राजधानी के सरकारी अस्पतालों में कोरोना से पिछले 24 घंटे में 25 लोगों की मौत हो गयी। इनमें 10 लोगों की मौत पीएमसीएच‚ चार की पटना एम्स और 11 की मौत एनएमसीएच में हुई। पीएमसीएच में शुक्रवार को छपरा के छह महीने के बच्चे के अलावा चश्मा गली के देवदास कुमार‚ शेखपुरा के राजेन्द्र पासवान‚ कदमकुआं के शिवेन्द्र सिन्हा‚ पटना के रंजन प्रसाद सिंह‚ लज्जु सिंह‚ फुलमतिया देवी‚ छपरा के सुनील कुमार साह‚ पटना सिटी की पुष्पा गुप्ता और फतुहा की बिमला देवी की मौत कोरोना से हो गयी। एनएमसीएच में मरने वालों में पटना के सात लोग शामिल हैं। मृतकों में बोकारो की मुन्नी देवी‚ आशियाना दीघा रोड़‚ के 95 वर्षीय हजारी लाल‚ चौकशिकारपुर‚ पटना सिटी के 63 वर्षीय मनोज कुमार‚ मिरजापुर‚ नोटा‚ फतुहा के 50 वर्षीय संजय कुमार‚ सिकन्दरपुर‚ मुजफ्फरपुर की 60 वर्षीया मीना देवी‚ एक्सीविजन रोड़‚ पटना के 52 वर्षीय मो. खालिद अंसारी‚ सिमली‚ चकनूरी‚ पटना की 28 वर्षीया कुमकुम कुमारी‚ छपरा‚ बनियापुर‚ सारण के 47 वर्षीय मुस्फा अंसारी‚ अशोकनगर‚ कंकड़़बाग के 55 वर्षीय मनोज कुमार अम्बष्टा‚ सदरपुर‚ कराय परशुराय‚ नालंदा की 45 वर्षीया कमलाती कुमारी और अशोकनगर कंकड़़बाग के 59 वर्षीय अजय कुमार शामिल हैं। अस्पताल अधीक्षक ड़ॉ. विनोद कुमार सिंह एवं एपिडे़मियोलॉजिस्ट ड़ॉ. मुकुल कुमार सिंह ने यह जानकारी दी। बताते चलें कि इस अस्पताल में अब तक 434 कोरोना मरीजों की मौत हो चुकी है।
इधर‚ पटना एम्स में शुक्रवार को फुलवारीशरीफ नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन रानीपुर निवासी चितरंजन पासवान उर्फ चेतन पासवान समेत चार मरीजों की मौत कोरोना से हो गयी। पूर्व चेयरमैन चेतन पासवान की तबियत अचानक खराब हो जाने पर 29 अप्रैल को पटना एम्स में भर्ती कराया गया था जहां चंद घंटे के इलाज के दौरान ही आधी रात पौने एक बजे उनकी मौत हो गई। वर्तमान में चेतन पासवान की पत्नी बबिता देवी वार्ड़ पार्षद हैं। पटना एम्स के कोरोना नोड़ल आफिसर ड़ॉ. संजीव कुमार के मुताबिक पटना एम्स में नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन 51 वर्षीय चितरंजन पासवान उर्फ चेतन पासवान‚ बेउर की गौरी यमुना विहार श्रीकृष्ण विहार कोलोनी निवासी ५६ वर्षीया नीलम सिन्हा‚ चांदपुर बेला जक्कनपुर निवासी 55 साल के संजय कुमार और गया की आनंद भवन निवासी 50 वर्षीया पुष्पिका कुमारी की मौत कोरोना से हो गयी। वहीं एम्स के आइसोलेशन वार्ड़ में 41 नये कोरोना पॉजिटिव मरीजां को भर्ती कर इलाज शुरू किया गया है। इसमें पटना के सबसे ज्यादा 33 मरीज शामिल हैं। एम्स में 14 लोगों ने कोरोना को मात दिया जिन्हें डि़स्चार्ज कर दिया गया। वहीं शुक्रवार शाम तक आइसोलेशन वार्ड़ में एड़मिट कुल 331 मरीजों का इलाज चल रहा था।
कोरोना के तेज रफ्तार ने बिहार को बेदम कर रखा है. संक्रमण और मौतों का दर तेजी से बढ़ रहा है. सरकारी आंकड़े डरावने होने लगे हैं. राज्य में पिछले 24 घंटे के दौरान 15853 नये कोरोना पॉजिटिव के मामले पाये गये हैं. चौंकानेवाली स्थिति यह है कि राज्य के आठ ऐसे जिले हैं जहां पर हर जिले में 500 से अधिक कोरोना पॉजिटिव केस पाये गये हैं. राजधानी पटना में सर्वाधिक 2844 नये मामले पाये गये हैं. इसके अलावा गया जिला में नये कोरोना पॉजिटिवों की संख्या 1203 हो गयी है. गया राज्य का सर्वाधिक कोरोना पॉजिटिव वाला दूसरा जिला बन गया है.
