भारत और रूस (India-Russia) के रिश्तों को लेकर पिछले कुछ समय से अटकलें लगाई जा रही हैं. खासकर जब से यह खबर आम हुई है कि रूस पाकिस्तान (Pakistan) को सैन्य उपकरण देगा और दोनों देश संयुक्त नौसेना अभ्यास करेंगे, तब से नई दिल्ली-मॉस्को के दशकों पुराने रिश्तों पर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, अब रूस ने इन अटकलों पर विराम लगा दिया है. मॉस्को ने साफ कर दिया है कि भारत उसका विश्वसनीय सहयोगी था और हमेशा रहेगा. रूस के इस बयान से पाकिस्तान को मिर्ची लगनी तय है.
‘हमारे बीच कोई गलतफहमी नहीं’
रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन (Roman Babushkin) ने भारत को एक विश्वसनीय सहयोगी करार देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच कोई मत भिन्नता या गलतफहमी नहीं है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्र संबंधों के आधार पर रूस का पाकिस्तान के साथ सीमित सहयोग है. बाबुश्किन ने भारत और पाकिस्तान सीमा पर 2003 के संघर्ष विराम समझौते का सख्ती से पालन करने की प्रतिबद्धता का स्वागत किया और कहा कि यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बेहद महत्वपूर्ण कदम है.
Lavrov की Pak यात्रा पर दी सफाई
बाबुश्किन ने आगे कहा कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर क्षेत्रीय आम सहमति बनाने की प्रक्रिया में भारत को हिस्सा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अफगान शांति प्रक्रिया को लेकर नई दिल्ली और मॉस्को का रुख एक-समान है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) की पाकिस्तान यात्रा के बारे में पूछे जाने पर बाबुश्किन ने कहा कि रूस के पाकिस्तान के साथ स्वतंत्र संबंध हैं और हम किसी के साथ रिश्तों को किसी और के खिलाफ लक्षित नहीं करते हैं. उन्होंने कहा, ‘हम मानते हैं कि यह देखने का कोई कारण नहीं है कि हमारे बीच किसी तरह की भिन्नता या गलतफहमी है, क्योंकि भारत-रूस संबंधों में ऐसी कोई बात नहीं है’.
Kudashev ने दोहराई मजबूती की बात
वहीं, बाबुश्किन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में रूसी राजदूत निकोलाई कुदाशेव (Nikolay Kudashev) ने पश्चिमी देशों की हिन्द प्रशांत रणनीति की आलोचना की. साथ ही उन्होंने दोहराया कि भारत, रूस का विश्वसनीय सहयोगी है और दोनों देशों के बीच काफी मधुर और मजबूत संबंध हैं. रूसी विदेश मंत्री की छह अप्रैल की भारत यात्रा के बारे में उन्होंने कहा कि इसका मकसद इस साल के उतरार्द्ध में संभावित भारत-रूस शिखर वार्ता की तैयारियों से संबंधित था.