राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य में पंचायत चुनाव की तैयारियों को लेकर बैठक कर विभिन्न जिलों को महत्वपूर्ण दिशा–निर्देश जारी किया है। बैठक में नवगठित पंचायती राज व्यवस्थाओं का ब्यौरा मांगा गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने वैसे अभ्यर्थियों के नामों की लिस्ट मांगी है‚ जिन्होंने २०१६ के पंचायत चुनाव के अपने चुनावी खर्च का ब्योरा चुनाव पदाधिकारियों ने नहीं सौंपा। आयोग ने सभी जिलों को निर्देश दिया कि पंचायत चुनाव के लिए पूर्व निर्धारित कोटिवार आरक्षण की इंट्री ऑनलाइन सुनिश्चित कराएं। इस बार पुराने आरक्षण पर ही पंचायत चुनाव कराने का भी निर्णय लिया है। सभी जिले के डीएम को आदेश दिया है कि वार्ड से लेकर जिला परिषद तक आरक्षित नियमावली के अनुसार जो भी सीट आरक्षित है‚ उसकी सूची ४८ घंटे के अंदर पंचायत स्तर तक सार्वजनिक कर दिया जाये ताकि किसी भी उम्मीदवारों को नामांकन करने में कोई परेशानी नहीं हो। पंचायत के पदों के आरक्षण की स्थिति को डिजिटाइजेशन कराने का निर्देश दिया है जिससे कि प्रत्याशियों के नामांकन‚ नामांकन की जांच‚ मतगणना में आसानी होगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा है इससे राज्य के मुखिया‚ सरपंच‚ वार्ड सदस्य‚ पंच पंचायत समिति के सदस्य और जिला पार्षदों के प्रत्याशियों को आरक्षित पदों की संख्या के बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी। आयोग ने निदæश दिया है कि त्रिस्तरीय पंचायतों और ग्राम कचहरी के विभिन्न पदों के लिए होने वाले निर्वाचन में विभिन्न पदों को ऑनलाइन कर दिया जाए। राज्य निर्वाचन आयोग से पूर्व निर्धारित आरक्षित पदों की सूची को अभी तक जिला कार्यालयों और आयोग कार्यालयों में संरक्षित रखा गया है। आयोग ने पंचायत चुनाव कराने के लिए कम्युनिकेशन शैडो जोन वाले मतदान केंद्र की भी पहचान का भी निर्देश दिया है। आयोग ने यह निर्देश अररिया‚ पश्चिम चंपारण‚ बांका‚ किशनगंज‚ कैमूर‚ रोहतास‚ गया और जमुई के जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को दिया है। इन तमाम जिलों में कई ऐसे मतदान केंद्र हैं‚ जहां कम्युनिकेशन (संचार) की समस्या है। इधर पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि कहा है कि सरकार चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है। ऐसे में निर्वाचन आयोग को तय करना है कि चुनाव कब करवाने हैं।
बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं. आयोग द्वारा यह तय कर दिया गया है कि किसी भी प्रत्याशी का नाम उस चुनाव क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल है तो वह उस प्रखंड के किसी भी ग्राम पंचायत से मुखिया, सरपंच और पंचायत समिति के सदस्य का चुनाव लड़ सकेंगे. आयोग द्वारा ग्राम पंचायत के सदस्य और 6 पदों के प्रत्याशियों के लिए चुनाव क्षेत्रों, उम्र सीमा और नामांकन शुल्क की फीस भी जारी कर दी गई है. पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी का नाम मतदाता सूची में होना अनिवार्य है.
निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देश के अनुसार, ग्राम पंचायत सदस्य और ग्राम कचहरी के पद के लिए चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी उस ग्राम पंचायत के उसी वार्ड से भी चुनाव लड़ सकता है, जिस निर्वाचन क्षेत्र की सूची में उसका नाम दर्ज है. पंचायत समिति के सदस्य प्रखंड के किसी भी चुनाव क्षेत्र से चुनाव लड़ने का हकदार होगा. जिला परिषद का सदस्य चुनाव लड़ने वाला प्रत्याशी का नाम जिला के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज होना चाहिए.
प्रत्याशियों के लिए नामांकन शुल्क तय
राज्य निर्वाचन आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पंचायत चुनाव के विभिन्न पदों पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की उम्र सीमा 21 वर्ष होनी चाहिए. ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के नामांकन शुल्क को भी आयोग ने तय कर दिया है. ग्राम कचहरी पंच और ग्राम पंचायत सदस्य के प्रत्याशियों के नामांकन का शुल्क 250 रुपया रखा गया है. इसी पद की महिला प्रत्याशी और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग की महिला का नामांकन शुल्क 50 फीसदी कम यानी 125 रुपये रखा गया है.
राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव को लेकर सभी जिलों को नए नगर निकायों के अस्तित्व में आने के बाद बच गए बच गए पंचायतों की मौजूदा रिपोर्ट तैयार कर आयोग को तत्काल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. दरअसल, नए नगर निकायों के गठन के बाद ग्राम पंचायत, ग्राम कचहरी और पंचायत समिति के साथ ही जिला परिषद के निर्वाचन क्षेत्रों में बदलाव आया है.