टूलकिट षड़यंत्रों के हो रहे खुलासे पर पूरा देश सन्न है तो दूसरी ओर इन पर हो रही राजनीति उद्विग्नता पैदा कर रही है। दिशा रवि‚ निकिता जैकब‚ शांतनु आदि के खिलाफ कार्रवाई पर जिस तरह की प्रतिक्रियाएं हो रही हैं‚ वो दुर्भाग्यपूर्ण हैं। दिल्ली पुलिस जो तथ्य सामने लाई है‚ उनके अनुसार टूलकिट को निकिता‚ शांतनु और दिशा ने मिलकर तैयार किया था। इस गूगल डॉक्युमेंट को शांतनु की ओर से बनाई गई ईमेल आईडी के जरिए तैयार किया गया था। निकिता की भूमिका इसमें महत्वपूर्ण थी। खालिस्तान समर्थकों ने कनाडा से निकिता के जरिए ही भारत में अन्य लोगों से संपर्क किया। धालीवाल के निर्देश पर कनाडा में उसकी सहयोगी पुनीत के माध्यम से निकिता को संदेश मिलते थे और वह दिशा‚ रवि‚ शांतनु मुलुक और अन्य को जानकारी देती थी। पुनीत इंस्टाग्राम के जरिए निकिता‚ दिशा‚ रवि‚ शांतनु मुलुक आदि के सतत संपर्क में थी। पुनीत और निकिता में संपर्क के बाद ही इन लोगों ने टूलकिट बनाने का काम करना शुरू किया। तीन नाम और सामने हैं‚ जिनके बारे में पुलिस पूरी जानकारी प्राप्त कर रही है। ये हैं थिराका‚ शुभम और ब्रिटेन की मेरिना पैटर्सन। थिराका निकिता के बीच निरंतर संपर्क था। टूलकिट के लिए बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप में शुभम भी शामिल था। उसी ग्रुप में पीटर और निकिता के बीच बातचीत हुई थी। थिराका और शुभम के बारे में अभी पूरी जानकारी सामने आना शेष है। पुनीत धालीवाल के पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से जुड़ी है। निकिता‚ दिशा‚ रवि‚ शांतनु मलूक और थिराका गैर–सरकारी संगठन एक्सआर से जुड़े हैं। शांतनु दिशा के साथ फ्राइडे फॉर फ्यूचर इंडिया अभियान से भी जुड़े हैं। इसे थनवर्ग ने शुरू किया था। अभी तक एक टूलकिट का मामला हमारे सामने था। पुलिस जांच के अनुसार मैरिना पैटर्सन‚ निकिता और शांतनु ने एक और टूलकिट तैयार किया था। ध्यान रखिए‚ इसमें संपादित कर लिखा गया था कि कई किसानों की मौत हो गई है‚ और आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं। इसका उद्देश्य क्या हो सकता है‚ बताने की आवश्यकता नहीं। एक नाम अनीता लाल का भी सामने है। धालीवाल की करीबी और कनाडावासी अनीता टूलकिट की प्रमुख किरदार है। वर्ल्ड़ सिख ऑर्गेनाइजेशन की संस्थापक और पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन की सहसंस्थापक है।
जो जानकारी सामने आ रही है‚ उसके अनुसार जूम मीटिंग में शामिल होने वाले कई लोगों ने अपनी पहचान छुपाई थी यानी ये फर्जी आईडी बनाकर मीटिंग में शामिल हुए थे। टूल किट दुनिया भर में भेजने के लिए दिशा ने ६ दिसम्बर को इंटरनेशनल फार्मर्स स्ट्राइक नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था। इसमें ८० देशी– विदेशी लोग शामिल थे। इन्होंने ही ट्रैक्टर रैली में हालात बिगाड़ने के लिए ग्लोबल फार्मर्स स्ट्राइक और २६ जनवरी को ग्लोबल डे ऑफ एक्शन की योजना बनाई थी। ह्वाट्एप चैट से भी लगता है‚ और पुलिस भी कह रही है कि ग्रेटा ने जब टूलकिट ट्वीट किया तो दिशा घबरा गई। उन्होंने डरकर ग्रेटा से उसे डिलीट कराया। व्हाट्सएप ग्रुप भी डिलीट कर दिया।
