आज की महिलाएं दूसरे पर निर्भर नहीं, बल्कि हर मामले में आत्मनिर्भर व स्वतंत्र हैं और पुरुषों के बराबर सब कुछ करने में सक्षम भी. हर महिला विशेष होती है, चाहे वह घर पर हो या ऑफिस में. आज महिला दिवस पर शहर में हवाई जहाज से लेकर रेलवे तक की कमान महिलाएं संभालेंगी.
महिला दिवस पर सोमवार को पटना एयरपोर्ट के एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) और सीएनएस (कम्यूनिकेशन, नेवीगेशन व सर्विलांस) सिस्टम की कमान महिलाएं संभालेंगी. हालांकि, महिला अफसरों व कर्मियों की संख्या सीमित होने के कारण इस वर्ष तीनों शिफ्टों के बजाय दोपहर 1:30 बजे से शाम 7:30 बजे तक के शिफ्ट में ही उन्हें यह कमान दी जायेगी.
इस दौरान एटीसी टावर में तीन और सीएनएस में तीन महिला अधिकारी तैनात रहेंगी, जिनके हाथ में लैंड व उड़ने वाले विमानों का नियंत्रण होगा. यहां एटीसी में 35 अधिकारी और कर्मी तैनात हैं, जिनमें सात महिलाएं हैं. सीएनएस में 37 अधिकारी व कर्मी हैं, जिनमें तीन महिलाएं हैं. पूरी तरह महिला क्रू द्वारा विमान उड़ाने की भी योजना है.
पटना जू में महिलाओं की इंट्री रहेगी फ्री
महिला दिवस के अवसर पर सोमवार को छुट्टी के दिन भी संजय गांधी जैविक उद्यान सामान्य दिनों की तरह खुला रहेगा. इस खास अवसर पर जू में प्रवेश करने वाली सभी महिलाओं को नि:शुल्क प्रवेश मिलेगा. यह जानकारी पटना जू के अधिकारियों ने दी. उन्होंने बताया कि वन एवं पर्यावरण मंत्री के आदेश के तहत यह काम किया जा रहा है. सोमवार को पटना जू बंद रहता है, लेकिन इस बार आठ मार्च को महिला दिवस के अवसर पर इसे खुला रखने का आदेश दिया गया है.
रिचा और नेहा चलायेंगी मेमू ट्रेन
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सोमवार को पटना जंक्शन से महिला लोको पायलट रिचा कुमारी व गार्ड नेहा कुमारी मेमू ट्रेन लेकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन (डीडीयू) जायेंगी. वहां से ट्रेन को फिर वापस लेकर भी आयेंगी. इसके अलावा पटना जंक्शन व गुलजारबाग स्टेशन की कमान महिलाओं के हाथ में होगी.
पटना जंक्शन के प्लेटफाॅर्म पर टीएक्सआर, टिकट चेकिंग स्टाफ, आरपीएफ व प्लेटफार्म संख्या 10 पर आरआरआइ का काम महिला रेलकर्मी करेंगी. गुलजारबाग स्टेशन भी पूरी तरह महिला रेलकर्मियों द्वारा संचालित किया जायेगा. हाजीपुर में कई कार्यक्रमों होंगे. पूमरे जीएम ललित चंद्र त्रिवेदी, पूर्व मध्य रेल महिला कल्याण संगठन की अध्यक्ष कौमूदी त्रिवेदी सहित सभी उच्चाधिकारीगण व रेलकर्मी उपस्थित रहेंगे.
सीपीआरओ राजेश कुमार ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान रेलकर्मियों के 34 मेधावी बच्चियों को शैक्षणिक सहायता के रूप में नकद राशि दी जायेगी. कोरोना के दौरान बेहतर काम करनेवाली 10 महिला रेलकर्मियों को सम्मानित किया जायेगा.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज जिले के सभी कोरोना वैक्सीनेशन सेंटर पर महिलाओं को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगायी जायेगी. जिला प्रशासन और सिविल सर्जन कार्यालय ने इस अवसर पर ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज जिले के सभी कोरोना वैक्सीनेशन सेंटर पर महिलाओं को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगायी जायेगी. जिला प्रशासन और सिविल सर्जन कार्यालय ने इस अवसर पर ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है.
