प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कोरोना का टीका लगवाकर कई तरह के संदेहों पर विराम लगा दिया। न केवल प्रधानमंत्री बल्कि गृह मंत्री अमित शाह समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी टीके की खुराक ली और आशंकाओं को जमींदोज किया। दरअसल‚ यह जरूरी भी था। वैक्सीन को लेकर जिस तरह का दुष्प्रचार किया गया‚ उसकी काट ही टीकाकरण थी। जिस तरह से स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अलावा विपक्ष भी भारत बॉयोटेक द्वारा विकसित ‘कोवैक्सीन’ को लेकर आश्वस्त नहीं था और तमाम तरह के सवाल उठाए जा रहे थे‚ उन सब सवालों का जवाब इसी रूप में दिया जा सकता था। प्रधानमंत्री ने न केवल जनता के बीच यह भरोसा बहाल किया कि टीका लगवाने से किसी तरह की कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी नहीं होती है; साथ ही विपक्ष की बेसुरी आवाज को भी कुंद कर दिया। निश्चित तौर पर पीएम के टीका लगवाने से लोगों की शंका दूर होगी और टीकाकरण अभियान में तेजी आ जाएगी। यह सब इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र समेत कई अन्य राज्यों में कोरोना संक्रमण तीव्र गति से बढ़ा है‚ उसके बाद इस महामारी पर विजय पाने के लिए हर किसी का टीकाकरण जरूरी है। इसके अलावा सोशल डि़स्टेंसिंग का पालन भी निहायत आवश्यक है। देश ने आठ महीने से ज्यादा का समय लॉकड़ाउन में बिताया है। अर्थव्यवस्था की हालत इस दौरान जर्जर हुई है। लिहाजा अब कोई बंदी देश की आर्थिक सेहत का बंटाधार कर देगी। लिहाजा हर आम–ओ–खास का स्वस्थ रहना देशहित में जरूरी है। हां‚ सरकार को टीकाकरण की गति को सहज‚ अनुशासित और बिना बाधा के सभी के पास पहुंचाना होगा। यह कार्य हालांकि चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि जिस तरह से टीकाकरण के दूसरे चरण के पहले दिन टीका लगवाने के लिए जरूरी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में लोगों को परेशानी आई‚ उसे तत्काल दूर करने के उपाय तलाशने होंगे। खासकर सरकारी अस्पतालों में भारी भीड़़ के चलते थोड़़ी–बहुत दुश्वारियां आ सकती है। वहीं निजी अस्पताल भी कमोबेश ऐसी दिक्कतों का सामना कर सकते हैं। सो‚ पूरी प्रक्रिया सहज रूप से चल रही है या नहीं‚ इसके वास्ते सरकार को पैनी नजर से सतर्क रहना होगा। स्वाभाविक रूप से मोदी के नेतृत्व में देश नई तस्वीर गढ़ø रहा है। देश को कोरोनामुक्त करने की दिशा में हर किसी की भागीदारी जरूरी है॥।
अपने बच्चों को अग्रेज़ी पढ़ाएंगे, दूसरे के बच्चों को कठमुल्ला, मौलवी बनाएंगे………
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