सीवान के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन का निधन राजद नेताओं के लिए गले की हड्डी बन गई है। पार्टी में लगातार विरोध के स्वर उभरने लगे हैं। विशेषकर मुस्लिम तबके के नेताओं में शहाबुद्दीन के निधन के बाद जिस तरह का पार्टी की तरफ से रुख अपनाया गया‚ उसको लेकर गहरी नाराजगी है। पार्टी में फूट पडने लगी है‚ जिसकी शुरुआत राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष सलीम परवेज ने कर दी है। सलीम परवेज के इस्तीफे के बाद से पार्टी में खलबली मच गई है। बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति रह चुके सलीम परवेज ने न सिर्फ पार्टी उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है बल्कि राजद से भी खुद को अलग कर लिया है। पार्टी से अलग होने के फैसले को लेकर उन्होंने एक विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि शहाबुद्दीन से मेरा व्यक्तिगत संबंध था और वे मेरे अच्छे मित्र व भाई समान थे। उनके निधन से मर्माहत व स्तब्ध हूं। सलीम परवेज ने कहा कि मो. शहाबुद्दीन पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे हैं। उन्होंने पार्टी के गठन में अहम भूमिका निभाई। राजद के लिए वह समर्पित नेता रहे हैं। लेकिन‚ उनके बीमार पडने‚ तिहाड में घटी घटनाओं‚ एम्स की जगह प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने‚ मृत्यु के बाद सस्पेंस बनाने‚ पार्थिव शरीर देने में आनाकानी करने को लेकर पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं की तरफ से चुप्पी साध ली गई। यह बेहद निराश करने वाला है। यहां तक कि निधन के बाद भी पार्टी के किसी नेता ने शहाबुद्दीन के बेटे को कोई सहयोग नहीं दिया‚ न सांत्वना दी। अपने सच्चे सिपाही‚ संस्थापक सदस्य और उसके परिवार के प्रति ऐसी उपेक्षा आपत्तिजनक है। ऐसे में इस पार्टी के साथ अब चलना संभव नहीं है। न सिर्फ पार्टी उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया बल्कि राजद से भी खुद को अलग कर लिया
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