पिछले दिनों वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा से संबंधित विषय पर एक महत्वपूर्ण विचार पर चर्चा हुई। 25 सरकारी और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के प्रमुख एक संयुक्त कॉल में एक साथ आए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को महामारी संबंधी तैयारियों पर विचार–विमर्श किया गया। कहा जा रहा है कि प्रस्तावित संधि भविष्य के स्वास्थ्य संकटों से दुनिया को बचाने के लिए आवश्यक उच्चस्तरीय राजनीतिक कार्रवाई का संकेत देगी। सभी देशों के लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने वाले किसी भी एजेंडे का हमेशा स्वागत है। कोविड़ महामारी दुनिया के आगे नई चुनौतियां लाई है। समूची दुनिया पहले से ही कई संकटों का सामना कर रही थी। जलवायु परिवर्तन‚ आर्थिक विषमता‚ तकनीकी असमानता के बाद अब एक वायरस के कारण नई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। विश्व समुदाय को अतीत की गलतियों को सुधारना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि संधि का लाभ आम लोगों तक पहुंचे। कोई भी संधि राज्यों या अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच अंतरराष्ट्रीय समझौते को दर्शाती है। यह अंतरराष्ट्रीय कानून के प्राथमिक स्त्रोत हैं। ऐसे समय में जब एक वायरस ने शासन को पूरी तरह से बाधित कर दिया है। भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए परिभाषित नियमों की आवश्यकता महत्वपूर्ण हो जाती है। इसके साथ हम दूसरे पहलू को नजरअंदाज नहीं कर सकते। हमें समझने की जरूरत है कि समकालीन वैश्विक शासन में ऐसी स्थिति को बढ़ावा दिया जिसके नतीजे गरीबों के पक्षधर हैं। विकसित देशों में औद्योगीकरण और शहरीकरण से स्वास्थ्य संबंधी बड़े गंभीर मुद्दे भी पैदा हुए। इस संदर्भ में फिर सोचने की जरूरत है कि क्या यह संधि अमीर और गरीब देशों के हिस्से पर सही जवाबदेही सुनिश्चित करेगी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर काम करना चाहिए ताकि एक मजबूत वैश्विक स्वास्थ्य सेवा का निर्माण किया जा सके। महामारी के दौरान जैव युद्ध पर चर्चा हुई। एक रणनीतिक निवारक के रूप में सेवा करने के लिए जैविक हथियारों की क्षमता अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ है। कोरोना वायरस ने दिखाया कि एक संक्रामक रोगजनक कितना विनाशकारी हो सकता है। विश्व समुदाय में इस तथ्य पर सर्वसम्मति होनी चाहिए कि इस प्रस्तावित संधि में जैव हथियारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए धाराएं शामिल हों। निस्संदेह यह भी कहा जा सकता है कि कोई भी सरकार या बहुपक्षीय एजेंसी अकेले इस खतरे का समाधान नहीं कर सकती। अत्याधिक समन्वित अंदाज में महामारी का पूर्वानुमान‚ रोकथाम‚ पता लगाना‚ आकलन करना और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के समर्थन की जरूरत है।
आज कई देशों को कृत्रिम बुद्धि और उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश के लिए अपर्याप्त धन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। भविष्य के वैश्विक खतरों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी में वित्त पोषण के लिए पर्याप्त तंत्र सुनिश्चित करने के प्रयास होने चाहिए। यह सभी देशों के लिए प्रतियोगिता के साथ–साथ सहयोग के लिए समान मंच प्रदान करेगा। संधि विश्व स्वास्थ्य संगठन के संविधान में निहित होगी। महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संगठनों की ओर से पारदर्शिता की कमी अतीत में चिंता का कारण रही है। राष्ट्रीय‚ क्षेत्रीय और वैश्विक क्षमताओं को मजबूत करने के लिए एक व्यापक और बहुक्षेत्रीय द्रष्टिकोण को बढ़ावा देना अनिवार्य है। नौकरशाही संरचनाओं पर अधिक जोर देने के किसी भी प्रयास को कम करने की जरूरत है। भविष्य की महामारियों के लचीलेपन हेतु लोगों के लिए संदेशवाहक के तंत्र होने चाहिए। विश्व नेताओं की ओर से नये सिरे से वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दे को लेकर सामूहिक प्रतिबद्धता के पालन का प्रयास सराहनीय पहल है। प्रवर्तन शक्ति‚ पहले से ही मौजूद संधियों के साथ मुद्दों या डब्ल्यूएचओ द्वारा उन मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की गई है‚ जहां अमीर देशों ने गरीब देशों द्वारा वैक्सीन निर्माण प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए मजबूर करने के प्रयासों का विरोध किया। कोई भी संधि तब ही सफल होगी जब विश्व समुदाय एकजुटता के लिए दृढ़ता से संकल्प करे।
अपने बच्चों को अग्रेज़ी पढ़ाएंगे, दूसरे के बच्चों को कठमुल्ला, मौलवी बनाएंगे………
यूपी विधानसभा का बजट सत्र आज से शुरू हो गया। पहले ही दिन विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। सदन की कार्यवाही...