है, पर क्या हमारे पास पर्याप्त स्टॉक है?

UB India News by UB India News
June 12, 2021
in VISHESH KHABRE, केंद्रीय राजनीती, खास खबर, ब्लॉग
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सभी के लिए मुफ्त वैक्सीन का स्वागत है, पर क्या हमारे पास पर्याप्त स्टॉक है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ऐलान किया कि उनकी सरकार सभी राज्यों को मुफ्त कोविड वैक्सीन देगी, इस घोषणा का लगभग सभी मुख्यमंत्रियों ने स्वागत किया। मोदी ने 18 साल से अधिक आयु के सभी भारतीयों को मुफ्त वैक्सीन देने का ऐलान भी किया। 21 जून से टीका लगाने का काम पूरी तरह से केंद्र सरकार के हाथ में होगा। प्राइवेट अस्पतालों को वैक्सीन की 25 फीसदी डोज उपलब्ध कराई जाएगी और वे हर डोज पर अधिकतम 150 रुपये का सर्विस चार्ज ले सकेंगे।

प्रधानमंत्री की घोषणा का हालांकि सभी ने स्वागत किया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि केंद्र वैक्सीन की सारी डोज कैसे और कब तक खरीदेगा? कोविड टीकों को लेकर चल रही निराधार अफवाहों के कारण आबादी का एक बड़ा हिस्सा वैक्सीन लगवाने को लेकर आनाकानी भी कर रहा है। अब तक पूरे भारत में वैक्सीन की 23 करोड़ से ज्यादा डोज लगाई जा चुकी हैं।

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राष्ट्र के नाम अपने संबोधन के दौरान मोदी ने सही कहा कि कुछ महीने पहले केंद्र सरकार द्वारा वैक्सीन की खरीद और वितरण की सारी जिम्मेदारी लेने पर सवाल उठाए गए थे। उन्होंने कहा कि केंद्र ने 16 जनवरी से 45 साल से ऊपर के लोगों के लिए मुफ्त टीकाकरण अभियान शुरू किया था, लेकिन इसमें सिर्फ इसलिए बदलाव किया गया क्योंकि कई राज्यों ने कहा कि वे खुद वैक्सीन खरीदना चाहते हैं। कई राज्य सरकारों ने 18 साल से ऊपर की उम्र के सभी वयस्कों को वैक्सीनेशन के लिए एलिजिबल न होने को लेकर भी सवाल उठाए थे।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘राज्यों ने वैक्सीन विकेंद्रीकरण की मांग की थी। अब उन्हें इस काम में आने वाली मुश्किल का अहसास होने लगा है। अब राज्य सरकारों को वैक्सीन भेजे जाने से एक सप्ताह पहले इस बारे में सूचित किया जाएगा कि उन्हें कितनी डोज मिलेगी। टीकों के मुद्दे पर मतभेद या बहस नहीं होनी चाहिए।’

यह सच है कि राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं ने उस समय मांग की थी कि वैक्सीन की खरीद को डिसेंट्रलाइज कर दिया जाए और राज्यों को देश-विदेश से इसे खरीदने का अधिकार दिया जाए क्योंकि संविधान के तहत स्वास्थ्य राज्य का विषय है। जब राज्य सरकारों को कम से कम 25 पर्सेंट डोज खरीदने के लिए कहा गया, तो उन्हें इसमें होने वाली मुश्किलें समझ में आईं। इसके बाद राज्यों ने अपना रुख बदलते हुए कहा कि वैक्सीन की खरीद को सेंट्रलाइज्ड कर दिया जाए।

मैं इसके बारे में आपको थोड़ा विस्तार से बताता हूं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 9 अप्रैल को प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कहा कि राज्य सरकारों को वैक्सीन की खरीद करने का अधिकार होना चाहिए। लेकिन एक महीने बाद ही राहुल गांधी ने अपनी बात पलट दी और ट्विटर पर लिखा कि वैक्सीन की खरीद को सेंट्रलाइज्ड कर देना चाहिए। विपक्ष के कई नेताओं ने आनंद शर्मा के नेतृत्व में फेडेरलिज्म का हवाला दिया, लेकिन इसके बाद 10 मई को विरोधी दलों की मीटिंग मे सोनिया गांधी ने कहा कि वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी राज्यों पर डालकर केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। 24 फरवरी को, जब बंगाल में चुनावी घमासान जारी था, ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर राज्य सरकारों को अपने फंड से वैक्सीन खरीदने की इजाजत देने का अनुरोध किया था। लेकिन मई में चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी बात बदल दी और कहा कि केंद्र को वैक्सीन खरीदकर इसे राज्य सरकारों को मुफ्त में उपलब्ध करवाना चाहिए।

इसी तरह मार्च के महीने में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मांग की थी कि वैक्सीनेशन के पूरे प्रोसेस को डिसेंट्रलाइज कर दिया जाए, और यदि ऐसा हुआ तो वह 3 महीने में दिल्ली के सभी लोगों को वैक्सीन की डोज दे देंगे। लेकिन अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर का कहर राजधानी पर टूटने के बाद उन्होंने यू-टर्न किया और कहा कि केंद्र सरकार ही वैक्सीन खरीदे और उसे राज्य सरकारों को उपलब्ध करवाए।