स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी कोरोना पॉजिटिव के नये संक्रमितों के आंकड़ों के अनुसार नालंदा जिला में 881 नये मामले, बेगूसराय जिला में 786, मुजफ्फरपुर जिला में 638, पूर्णिया जिला में 613, पश्चिम चंपारण जिला में 573 और समस्तीपुर जिला में 500 नये कोरोना संक्रमित पाये गये हैं. इसके अलावा मधेपुरा में 346, मधुबनी में 490, मुंगेर में 191, ,सहरसा में 328, सारण में 457,अररिया में 219, अरवल में 129, औरंगाबाद में 436, बांका में 249, भागलपुर में 443, भोजपुर में 138, बक्सर में 89, दरभंगा में 213, पूर्वी चंपारण में 251, गोपालगंज में 348, जमुई में 305 मामले सामने आए. जहानाबाद में 177, कैमूर में 131, नवादा में 150, रोहतास में 274 कटिहार में 280, खगड़िया में 270, किशनगंज में 162, लखीसराय में 178, शेखपुरा में 151, शिवहर में 71, सीतामढ़ी में 150, सीवान में 406, सुपौल में 391 और वैशाली जिला में 315 नये कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं. इसके अलावा दूसरे राज्यों के 77 लोगों के सैंपल भी पॉजिटिव पाये गये हैं.
धंधेबाज इस आपदा में भी जिंदगी से मोक्ष तक का सौदा करने से बाज नहीं आ रहे
कोरोना से हर दिन सैंकड़ों परिवार उजड रहे हैं. राज्य सरकार ने इलाज की सुविधाएं बढ़ाने के साथ ही मुफ्त में अंतिम संस्कार की व्यवस्था भी की है़ लेकिन, धंधेबाज इस आपदा में भी जिंदगी से मोक्ष तक का सौदा करने से बाज नहीं आ रहे हैं. ऑक्सीजन की जरूरत है, तो प्लांट के बाहर कई सारे दलाल खड़े हैं, जो पैसा लेंगे और एक साथ कई लोग सिलिंडर लेकर लाइन में लग जायेंगे और ऑक्सीजन रिफिलिंग करा दे देंगे. वहीं, अंतिम संस्कार के लिए बांसघाट पर दलालों ने रेट तय कर दिया है. यहां तक कि पैकेज बना रखा है. इस खेल का पर्दाफाश करने के लिए संवाददाता ने शुक्रवार को बांसघाट पर स्टिंग ऑपरेशन किया. दलालों के समूह में एंबुलेंस चालक से लेकर अंदर और बाहर के कई दुकानदार भी शामिल हैं.