इन सारे किरदारों की भूमिका और सारे घटनाक्रम को देखने के बाद कुछ कहने की आवश्यकता नहीं रह जाती कि किस तरह कृषि कानूनों के विरोध में जारी आंदोलन को भारत के अंदर व्यापक हिंसा तथा विदेशों में इसको बदनाम करने का षड़यंत्र रचा गया। जाने–अनजाने भारत के एक्टिविस्ट उसके शिकार हुए। कुछ ने तो उसमें उत्साहित होकर भूमिका निभाई। २६ जनवरी को लाल किला की हिंसा कराने और आगे इसे और बढ़ाने के पीछे कितनी बड़ी योजना हो सकती है‚ इसका मोटा–मोटी आकलन तो हो ही जाना चाहिए। तो फिर इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई का विरोध क्योंॽ कौन दोषी है‚ नहीं है‚ कितना दोषी है‚ इन सबका अंतिम फैसला न्यायालय में होगा‚ किंतु यह सवाल हर व्यक्ति के अंदर उठ रहा है कि ये लोग खालिस्तान का झंडा उठाने वाले भारत विरोधी पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के धालीवाल तथा अन्य के साथ जूम मीटिंग या अन्य साधनों से संवाद क्यों कर रहे थेॽ टूलकिट भेजने वालों की सूची में भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी और पीटर फ्रेड़रिक का नाम भी है। भिंडर खालिस्तान के लिए हिंसा का षड़¬ंत्र करने वाला व्यक्ति है। पीटर की रुचि भारत में अस्थिरता पैदा करने में है। यूपीए सरकार के समय से दोनों सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर हैं। जूम मीटिंग में पाकिस्तानियों के भी शामिल होने की जानकारी के बाद तो पूरा मामला दूसरी तरफ भी मुड़ता है। क्या पाकिस्तान षडयंत्र में शामिल हैॽ इमरान खान ने जितनी तेजी से दिशा की गिरफ्तारी के बाद ट्वीट किया तथा उसके बाद वहां से आए कई ट्वीट्स संदेह मजबूत करते हैं।
दिशा‚ निकिता‚ शांतनु आदि को आप निर्दोष कैसे कह सकते हैंॽ क्या यह कह देना पर्याप्त है कि धालीवाल‚ पुनीत‚ अनिता‚ भिंडर‚ पीटर जैसे भारत विरोधियों के बारे में इनको मालूम नहीं थाॽ दिशा ग्रेटा के बीच ह्वाट्सएप बातचीत से यह तो स्पष्ट हो गया कि टूलकिट सामने आने के बाद भारत में जिस तरह का हंगामा मचा उससे दिशा घबराई और उसने ही ग्रेटा को बताया कि उनका टूलकिट सार्वजनिक हो गया है‚ जिससे हमारी परेशानी बढ़ने वाली है। ग्रेटा ने भी इसी तरह का जवाब दिया। दिशा ने कहा कि हम देखेंगे कि तुमको कोई समस्या नहीं हो। उसी ने ग्रेटा से कहा कि क्या हम कुछ समय के लिए सोशल मीडिया पर चुप रह सकते हैं। इसके बाद ग्रेटा ने उस टूलकिट को डिलीट किया था। दिशा ग्रेटा को कह रही है कि मुझे आतंकवाद विरोधी कानून‚ गैर–कानूनी निरोधक कानून या यूएपीए का सामना करना होगा। दिशा ने ह्वाट्सऐप ग्रुप भी डिलीट कर दिया। इनको अज्ञानी या अनभिज्ञ तो नहीं कह सकते।
वैसे भी सिख फॉर जस्टिस और पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने पिछले साल भी नागरिकता संशोधन कानून के बारे में झूठ फैलाया था। दिल्ली में दंगों के दौरान भी इनकी अफवाह फैलाने की भूमिका सामने आई थी। तो राजनीति चाहे पूरे प्रकरण की जैसी तस्वीर बनाए‚ इनका मुकदमा लड़ने के लिए वकीलों की जितनी बड़ी फौज खड़ी हो जाए‚ देश की शांति‚ सुरक्षा‚ एकता और अखंडता के लिए पूरे षड़¬ंत्रों से पर्दा उठना और उनके सूत्रधारों का कानून के शिकंजे में जकड़ा जाना जरूरी है॥