जीविका दीदी को आज लगेगी वैक्सीन
महिला दिवस पर ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को वैक्सीन लगायी जाये इसके लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की गयी है. आज जिले के सभी पीएचसी समेत सरकारी अस्पतालों में जीविका दीदी का वैक्सीनेशन किया जायेगा. साथ ही सभी आशा कार्यकर्ताओं को वैक्सीन लेने की इच्छुक योग्य महिलाओं को लेकर आने का टारगेट दिया गया है. आशा कार्यकर्ता उन्हें वैक्सीन लेने के लिए प्रेरित करेंगी. महिला दिवस पर जिले के सभी पीएचसी में कैंसर को लेकर महिलाओं को जागरूक किया जायेगा. यहां वैक्सीन लेने आने वाली महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर से बचाव के बारे में बताया जायेगा.
सेवानिवृत्त रेलकर्मियों को आज से दिया जायेगा टीका
पूर्व मध्य रेल में सेवानिवृत्त रेल कर्मियों व उनकी पत्नी (60 साल व अधिक) को सोमवार से कोविड का टीका दिया जायेगा. पटना में रेलवे का केंद्रीय सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालय में कोविड टीकाकरण शुरु किया जा रहा है. यह टीकाकरण प्रक्रिया सुबह 9़ 30 बजे से शाम चार बजे तक चलेगी.
पूमरे के मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि टीकाकरण के लिए फोटो पहचान पत्र आधार कार्ड लाना होगा. सेवानिवृत्त कर्मचारियों को आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप या टीकाकरण स्थल पर स्वयं को रजिस्ट्रेशन कराना होगा.स्पॉट रजिस्ट्रेशन में लगने वाले अतिरक्ति समय से बचने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण बेहतर है.
इस पुरुष प्रधान समाज में महिला सशक्तीकरण को लेकर ढेर सारे किताबी जुमले आपने सुने होंगे. आपने यह भी महसूस किया होगा कि लिखने-पढ़ने में यह सशक्तीकरण की बात कितनी प्यारी लगती है. लेकिन हकीकत इसके उलट रही है. इस समाज में आगे बढ़ रही स्त्री के पांव खींचने में लोग जुट जाते हैं. लांछनों और आरोपों से यह समाज किसी भी महिला की ताकत तोड़ने की कोशिश में जुट जाता है. राजनीति (Politics) का क्षेत्र हो या धर्म का, पढ़ाई का क्षेत्र हो या लेखन का – हर जगह महिला को हाशिये पर रखने की कोशिश की जाती है. लेकिन आज हम आपको मिलवाएंगे बिहार की ऐसी दो स्त्रियों से, जिन्होंने तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद अपनी कोशिशें जारी रखीं और आज की तारीख में उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में अपनी मुकम्मल पहचान बनाई हैं. उनकी यह पहचान समाज के हर दबे-कुचले लोगों के लिए प्रेरणा है. कहने की जरूरत नहीं कि ये दोनों महिलाएं स्त्री सशक्तीकरण की जीती जागती मिसाल हैं.
बिहार की डिप्टी सीएम रेणु देवी के संघर्ष से रूबरू हों.बिहार की डिप्टी सीएम रेणु देवी के संघर्ष से रूबरू हों.
