भाजपा ने आगामी पंचायत चुनाव के जरिए संगठन से अधिक से अधिक लोगों को जोड़़ने की योजना बनायी है। पंचायत चुनाव के जरिए जुड़े़ कार्यकर्ता भाजपा के लिए वर्ष २०२४ के लोकसभा चुनाव में गदा भांजेंगे। भाजपा की यह दूरगामी रणनीति है। यही कारण है कि प्रदेश भाजपा ने जिला परिषद के चुनाव में अपने उम्मीदवार को लड़़ाने की घोषणा की है। दरअसल‚ पंचायत चुनाव को भाजपा अगले लोकसभा चुनाव का रिहर्सल मान कर चल रही है। पंचायत चुनाव में जो जमीन तैयार होगी वह जमीन भाजपा के अगले चुनावी महाभारत में काम आएगी। जिला परिषद चुनाव को ध्यान में रखकर भाजपा १६–२१ मार्च तक जिला परिषद क्षेत्र सह बैठक करने जा रही है। इस बैठक में पंचायत चुनाव से संबंधित रणनीति तैयार होगी। भाजपा ने अपनी हाल ही में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में सभी कार्यकर्ताओं को पंचायत चुनाव में जुट जाने का निर्देश दिया है। बूथ तक के कार्यकर्ताओं को चुनाव में जोड़़ने की रणनीति तैयार की गई है। जिला परिषद के चुनाव के लिए जिला परिषद क्षेत्र का जातीय समीकरण‚ राजनीतिक समीकरण और सांगठनिक स्थिति गणना बैठायी जा रही है। २२–२५ मार्च तक शक्ति केन्द्रों में बैठक कर भाजपा चुनाव की रणनीति तैयार करेगी। प्रदेश भाजपा ने ६ अप्रैल को पार्टी का स्थापना दिवस प्रदेश स्तर से लेकर बूथ स्तर तक मनाने का निर्णय लिया है। इस दिन भाजपा के नेता १९९६ के पूर्व के पार्टी कार्यकर्ताओं को यथोचित सम्मान देकर‚ उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करेंगे। इसके बाद १४ अप्रैल को अम्बेडकर जयंती है जिसे हमारी पार्टी हर वर्ष समरसता दिवस के रूप में मनाती है। इस दिन भाजपा प्रत्येक मंडल में सभाओं का आयोजन करेगी। किसी भी चुनाव में भाजपा राजद के १५ वर्षों के शासन से तुलना करने में परहेज नहीं करेगी। भाजपा ने एक बार फिर दावा किया है कि बिहार में सुशासन है। प्रदेश भाजपा कार्यसमिति में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में यह भी दावा किया गया है कि आर्गनाइज्ड क्राइम (डकैती‚ अपहरण‚ लूट‚ फिरौती) बिहार से खत्म हो चुका है। नक्सली घटनाओं में १०० फीसद की कमी रिपोर्ट कर ली गयी है और अब बिहार एनसीआरबी के आंकडों में राष्ट्रीय औसत के हिसाब से लगभग पिछले पायदान पर है। भाजपा की ६–७ मार्च को दो दिवसीय कार्यसमिति की बैठक में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में भी राजद के पिछले १५ वर्षों के शासन से तुलना कर भाजपा ने अपनी पीठ थपथपाई है। भाजपा ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव के जरिए कहा है कि बिहार में आज से १५ वर्ष पूर्व राजद के शासनकाल में क्राइम और कानून व्यवस्था एक बडी समस्या थी। बिहार की जनता ने वर्ष २००५ में हमें जनता दल (यू) के साथ साझा सरकार बनाने और सुशासन के लिए ऐतिहासिक जनादेश दिया था। वस्तुतः वह जनादेश उस दौर की बेहद जटिल सामाजिक तथा राजनीतिक परिस्थितियों के आलोक में मिली थी। हमने अपने घोषणापत्र में बिहार की जनता से उन चुनौतियों से बाहर निकालने का वादा किया था और आज जब हम २०२० के तत्कालीन परिस्थितियों में आत्मनिर्भर बिहार का विषय लेकर आये हैं‚ तब मैं यह कह सकता हूं कि हमने ना सिर्फ बिहार को अराजक राजनीति से मुक्ति दिलायी है‚ बल्कि नए उदीयमान‚ आत्मनिर्भर तथा गौरवशाली अतीत से प्रेरित बिहार की नींव रखने में सफलता पायी है ।
एक के बाद एक धमाकों से दहला पाकिस्तान , बलूचिस्तान के बाद हंगू में ब्लास्ट, 52 की मौत
पाकिस्तान में आज शुक्रवार जुमे की नमाज के दौरान दो जगहों पर बड़े धमाके हुए हैं. पहला धमाका पाकिस्तान के...