बिहार के मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह की कोरोना से मौत हो गई है। मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह को इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। मुख्य सचिव की मौत के बाद प्रशासनिक गलियारे में शोक की लहर है।
अरुण कुमार सिंह 1985 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी थे। 28 फरवरी को सरकार ने उन्हें मुख्य सचिव के पद पर तैनात किया था। पिछले दिनों वह कोरोना संक्रमित पाए गए थे और तब से लगातार उनका इलाज चल रहा था। बिहार के मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह की कोविड-19 से मौत को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शोक व्यक्त कर श्रद्धांजलि दी है।
कैबिनेट ने एक मिनट का मौन रखा, राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार होगा
अरुण सिंह के निधन की खबर जब आई, उस वक्त नीतीश कैबिनेट की मीटिंग खत्म होने वाली थी। यह सूचना आते ही कैबिनेट में एक मिनट का मौन रखा गया। CM नीतीश ने कहा कि वे एक कुशल प्रशासक और मिलनसार व्यक्ति थे। विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने अपनी भूमिका का बेहतर निर्वहन किया। उनके निधन से प्रशासनिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा- कुछ कहने को शब्द नहीं
मुख्य सचिव के निधन की खबर आते ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया के माध्यम से शोक जताया है। उन्होंने कहा- बिहार सरकार के मुख्य सचिव श्री अरूण कुमार सिंह जी की कोरोना संक्रमण के कारण हुई असामयिक मौत पर मर्माहत हूं। कुछ कहने को शब्द नहीं। भगवान दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।
पश्चिम चंपारण के रहने वाले थे अरुण सिंह
मूल रूप से पश्चिम चंपारण के रहने वाले अरुण सिंह इसी साल 31 अगस्त को रिटायर होने वाले थे। वे इससे पहले विकास आयुक्त के अलावा बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान के महानिदेशक का पद भी संभाल रहे थे। अरुण सिंह काफी सालों तक जल संसाधन विभाग की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। इसके अलावा पथ निर्माण विभाग और सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग में भी सचिव रहे हैं।
जाने-माने डॉक्टर शत्रुघ्न राम का भी निधन
बिहार में टोटल नी रिपलेसमेंट और हिप रिपलेंसमेंट की शुरुआत करने का श्रेय विख्यात हड्डी एवं नस रोग विशेषज्ञ डॉ. शत्रुघ्न राम को जाता है। देर रात हार्ट अटैक से उनका भी निधन हो गया है। वे 72 वर्ष के थे। इंग्लैंड की नौकरी छोड़कर 1999 में वे पटना के राजेन्द्र नगर में आकर बस गए थे। बिहार में हड्डी और नस रोग की अत्याधुनिक सुविधा उपलब्ध कराने की इच्छा की वजह से ही वे इंग्लैंड से वापस लौटे थे। 21 अप्रैल को उन्हें साईं हॉस्टपिटल में और उसके बाद 29 अप्रैल को रूबन हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया। कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे। हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले अपनी क्लिनिक में लगातार मरीजों को देख रहे थे और ऑपरेशन भी कर रहे थे। वे मूल रूप से सहरसा के ग्वालपाड़ा के रहनेवाले थे।