बिहार की मौजूदा डिप्टी सीएम रेणु देवी 5-5 बार भारतीय जनता पार्टी से विधायक चुनी गई हैं. आज पार्टी में उनकी स्थिति इतनी दमदार है कि अधिकतर बड़े नेता उन्हें दीदी कहकर बुलाते हैं. एक कार्यकर्ता से डिप्टी सीएम बनने तक के सफर को रेणु देवी बेहद चुनौतीपूर्ण मानती हैं. उनके संघर्ष का अंदाज आप इसी बात से लगा सकते हैं कि बेहद कम उम्र में ही इनके पति का देहांत हो गया था. पर रेणु देवी ने हिम्मत से काम लिया. उन्होंने न सिर्फ अपने बच्चों का पालन-पोषण किया, बल्कि पूरे परिवार की जिम्मेदारी भी संभालीं. और फिर जब एक बार जनसंघ और बीजेपी के साथ चल पड़ीं, तो फिर वे कहीं नहीं रुकीं. बिहार के पश्चिमी चंपारण के बेतिया से रेणु देवी 5 बार निर्वाचित हुईं और आज नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री के पद पर काबिज हैं. यह कोई आसान सफर नहीं है. न्यूज18 से एक्सक्लूसिव बातचीत में रेणु देवी ने अपने जीवन संघर्ष की पूरी कहानी साझा कीं. उन्होंने बताया कि वे पिछड़े समाज से आती हैं. छोटी-सी उम्र में सुहाग उजड़ गया. लेकिन वह जानती थीं कि संघर्ष का कोई विकल्प नहीं होता. नतीजा था कि उन्होंने भी संघर्ष किया. बच्चों का पालन-पोषण करती रहीं, साथ में जारी रखीं अपनी पढ़ाई-लिखाई भी. इसी के बूते वे आज डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी भी संभाल रही हैं. पुराने दिनों को याद करके रेणु देवी थोड़ा भावुक जरूर हो जाती हैं, लेकिन खुद को कमजोर नहीं होने देतीं. महिला दिवस के मौके पर उन्होंने उन तमाम महिलाओं से अपील की जो खुद को अबला और असहाय मान संघर्ष का रास्ता स्वीकार करने से हिचक जाती हैं. उन्होंने कहा कि हम स्त्रियों को हर हाल में मजबूत बने रहना है. उन्होंने कहा कि वे खुद नोनिया जाति के अतिपिछड़े समाज से आती हैं और वह समाज की महिलाओं को कमजोर-लाचार नहीं, बल्कि सशक्त देखना चाहती हैं. रेणु देवी अपनी मां को अपना आदर्श मानती हैं.
संगीता कुमारी (विधायक, आरजेडी)
बिहार के मोहनिया से पहली बार चुनी गईं आरजेडी की विधायक संगीता कुमारी.बिहार के मोहनिया से पहली बार चुनी गईं आरजेडी की विधायक संगीता कुमारी.
संगीता कुमारी मोहनिया से आरजेडी की विधायक हैं. अब वे अपने रविदास समाज और इस समाज की महिलाओं के लिए आदर्श बनने लगी हैं. संगीता कुमारी दलित की बेटी हैं, जिन्होंने खूब संघर्ष किया और जनता ने पहली बार उन्हें विधायक चुनकर बिहार विधानसभा में पहुंचाया. सदन में दिए अपने पहले भाषण में ही संगीता कुमारी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया. अपने पति को आदर्श मानने वाली संगीता देवी बेहद बेबाक और निडर महिला हैं. वे बताती हैं कि जिस समाज से वे ताल्लुक रखती हैं, वहां नौकरी तो दूर, पढ़ना-लिखना भी मुश्किल है. उस समाज में रहकर न सिर्फ उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई की, बल्कि समाज के विकास के लिए राजनीति में भी कदम रखा. 9 साल की तपस्या के बाद लालू यादव की पार्टी ने उन्हें मोहनिया से लालटेन का उम्मीदवार घोषित किया. उन्हें गर्व है अपने रविदास समाज और मोहनिया की जनता पर जिन्होंने पहली बार चुनकर उन्हें सदन में भेजा है. संगीता कुमारी की गिनती आरजेडी में सबसे युवा और तेज तर्रार विधायकों में होती है. न्यूज 18 के जरिए उन्होंने न सिर्फ अपनी भावनाएं प्रकट कीं, बल्कि महिला दिवस पर देश की महिलाओं से सशक्त होने का आह्वान भी किया.
भाजपा महिला मोर्चा की प्रवक्ता अर्चना राय भट्ट
बिहार प्रदेश महिला मोर्चा की प्रवक्ता अर्चना राय भट्ट किसी परिचय परिचय की मोहताज नहीं है। । बिना किसी राजनीतिक कृष्ण भूमि से आई इस महिला ने अपने कठोर संघर्ष के बदौलत राजनीति में अपनी जगह बना पाई है । आम लोगों के दुख दर्द को अपना मानते हुए रात दिन लोगों की सेवा में अपने आप को समर्पित करते हुए घर परिवार को देखते हुए आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं की जहां आम लोगों का पहुंचना बहुत मुश्किल होता है ।