यह बिल्कुल साफ है कि मुख्यमंत्रियों और विपक्षी दलों के नेताओं ने पहले तो टीकाकरण अभियान के विकेंद्रीकरण की मांग की लेकिन बाद में अपनी बात से पलट गए और अब टीकाकरण अभियान की धीमी होती रफ्तार का दोष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर डाल रहे हैं।

सीधे-सीधे कहें तो जनवरी के बाद से जब देश में वैक्सीनेशन जोरों पर था, विपक्षी नेताओं और मुख्यमंत्रियों को लगा कि इस अभियान का पूरा श्रेय नरेंद्र मोदी को मिलेगा। यही वजह है कि कुछ राज्य सरकारों ने दावा करना शुरू कर दिया कि वे ई-टेंडर जारी करेंगे, कोविड के टीके खरीदेंगे और राज्य के लोगों को वैक्सीन लगाएंगे। लेकिन जब वैक्सीन बनाने और इन्हें डिस्ट्रिब्यूट करने वाली कंपनियों ने उनसे साफ-साफ कह दिया कि वे सिर्फ केंद्र सरकार के साथ डील करेंगे, तो राज्यों ने अपना रुख बदल लिया और इस बात को लेकर सहमत हो गए कि केंद्र सरकार ही टीकों की खरीद और वितरण करेगी।

कांग्रेस ने अभी भी सबक नहीं सीखा। सोमवार को प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन के कुछ देर बाद ही कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पूछा कि केंद्र अपनी वैक्सीन पॉलिसी को बार-बार क्यों बदल रहा है। शायद सुरजेवाला ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का वह ट्वीट नहीं देखा जिसमें उन्होंने लिखा है, ‘पूरे देश में सभी आयु वर्गों के लिए टीकों की खरीदारी एवं वितरण का जिम्मा अपने हाथ में लेने के लिए शुक्रिया मोदी जी। मैंने नरेंद्र मोदी जी को, और हर्षवर्धन जी को दो बार पत्र लिखकर सुझाव दिया था कि कोविड-19 टीकों संबंधी संकट से निपटने का यही एकमात्र उपाय है।’

वैक्सीन को लेकर पहले दिन से ही सियासत हो रही है। हमारे यहां वैक्सीन बनी और लॉन्च हुई, इससे पहले ही कंफ्यूजन फैलाने का काम शुरू हो गया था। वैक्सीन को डिस्क्रेडिट करने की कोशिश हुई। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इसे ‘बीजेपी की वैक्सीन’ बताते हुए कहा था कि वह इसे नहीं लगवाएंगे। मुझे याद है कि कुछ नेताओं ने यह भी कहा था कि हमारे यहां वैक्सीन की डोज का ट्रायल ठीक से नहीं हुआ है। लेकिन अब वे कह रहे हैं कि हमारी वैक्सीन असरदार हैं। लेकिन वैक्सीन के खिलाफ उनके रुख ने काफी नुकसान किया है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब अफवाहों के चलते लोगों ने वैक्सीन लगवाने से इनकार कर दिया।

सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट यह है कि अभियान के पहले चरण में अधिकांश डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने टीका लगवा लिया था। अब जबकि प्रधानमंत्री ने 18 साल से ऊपर की उम्र के सभी लोगों को मुफ्त में वैक्सीन देने का वादा किया है, तो सवाल उठता है कि क्या हमारे पास इतनी वैक्सीन होगी कि साल के आखिर तक देश के सभी लोगों का वैक्सीनेशन हो जाए? मेरे पास इसकी कुछ डिटेल्स हैं।

कोविशील्ड बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के मुताबिक, वह जून में वैक्सीन की 6.5 करोड़ डोज दे पाएगी और जुलाई में यह 7 करोड़ तक पहुंच सकता है। सितंबर से लेकर दिसंबर तक हर महीने कोविशील्ड की 11.5 करोड़ डोज उपलब्ध होगी। कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक का कहना है कि वह जून में 2.5 करोड़ डोज दे पाएगी, लेकिन जुलाई से इसका उत्पादन 3 गुना तक बढ़ जाएगा और वह सितंबर तक हर महीने 7.5 करोड़ डोज देगी। इसके बाद भारत बायोटेक हर महीने कोवैक्सीन की 10 करोड़ डोज तैयार करेगी। तब तक 3 और फैक्ट्रियों में वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो जाएगा। रूसी वैक्सीन स्पूतनिक V का उत्पादन 7 कंपनियां करेंगी। जायडस कैडिला और बायोलॉजिकल E समेत 6 और कंपनिया हैं जो सितंबर से भारत में वैक्सीन का प्रोडक्शन शुरू करेंगी। इन कंपनियों की वैक्सीन ट्रायल और अप्रूवल के अलग-अलग स्टेज में हैं।

मोटे तौर पर मैं आपसे कह सकता हूं कि जून में हमारे देश में वैक्सीन की कुल 10 करोड़, जुलाई में 17 करोड़ और अगस्त में 20 करोड़ डोज उपलब्ध होंगी। सितंबर से हर महीने 42 करोड़ से ज्यादा डोज का प्रोडक्शन होगा जो दिसंबर में बढ़कर 54 करोड़ से ज्यादा हो जाएगा। इन सबका पूरा हिसाब लगाएं तो दिसंबर तक हमारे देश में 216 करोड़ वैक्सीन की डोज उपलब्ध होंगी, जो पूरे भारत के सभी लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए पर्याप्त है।

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