मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिकायतों का नियत अवधि में निराकरण करने तथा अपील का निस्तारण समय पर सुनिश्चित कराने का निर्देश शुक्रवार को दिया। साथ ही उन्होंने सभी विभागों की लोक सेवाओं को एक मंच पर लाने का निर्देश दिया‚ ताकि आम लोगों को और अधिक सुविधा मिल सके।
मुख्यमंत्री ने शनिवार को एक अणे मार्ग स्थित संकल्प में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम तथा बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन की समीक्षा की। इस क्रम में उन्होंने कहा कि बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत लोगों को सेवाएं प्रदान करने के लिए जिला‚ अनुमंडल एवं प्रखंड स्तर पर केंद्र बनाये गये हैं। पहले प्रमाण–पत्र लेने के लिए काफी समय एवं खर्च लगता था‚ अब इसकी शुरुआत होने से लोगों को निश्चित समय के अंदर सेवाएं दी जा रही हैं। अब तक २५ करोड़ से अधिक आवेदकों ने आवेदन देकर इस कानून के माध्यम से सेवा ली है। उन्होंने कहा कि सभी विभागों के लोक सेवाओं को एक प्लेटफॉर्म पर लायें‚ ताकि लोगों को और सुविधा हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ५ जून २०१६ को बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम की शुरुआत की गई। लोगों की शिकायतों के समाधान के लिए इस कानून को लाया गया। ६० प्रतिशत से अधिक अपराध का कारण संपत्ति एवं भूमि विवाद है। लोक शिकायत निवारण कानून के अंतर्गत भूमि संबंधी समस्या‚ बिजली बिल‚ सड़कों‚ ब्रिज के मेंटेनेंस आदि जैसे कई विषयों को इसमें शामिल किया गया है। अब लोग पथों और पुलों के मेंटेन नहीं रहने पर इस कानून के अंतर्गत अपनी शिकायतें दर्ज करायेंगे‚ जिससे पथों और पुलों का मेंटेनेंस तो होगा ही‚ साथ ही जिम्मेवार पदाधिकारियों पर कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री ने सभी जिलों में इन कानूनों के क्रियान्वयन का नियमित गहन अनुश्रवण करने का निर्देश दिया‚ ताकि कार्यान्वयन में और बेहतर सुधार किया जा सके। उन्होंने कहा कि अन्य प्रचार माध्यमों के साथ–साथ लोक चौपाल के जरिये लोगों को इन कानूनों के संबंध में ज्यादा से ज्यादा जानकारी दें‚ ताकि वे इसका लाभ उठा सकें। इससे पूर्व सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव चंचल कुमार ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम तथा बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन एवं अनुश्रवण‚ परिणाम‚ उपलब्धियां एवं जनजागरुकता के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।