संवाददाता ने जताई मजबूरी
संवाददाता बांसघाट के मुख्य द्वार के अंदर पहले दुकानदार से बात की. रोते हुए संवाददाता पहुंचा और कहा-भइया, हमार चाचा मर गइल बानि, जरा जल्दी अंतिम संस्कार करवाइ न…यह सुन दुकानदार ने कहा-शव लेकर आये हैं. रजिस्ट्रेशन हो गया है. कूपन नंबर मिला. संवाददाता रोते हुए कहा-चाची की तबीयत भी बिगड़ गइल बा. थोड़ा जल्दी करवा दीहीं न…
ऐसे दिया दिलासा…
दुकानदार : रात होता तो जल्दी हो जाता…दिन में बहुत रिस्क है. फिर भी कोशिश करते हैं जो आप लकड़ी में पैसा लगाइयेगा, उससे आधे में ही शवदाह गृह में शव जल जायेगा. कोशिश करते हैं. पहले शव तो ले आइए. यहां आइयेगा, आपको किसी से बोल कर पहले करवा देंगे.
संवाददाता ने जब बांसघाट पर अंतिम संस्कार कराने आये परिजन से बात की तो पता चला कि शवदाह गृह में भी जो कर्मी शव जला रहे हैं, वह भी 300 रुपये ले रहे हैं. अगर जल्दी जलाना है तो उसमें बहुत पैरवी लगेगी. परिजन ने कहा-हम तो खुद बहुत परेशान हैं. सुबह से नंबर लगाये हैं. अभी लकड़ी से जलाने का नंबर आया है. बहुत जगह पैसा देना पड़ता है भइया.
ऑक्सीजन : पैसे देकर लाइन में लगवा देता है
एक ऑक्सीजन प्लांट के एक कर्मी ने बताया कि यहां इतने दलाल हैं कि हमलोग बहुत परेशान हैं. दलाल के दर्जनों लोग मौजूद हैं. उन्हें 100-200 रुपये देकर लाइन में लगवा देता है. सिलिंडर जितना अधिक किलो का, उतना अधिक पैसा. अब तो महिला भी खड़ी हो जाती है. कई बार तो एक ही महिला दिन भर में दो से तीन बार आ जाती है.
संवाददाता जब बांसघाट में घुसा और कहा कि उनके परिवार में कोई कोरोना से मर गया तो अंदर बैठे एक दुकानदार कहता है कि भइया, यहां नगर निगम सबको लकड़ी नहीं देता. इसके बाद संवाददाता के साथ वह खुद जाता है और नगर निगम के कर्मी से बात करता है कि इनका कोरोना मरीज है. पीएमसीएच से आ रहा है. ये सुन नगर निगमकर्मी बोलता है कि यहां नहीं, गुलबी घाट जाइए. इसके बाद दुकानदार की बात सुनिए…उसने कहा कि इधर-उधर का चक्कर लगाते रह जाइयेगा भइया. मैं लकड़ी दिलवा दूंगा. 10 हजार रुपये तक लकड़ी लगेगी. शव और लकड़ी ढोने का 2000, सजाने का 1500 और जलाने वाला लेगा 2100 रुपये. मुखाग्नि देगा न कोई. वही तो लाश नहीं जलायेगा. उसको जलाने वाला भी चाहिए न. इसलिए वह 2100 रुपये लेगा.
गुलबी घाट तक सेटिंग है भाई…
अगर आपको जानकारी नहीं है और गलती से बांसघाट पहुंच गये तो कोई बात नहीं. यहां के दलाल आपको गुलबी घाट के दलालों का भी नंबर दे देंगे. बांसघाट पर दुकानदार के रूप में बैठे दलाल का नेटवर्क बहुत तगड़ा है. दुकानदार ने बताया कि आप चिंता मत कीजिए. आप सीधे एंबुलेंस को मोड़िए और पहुंच जाइए गुलबी घाट, वहां एक बंगाली बाबा है. बहुत नामी है. उनको मेरा नाम बताइयेगा. वह आपको सब काम करा देंगे. लकड़ी कम दाम में उपलब्ध करा देंगे. इधर-उधर कुछ थोड़ा पैसा लगेगा, वह भी मैनेज हो जायेगा. यूं समझिए न 15 हजार रुपये में आपका सब काम हो जायेगा. इसके बाद दुकानदार ने अपना नंबर दिया और बात कराने को कहा.