कोरोना वायरस संक्रमण की तेज वृद्धि वाली दूसरी लहर के बीच मोदी सरकार पर कई आरोप लग रहे हैं. विधानसभा चुनावों वाले राज्यों में कोविड प्रोटोकॉल के पालन नहीं करने से लेकर एक बड़ा आरोप यह भी है कि मोदी सरकार ने कोरोना संक्रमण की पहली लहर के बाद कुछ नहीं किया. इन आरोपों को ध्वस्त करने और सच्चाई सामने लाने के लिए गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश कर बीते एक साल से किए गए कामों और कदमों को गिनाया है. लगभग 200 पन्नों के हलफनामे में ऑक्सीजन की कमी दूर करने से लेकर रेमडेसिविर इंजेक्शन जुटाने तक के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है. सरकार ने इसके साथ ही यह भी कहा है कि यह कहना भी सरासर गलत होगा कि कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर में लोगों की तकलीफों को हल्के में लिया गया.
सरकार शुतुरमुर्ग नहीं बनी
सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत किए गए हलफनामे में कहा गया है कि यह झूठ है कि कोरोना महामारी की पहली लहर के बाद कोई कदम नहीं उठाया गया और सरकार दूसरी लहर से अनभिज्ञ बनी रही. सरकार के मुताबिक अस्पतालों तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाने और रेमडेसिविर का उत्पादन बढ़ाने के लिए युद्धस्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं. देश में अचानक ऑक्सीजन की कमी पर भी सरकार ने पक्ष रखा है. सरकार ने कहा कि किसी भी देश में मेडिकल ऑक्सीजन असीमित नहीं हो सकती है. देश में उपलब्ध ऑक्सीजन सभी राज्यों को खासकर कोविड-19 के ज्यादा मामलों से जूझ रहे राज्यों को संतुलित तरीके से मुहैया कराई जा रही है.
युद्धस्तर पर किए जा रहे हैं काम
मंत्रालय ने कहा कि संक्रमण के मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी के कारण उपलब्ध संसाधन के हिसाब से कुछ मुश्किल हुई, जिससे पेशेवर तरीके से निपटना होगा. सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर 200 पन्नों के हफलनामे में कहा गया कि मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय युद्ध स्तर पर 162 पीएसए (स्थानीय स्तर पर ऑक्सीजन उत्पादन के लिए अपनाई जाने वाली तकनीक) संयंत्र लगाने की प्रक्रिया में है. सरकार ने ऑक्सीजन संसाधन को जुटाने के लिए तमाम प्रयास शुरू कर दिए हैं और उपलब्ध सभी स्रोतों से और ऑक्सीजन हासिल करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
तकलीफ को हल्के में लेने का आरोप गलत
हलफनामे में कुछ राज्यों में ऑक्सीजन की मांग और उत्पादन की स्थिति का भी उल्लेख किया गया है. महामारी के दौरान लोगों नागरिकों की परेशानियों और कष्टों को हल्के में लेने के आरोपों को भी केंद्र ने नकार दिया. सरकार ने कहा कि दिक्कतें दूर करने और जान के नुकसान को कम करने के लिए त्वरित, ठोस और समग्र कदम उठाए जा रहे हैं. सरकार ने कहा है कि वह संक्रमण के अप्रत्याशित मामलों के बावजूद युद्ध स्तर पर इससे निपटने के लिए तमाम प्रयास कर रही है, साथ ही कुछ न करने के झूठ से भी निपट रही है.
सरकार ने पेशेवर तरीके से उठाया है हर कदम
हलफनामे में कहा गया, दिए गए तथ्यों से यह अदालत संतुष्ट होगी कि शुरुआत से मौजूदा गंभीर समय तक केंद्र सरकार ने महामारी के मामले में हर जरूरी चीजों से लैस करने के लिए बेहद पेशेवर तरीके से कई कदम उठाए हैं. संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान नागरिकों की परेशानियों और कष्ट को हल्के में नहीं लिया जा सकता और ना ही हल्के में लिया गया है. केंद्र ने कहा कि रेमडेसिविर की मांग बढ़ने पर केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने सात मैन्यूफैक्चरर्स की 22 मैन्यूफैक्चरिंग साइट को अनुमति के साथ 12 अप्रैल को तत्काल 31 अतिरिक्त मैन्यूफैक्चरिंग साइट को मंजूरी दी. सरकार ने कहा कि उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाया जा रहा है.