करीब आठ वर्षों के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने रविवार को बड़ी संख्या में अपने समर्थकों एवं पदाधिकारियों के साथ अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) का जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में विलय कर लिया। मुख्यमंत्री एवं जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार तथा अन्य कद्ावर नेताओं की उपस्थिति में पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उपेंद्र कुशवाहा अपने पार्टी पदाधिकारियों के साथ जदयू में रालोसपा के विलय की घोषणा की। इसके बाद शामिल नेताओं को जदयू की सदस्यता ग्रहण कराई गई। इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को जदयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाये जाने की घोषणा की। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने कुशवाहा को गुलदस्ता भेंट करके उनका जदयू में स्वागत किया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष २०१३ में जदयू के राज्यसभा सदस्य रहे कुशवाहा ने विद्रोही तेवर अपनाते हुए जदयू ने नाता तोड़़कर रालोसपा नामक नई पार्टी का गठन कर लिया था। वह २०१४ के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत राजग का हिस्सा बन गये थे और उस चुनाव के बाद कुशवाहा को नरेंद्र मोदी सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री बनाया था। रालोसपा का जदयू में विलय पर खुशी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से पूछा कि मेरे इस निर्णय से आप खुश हैं नॽ इस पर सभी लोगों ने हाथ उठाकर अपनी सहमति जताई। उन्होंने कहा कि इसके बाद आगे और भी कुछ सोचा जायेगा। सीएम ने कहा‚ ‘हमलोग राजनीति करते हैं‚ लेकिन राजनीति का मतलब किसी खास वर्ग को लेकर चलना नहीं‚ बल्कि सबको साथ लेकर चलना है। अब उपेंद्र कुशवाहा पार्टी में आ गये हैं‚ सबको मिलकर चलना है। आपकी कोई ख्वाहिश नहीं है‚लेकिन हमलोग आपके लिए सोचेंगे। आपकी प्रतिष्ठा है और हैसियत भी। ऐसे में हमलोग सोचेंगे। जो उनकी इच्छा थी‚ उसकी मैंने तत्काल घोषणा कर दी है।’ उन्होंने कहा कि हमलोग पहले भी एक थे और आगे भी एक रहेंगे। सभी साथियों को मिलजुल कर मेहनत करनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सोशल मीडि़या पर कुछ लोग अनाप–शनाप प्रचार करते हैं। लेकिन हम अपने साथियों से हमेशा कहते आ रहे हैं कि ऐसी बातों का जवाब दीजिये। साथ ही सकारात्मक बातों को भी लोगों तक पहुंचाइये।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान शराबबंदी की चर्चा की और सवाल उठाने वालों को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा‚‘हम गुस्साते नहीं हैं। सदन में जब कोई सदस्य बीच में टोका–टोकी करता है‚ तो हम समझाने की कोशिश करते हैं‚लेकिन मीडिया वाले कहते हैं कि हम गुस्सा गये। राज्य में शराबबंदी की गई‚ तो कुछ लोग इसका विरोध करते हैं और कहते हैं कि हर जगह शराब की सप्लाई हो रही है। यदि शराब सप्लाई की जानकारी किसी को है‚ तो वह इसकी सूचना क्यों नहीं देता हैॽ इस अवसर पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा‚ ‘यह दल हमारे लिए नया नहीं है। आज का मिलन तो सिर्फ औपचारिकता थी। जब हमने अलग दल बनाया‚ तो कई उतार–चढाव आये। इस बार के विधानसभा चुनाव में जनता का सीधा आदेश हुआ कि वह बिना देर किये नीतीश कुमार के साथ रहें। हमलोगों ने काफी समय तक नीतीश कुमार के साथ मिलकर संघर्ष किया था।’ श्री कुशवाहा ने बिना किसी दल के नेता का नाम लिये कहा कि वैसे लोगों के मंसूबे को हम कभी कामयाब नहीं होने देंगे‚ जो नीतीश कुमार को कमजोर करने की ताक में थे। इसलिए जनता के आदेश पर आज से मैं नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करूंगा। रालोसपा अब पूरी तरह से जदयू की हो गई है। उन्होंने कहा कि बगैर किसी शर्त के मेरी घर वापसी हुई है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में सेवा करने का फैसला लिया है। लोग पूछ रहे हैं कि क्या तय हुआ है‚ लेकिन यह गलत बात है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैंने नीतीशजी के नेतृत्व में बिहार की सेवा करने का संकल्प लिया है। वे जो भी जिम्मेवारी हमें देंगे‚ उसे मैं पूरा करूंगा। यदि नहीं देंगे‚ फिर भी हर कार्यकर्ता काम करेगा। पार्टी को और मजबूती देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अब हम जदयू के हो गये हैं। जदयू को फिर से नंबर वन पार्टी बनाने का काम करना है। उन्होंने नीतीश कुमार से कहा कि वह काम करते रहें‚ पार्टी का एक–एक सिपाही मजबूती से आपके साथ खड़ा है।
आरएलएसपी और जेडीयू के विलय के बाद विवाद जारी है. इसी बीच आरएलएसपी के संस्थापक सदस्य सह पूर्व प्रदेश महासचिव विनय कुशवाहा ने कहा कि अपने निजी स्वार्थ के लिए उपेंद्र कुशवाहा ने कार्यकर्ताओं के खून-पसीने की मेहनत को बेच डाला. उन्होंने कहा कि कुशवाहा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को सिर्फ बेवकूफ बनाने का काम किया है. उन्होंने राजनीति को व्यापार बनाकर सम्पति अर्जित की है.
सुशासन के लिए बनायी थी अलग पार्टी
विनय कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार के शासन से मुक्ति के लिए 3 मार्च, 2013 को पटना के गांधी मैदान में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का निर्माण हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने तन, मन, धन और खून पसीना लगाकर किया था, ताकि बिहार की जनता को विकास करने वाली, भ्रष्टाचार मुक्त और सुशासन की सरकार मिल पाए.
उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी का नेता माना और लगातार उनके निर्देश पर शिक्षा, स्वास्थ्य, बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर नीतीश कुमार के खिलाफ संघर्ष किया. बिहार के सड़कों पर कितनी बार लाठियां खानी पड़ी. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा ने हजारों कार्यकर्ताओं को ही नहीं बिहार की पूरी जनता बेवकूफ बनाने का काम किया.
पार्टी का विलय करना आखिर कितना उचित?
उन्होंने कहा कि जिस नीतीश कुमार की उन्होंने इतनी बुराई की, उनपर जान से मारने की कोशिश करने तक का आरोप लगाया, आज उसी से हाथ मिला लिया. आखिर उपेंद्र कुशवाहा की यह ऐसी राजनीति है. जिसके खिलाफ उन्होंने लगातार आंदोलन चलाया, उन्हीं के साथ पार्टी का विलय करना आखिर कितना उचित है? क्या बिहार में शिक्षा सुधार हो गया? स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था, सहित इनके द्वारा प्रस्तावित केंद्रीय विद्यालय का निर्माण हो गया?
विनय कुशवाहा ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ने राजनीति को व्यापार बना दिया. उन्होंने पार्टी बनाकर अकूत धन-संपत्ति अर्जित की है. अपने और अपने परिवार के लिए हजारों कार्यकर्ताओं को मोहरा बना दिया, उन्होंने सत्ता के लिए सिर्फ राजनीति की. लोकसभा चुनाव 2019 में उन्होंने तीन सीट पैसों के लिए बेच दिया. उन्होंने कार्यकर्ताओं का भरपूर इस्तेमाल किया और आज अपने फायदे के लिए पार्टी का जेडीयू में विलय कर दिया.
बिहार की जनता उन्हें नहीं करेगी माफ
उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार के पूरे कुशवाहा समाज और हजारों निष्ठावान कार्यकर्ता को धोखा देकर नीतीश कुमार के साथ पार्टी का विलय करा कर यह साबित कर दिया उनकी राजनीति अपने, अपने परिवार के राजनीतिक भविष्य सवारने और धन इकट्ठा करने तक सीमित है. बिहार की जनता उन्हें माफ करने वाले नहीं है.