बिहार विधानसभा के इतिहास में 17 मार्च का दिन काला दिन के रूप में याद किया जाएगा। सदन के इतिहास में यह पहली घटना है जब मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष आपस में उलझ गये। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी द्वारा अमर्यादित शब्द का प्रयोग करने पर गुस्से में सदन की कार्यवाही बुधवार को दोपहर १२ बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष नाराज होकर अपने कक्ष के बैठ गये और सदन में आने से इनकार कर दिया। १२ बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने के लिए घंटी बज गयी पर विधानसभा अध्यक्ष ने आसन पर जाने से मना कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष की नाराजगी के बाद मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक सभी नेताओं के होश उड़़ गये। सभी लोग विधानसभा अध्यक्ष को मनाने में जुट गये। अध्यक्ष नहीं माने तो उनकी जगह आसन नरेंद्र नारायण यादव ने सभाध्यक्ष की कुर्सी संभाली और उन्होंने बुधवार के शून्यकाल और अन्य कार्यवाही को १९ मार्च को किए जाने की सूचना देने के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। बिहार विधानसभा में आज प्रश्नकाल के दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्री सम्राट चौधरी से कहा कि उनके विभाग से किए १६ सवालों में से मात्र ११ के जवाब ऑनलाइन हैं। आप अपने विभाग में इसकी समीक्षा कर लीजिएगा। मंत्री ने कहा ठीक है‚ बहुत व्याकुल नहीं होना है। अध्यक्ष ने मंत्री से इस तरह के शब्द (व्याकुल) को वापस लेने को कहा। इसपर चौधरी ने कहा‚ अध्यक्ष जी ऐसा नहीं होता है। आप इस तरह से सदन को नहीं चलाएं। आप इस तरह का निर्देश नहीं दे सकते। अध्यक्ष ने बार–बार मंत्री से कहा कि वह आसन के लिए इस तरह के शब्द का प्रयोग नहीं कर सकते‚ फिर भी चौधरी उसी लहजे में बात करते रहे। यही नहीं उन्होंने अपने उस अमर्यादित शब्द को दोहराया जिसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर १२ बजे तक के लिए स्थगित कर दी और आसन से उठ कर चले गये। दोपहर १२ बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा सदन में नहीं पहुंचे। भोजनावकाश के बाद दोपहर दो बजे जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो भाकपा माले विधायक महमूद आलम और कांग्रेस के शकील अहमद खान ने विधानसभा अध्यक्ष पर मंत्री की तरफ से की गई टिप्पणी पर एतराज जताते हुए मंत्री की बर्खास्तगी की मांग की। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष के साथ मंत्री सम्राट चौधरी के बर्ताव पर सरकार की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा‚ ‘हम आसन का पूरी तरह सम्मान करते हैं। इसके बाद मंत्री सम्राट चौधरी ने अपनी सीट पर खड़़े होकर विधानसभा अध्यक्ष के बारे में की गई टिप्पणी पर खेद जताया और माफी मांगी। इस पर संसदीय कार्यमंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि आसन ने सही निर्देश दिया है कि जितने अधिक से अधिक प्रश्नों के उत्तर ऑनलाइन आएंगे उतने ाश्नों का निवारण या विचारण सदन में हो पाएगा।
इसी क्रम में उत्तर देने के दौरान मंत्री परिषद के एक सदस्य के आचरण और व्यवहार में कुछ अप्रत्याशित भाषा का इस्तेमाल हुआ। सरकार को और पूरे सदन को इस बात का एहसास है कि उससे आसन की भावना और सम्मान को ठेस लगा है। चौधरी ने कहा कि सरकार की ओर से वह आसन और पूरे सदन एवं सदस्यों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि सरकार की ऐसी मंशा नहीं ही होती है और जहां तक संबंधित मंत्री का प्रश्न है उन्हें भी इस बात का खेद है। उन्होंने कहा‚ ‘आसन की भावना का जो ठेस पहुंची है‚ उसके लिए मैं सरकार की ओर से खेद और दुख प्रकट करता हूं। मैंने पहले भी कहा है कि आसन का सम्मान किसी एक व्यक्ति का सम्मान नहीं होता है। यह पूरे सदन का सम्मान होता है। सभी जनप्रतिनिधियों के लिए यह समेकित सम्मान होता है। यदि आसन का सम्मान नहीं होगा तो यह बिहार की जनता की भावना का अपमान होगा। इसलिए सरकार हर हाल में आसन की गरिमा और आसन का सम्मान बनाए रखना चाहती है। सरकार चाहती है कि भविष्य में किसी भी मंत्री और सदस्य के द्वारा आसन के ऊपर न कोई आक्षेप लगे और न कोई ऐसी बात कही जाए‚ जिससे कि आसन की भावना को ठेस पहुंचे। वह स्वयं भी सभी से यही गुजारिश करेंगे। उन्होंने कहा‚ ‘मैं अंत में एक बार फिर से आसन के प्रति मंत्रिपरिषद सदस्य के आचरण और व्यवहार के लिए खेद प्रकट करता हूं। इसके बाद मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा‚ यदि मेरी तरफ से आसन को कोई भी दिक्कत हुई है तो मैं क्षमा चाहता हूं। मेरी ऐसी कोई भावना नहीं थी‚ मैं आसन का सम्मान करता हूं।