रविवार को RLSP का JDU के साथ विलय हो गया। अब RLSP जैसी पार्टी अस्तित्व में नहीं रहेगी। RLSP के उदय की कहानी तब शुरू हुई, जब 9 दिसम्बर 2012 को उपेंद्र कुशवाहा ने राज्यसभा सदस्यता और JDU से इस्तीफा दे दिया था। उस समय कुशवाहा ने CM नीतीश कुमार पर आरोप लगाया कि नीतीश मॉडल विफल हो गया और कानून-व्यवस्था की स्थिति उतनी ही खराब हो गई है जितनी लालू सरकार में थी। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि नीतीश कुमार अपनी सरकार को निरंकुश तरीकों से चलाते हैं। उन्होंने JDU को अपनी पॉकेट पार्टी बना लिया है।
नीतीश कुमार और कुशवाहा की मुलाकात के मायने समझिए, कैसे बिछड़े, क्यों मिले अब
BJP ने RLSP को हाथों-हाथ लिया था
4 मार्च 2013 को उपेंद्र कुशवाहा और जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार ने गांधी मैदान में एक रैली कर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी यानी RLSP की स्थापना की। पार्टी की स्थापना के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार संगठन को मजबूत करने में जुट गए। दो दिग्गज नेताओं ने मिलकर RLSP को इस स्तर तक पहुंचा दिया कि जब NDA से नीतीश कुमार हटे थे तो BJP ने RLSP को हाथों हाथ गठबंधन में शामिल कराकर उन्हें 2014 के लोकसभा में 3 सीट पर चुनाव लड़ा दिया। मोदी लहर में RLSP ने तीनों सीट जीत कर 100% की स्ट्राइक रेट से ओपनिंग की।
दो पार्टियों में बंट गई RLSP
लोकसभा में RLSP के तीन सीट जीतने के बाद NDA की केंद्र की सरकार में उपेंद्र कुशवाहा को मानव संसाधन राज्य मंत्री बनाया गया, लेकिन एक साल बाद 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में स्ट्राइक रेट कायम नहीं रह सका। NDA ने RLSP को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 23 सीटें दीं, जिनमें वह मात्र 2 पर जीत हासिल कर पाए। जून 2018 तक सब कुछ ठीकठाक चल रहा था, लेकिन RLSP के दूसरे ध्रुव माने जाने वाले अरुण कुमार ने अपनी अलग पार्टी बना ली। नाम रखा RLSP सेक्युलर। उसके बाद से RLSP के नेता दो भागों मे बंट गए। उपेंद्र कुशवाहा केंद्र से बिहार के संगठन को देखने में असमर्थ दिख रहे थे। उपेंद्र कुशवाहा मोदी की सरकार में अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे थे।
NDA में उपेक्षा हुई तो UPA के साथ आए उपेंद्र
दिसम्बर 2018 आते-आते उपेंद्र कुशवाहा NDA में कंफर्टेबल नहीं रह गए। उन्होंने केंद्र के राज्यमंत्री से इस्तीफा दे दिया और UPA में शामिल हो गए। महागठबंधन में शामिल होते ही उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि केंद्र की सरकार जनता की आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतरी, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया। RLSP पूरी तरह से बिखरने लगी। उपेंद्र कुशवाहा को एक और झटका तब लगा, जब इनकी पार्टी के दो विधायक JDU में शामिल हो गए।
महागठबंधन में RLSP को 2019 लोकसभा में 5 सीटें दी गईं। उपेंद्र कुशवाहा ने 2019 का लोकसभा चुनाव दो जगहों से लड़ा, लेकिन दोनों जगहों से उनकी करारी हार हुई। 2020 आते-आते उपेंद्र कुशवाहा का मन महागठबंधन से भी भर गया। उन्होंने तेजस्वी यादव पर यह आरोप लगाते हुए अपने आप को अलग कर लिया कि महागठबंधन में कोई को-ऑर्डिनेशन नहीं है। बिहार विधानसभा 2020 में ओवैसी की पार्टी के साथ मिल कर ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस बनाया।औवैसी की पार्टी ने तो विधानसभा में 5 सीटें जीत लीं, लेकिन RLSP की बिहार विधानसभा में करारी हार हुई और एक भी सीट नहीं जीत पाई।