पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन को सोमवार को दिल्ली के आइटीओ बेरुन दिल्ली गेट स्थित जदीद कब्रिस्तान में दफनाया गया. इसके पहले परिजनों व शुभचिंतकों ने जनाजे की नमाज अदा की. कोर्ट व प्रशासन की सख्ती के चलते उनका पार्थिव शरीर सीवान के प्रतापपुर नहीं लाया जा सका. इससे उनके समर्थकों में मायूसी के साथ आक्रोश भी है.
उनका कहना है कि जब शहाबुद्दीन जेल से जमानत पर रिहा हुए थे, तो उनके साथ 1500 गाड़ियों का काफिला निकला था. वहीं, उनके निधन पर चंद लोग ही शरीक हुए. इधर, सोशल साइट पर राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष डाॅ तनवीर हसन एवं प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने शहाबुद्दीन के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.
राजद नेताओं ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद तिहाड़ जेल प्रशासन ने शहाबुद्दीन के इलाज के प्रति गंभीरता नहीं दिखायी. 21 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद भी सामान्य स्तर की चिकित्सा उपलब्ध करायी गयी. स्थिति बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया.
जबकि तीन दिन पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट ने उनके बेहतर इलाज कराने और इस दौरान परिवार वालों से मिलवाने का निर्देश जेल प्रशासन को दिया था. बाहुबली नेता और पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन का शनिवार की सुबह निधन हो गया था. इसकी पुष्टि कई घंटों के बाद तिहाड़ जेल प्रशासन ने की थी. तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे शहाबुद्दीन को कोरोना संक्रमण के बाद दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
समर्थकों ने सरकार व राजद पर लगाये गंभीर आरोप
शाहबुद्दीन के निधन से परिजन व समर्थक मर्माहत हैं. परिजनों ने सरकार व जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. परिजनों का आरोप है कि समय रहते समुचित इलाज मिला होता तो उनकी जान बच जाती. वहीं, उनके समर्थकों का कहना है कि सरकार ने न्याय नहीं किया है. उनके नेता राजनीतिक चक्रव्यूह के शिकार हो गये.
कुछ समर्थकों ने राजद के सुप्रीमो पर अनदेखी करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि शहाबुद्दीन आजीवन पार्टी के लिए संघर्षशील रहे. वे पार्टी के फाउंडर मेंबर थे. इसके बावजूद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी सुधि नहीं ली. समर्थक सोशल मीडिया के माध्यम से अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं.
समर्थकों के बीच रॉबिनहुड और विरोधी के लिए बाहुबली की पहचान वाले राजद के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के सुपुर्द-ए- खाक को लेकर बड़ी खबर सामने आयी है. प्रशासन ने पूर्व सांसद के शव को उनकी जन्मस्थली बिहार के सीवान लाने से इनकार किया है वहीं शहाबुद्दीन के परिजन इसके लिए लगातार प्रयासरत हैं.
इसी क्रम में मो. शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब का एक ट्वीट सियासी जगत के चर्चा में आ गया. ओसामा ने सीधे तौर पर तेजस्वी यादव को चैलेंज दे डाला है. उन्होंने ट्वीट किया- अगर हमारे अब्बू डॉ शहाबुद्दीन साहब अपनी जन्मभूमि सिवान में दफन नहीं हुए तो, तेजस्वी यादव की राजनीति हमेशा के लिए ज़मीन में दफन हो जाएगी, इंशाअल्लाह!!
ओसामा के इस ट्वीट पर तेजस्वी यादव ने भी रिप्लाई किया. उन्होंने लिखा- शासन-प्रशासन ने कोविड प्रोटोकॉल का हवाला देकर अड़ियल रुख़ बनाए रखा. पोस्ट्मॉर्टम के बाद प्रशासन उन्हें कहीं और दफ़नाना चाह रहा था लेकिन अंत में कमिश्नर से बात कर परिजनों द्वारा दिए गए दो विकल्पों में से एक आईटीओ क़ब्रिस्तान की अनुमति दिलाई गयी.
ईश्वर मरहूम को जन्नत में आला मकाम दे. इलाज़ के सारे इंतज़ामात से लेकर मय्यत को घरवालों की मर्ज़ी के मुताबिक़ उनके आबाई वतन सिवान में सुपुर्द-ए-ख़ाक करने के लिए मैंने और राष्ट्रीय अध्यक्ष ने स्वयं तमाम कोशिशें की,परिजनों के सम्पर्क में रहें लेकिन सरकार ने हठधर्मिता अपनाते हुए टाल-मटोल कर आख़िरकार इजाजत नहीं दिया.हम ईश्वर से मरहूम शहाबुद्दीन साहब की मग़फ़िरत की दुआ करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उन्हें जन्नत में आला मक़ाम मिले. उनका निधन पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति है. राजद उनके परिवार वालों के साथ हर मोड़ पर खड़ी रही है और आगे भी रहेगी.
इससे पहले जाप प्रमुख पप्पू यादव ने जरूर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने लिखा- ओसामा निश्चित रूप से आपके पिता को उनकी जन्मभूमि में सुपुर्द-ए-ख़ाक होना चाहिए. राजनीति का तो नहीं पता, लेकिन यह उनका ही नहीं, हर नागरिक का संवैधानिक हक है. मैं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जी और लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल साहब से इस संबंध में संपर्क कर रहा हूं.
इससे पहले राजद सीवान के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा गया- मरहूम शहाबुद्दीन साहब के इलाज़ से लेकर अबतक राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय लालु यादव जी स्वयं लगातार उनके परिजनों के सम्पर्क में रहे हैं और पार्टी हरसंभव मदद करती आयी है. क़ानूनी प्रक्रिया से लेकर सरकार तक उनके जनाजे की नमाज उनके आबाई वतन में हो इसके लिए भी तमाम कोशिशें की गयीं.
गौरतलब है कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए प्रशासन ने शहाबुद्दीन के शव को सीवान लाने की अनुमति नहीं दी थी. शहाबुद्दीन के पुत्र ओसामा ने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है कि उन्हें पिता से दिन में दो बार बात करने भी नहीं दिया जाता था. स्वास्थ्य की हालत के बारे में भी सही जानकारी नहीं दी जा रही थी.