रालोसपा के जदयू में विलय की पटकथा तैयार है। शनिवार को पार्टी की बैठक में इसे मुकाम तक पहुंचाने की कवायद चली। राज्य परिषद ने विलय पर फैसले के लिए राष्ट्रीय परिषद को अधिकृत कर दिया। अब राष्ट्रीय परिषद रविवार सुबह 11 बजे होने वाली बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को फैसले का अधिकार देगी। दोपहर बाद विलय होने की पूरी संभावना है। हालांकि शनिवार शाम पार्टीजनों को संबोधित करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने विलय को लेकर तस्वीर लगभग साफ कर दी। वहीं, शाम उपेंद्र कुशवाहा जदयू सांसद बशिष्ठ नारायण सिंह के साथ एक अणे मार्ग में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की।
रालोसपा की दो दिवसीय बैठक शनिवार को आशियाना रोड स्थित दीपाली गार्डन में शुरू हुई। राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने शनिवार की शाम पार्टी नेताओं के संबोधन में विलय को लेकर स्थिति लगभग स्पष्ट कर दी। कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद जब हार की समीक्षा कर रहे थे, तभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फोन आया था। फिर कई दौर की मुलाकात हुई। कहा कि जहां भी जाएंगे वहां पार्टी के साथियों का भी ध्यान रखेंगे।
पार्टी महासचिव फजल इमाम मल्लिक ने कहा कि राज्य परिषद ने फैसले के लिए राष्ट्रीय परिषद को अधिकृत किया है। बैठक की अध्यक्षता कार्यकारी अध्यक्ष रेखा गुप्ता ने की। संचालन बृजेंद्र कुमार पप्पू ने किया। बैठक में उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता के साथ ही शंकर झा आजाद, विनोद यादव, प्रधान महासचिव माधव आनंद, महासचिव अंगद कुशवाहा, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मदन चौधरी, महासचिव धीरज कुशवाहा, भोला शर्मा, संतोष कुशवाहा आदि मौजूद रहे।
रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा नौ साल लव और हेट पॉलिटक्स के बाद फिर जनता दल यूनाइटेड(जेडीयू) का हिस्सा बनने जा रहे हैं। कभी नीतीश कुमार के खास सहयोगी से विरोध की राजनीति में उतरने वाले उपेंद्र कुशवाहा एक बार फिर से उनके साथ एक मंच पर दिखाई देने वाले हैं। तमाम अटकलों को विराम देते हुए आज राष्ट्रीय लोक समता पार्टी रालोसपा का नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड जदयू के साथ विलय होने जा रहा है। उपेंद्र के साथ आने से जदयू का लव-कुश (कुर्मी-कुशवाहा) समीकरण फिर से मजबूत होगा। आज लगभग दो बजे जदयू पार्टी मुख्यालय में आयोजित मिलन समारोह में जदयू के तमाम बड़े नेताओं की मौजूदगी में रालोसपा सु्प्रीमो उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी के जदयू में विलय की घोषणा करेंगे। इसके साथ ही एक बार फिर बिहार की राजनीति में लव-कुश जोड़ी देखने को मिलेगी।
राष्ट्रीय समता पार्टी की स्थापना
2007 में कुशवाहा ने नीतीश कुमार के शासनकाल में कोइरी जाति (कुश) के हाशिए पर होने के नाम पर फरवरी 2009 में राष्ट्रीय समता पार्टी की स्थापना की। हालांकि नीतीश कुमार से रिश्ते सुधरने पर नवंबर 2009 में पार्टी का विलय एक बार फिर जनता दल यूनाइटेड में कर दिया गया। इसके बाद बिहार में कानून व्यवस्था खराब होने और नीतीश कुमार मॉडल के फेल होने समेत तत्कालीन नीतीश सरकार पर संगठन और सरकार को लेकर कई आरोप लगाते हुए राज्यसभा सदस्य रहे कुशवाहा ने एक बार फिर जनवरी 2013 में जदयू से इस्तीफा दे दिया।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की शुरुआत
इसके बाद मार्च 2013 उन्होंने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की शुरुआत की। बिहार की राजनीति में उलटफेर और जदयू के राजद के साथ गठबंधन के बाद कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एनडीए में शामिल हो गई। 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के हिस्से के रूप में बिहार में 3 संसदीय सीटों को जीतकर कुशवाहा केंद्र में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री के रूप में काम भी किया। हालांकि उपेंद्र कुशवाहा के लिए जुलाई 2017 में स्थितियां तब बदलनीं शुरू हो गईं, जब नीतीश एक बार फिर एनडीए का हिस्सा हो गए। एनडीए में रहते हुए उपेंद्र कुशवाहा लगातार नीतीश का विरोध करते रहे और आखिरकार अगस्त 2018 में रालोसपा एनडीए से अलग हो गई। इसके बाद उनकी पार्टी भी सिमटती चली गई। 2019 का लोकसभा चुनाव उसने राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल होकर लड़ा। 2019 में रालोसपा ने बिहार की 5 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी थी।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी सीटों के बंटवारे में मनमुताबिक सीटें नहीं मिलने पर महागठबंधन से अलग होकर महागठबंधन और एनडीए से अलग अलाएंस के गठन की घोषणा की लेकिन चुनाव में उन्हें एक भी सीट नहीं मिली। इसके बाद उनकी पार्टी में भी विद्रोह का सामना करना पड़ा। एक-एक कर कई नेता उन्हें छोड़कर राजद, भाजपा और जदयू का दामन थामते चले गए। इसके बाद एक बार फिर से उपेंद्र कुशवाहा और सीएम नीतीश की निकटता बढ़ती चली गई और इसके परिणाम स्वरूप आज रालोसपा का जदयू में विलय होने जा रहा है।