बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राम लाल खेतान ने सरकार के वित्तीय प्रबंधन एवं नीतियों की सराहना की है। राज्य के बजट आकार में लगातार वृद्धि हो रही है पिछले वर्ष बजट का आकार २‚११‚७६१ करोड था। कोविड संकट से प्रभावित होने के बाद भी राज्य की वित्तीय व्यवस्था को गति देने के मद्देनजर वित्तीय वर्ष २०२१–२२ के लिए पेश किये गये बजट में बजट का आकार २‚१८‚३०३ करोड रुपये रखा गया है। बजट की दूसरी बडी खासियत स्कीम मद का आकार है। स्कीम मद में व्यय होने से नई–नई योजनाओं पर काम होता है‚ जिसका फायदा हरेक वर्ग को होगा। पिछले वर्ष स्कीम मद् में उद्योग विभाग को ८१० करोड रूपये उपलब्ध करायी गई थी जबकि वित्तीय वर्ष २०२१–२२ में उद्योग विभाग का स्कीम मद् में ११९० करोड रुपए दिये जाने का प्रस्ताव है। पुनः वृहद परिपेय में देखा जाय तो उद्योग विभाग को दिया गया बजट कुल बजट का एक प्रतिशत से भी कम है जो चिन्तनीय है। उद्योग के माध्यम से ही स्थायी रोजगार का सृजन होता है‚ सरकार को कर के रूप में राजस्व की प्राप्ति होती है। एसोसिएशन के महासचिव आशीष रोहतगी ने बजट पर अपनी बातों को रखते हुए कहा कि इस बजट में उद्यमिता विकास एवं युवाओं के कौशल विकास पर काफी प्रमुखता दी गयी है। सरकार ने उद्यमिता एवं कौशल विकास को आगे बढÃाने के लिए एक नये विभाग की स्थापना किए जाने का उल्लेख बजट में किया है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में भी स्वच्छता एवं अशुद्ध जल का उपचार किए जाने की सरकार की चिन्तन बजट में देखने को मिलती है।
स्वास्थ्य‚ शिक्षा‚ ग्रामीण विकास एवं महिलाओं पर विशेष ध्यानः अग्रवाल
बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज ने विधानसभा में पेश बजट का स्वागत किया है। साथ ही कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि बजट में स्वास्थ्य‚ शिक्षा‚ ग्रामीण विकास एवं महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है‚ जो प्रशंसनीय है। साथ ही बजट में अधिकाधिक रोजगार सृजन की बात कही गई है। इसके फलीभूत होने के लिए यह जरूरी है कि उद्योगों के लिए एक रोड मैप बनाया जाए। चैम्बर अध्यक्ष पीके अग्रवाल के मुताबिक‚ राज्य सरकार की कोरोना काल में हुई आय में कमी एवं जन–कल्याण के खर्चों में आयी अधिकता के बावजूद कोरोना काल में बिहार बजट का आकार पिछले वर्ष की तुलना में करीब तीन फीसद की वृद्धि कर २‚१८‚३०३ करोड किया गया है यह एक अच्छा प्रयास है। यह राज्य के सवागीण विकास के लिए सहायक सिद्ध होगा। श्री अग्रवाल ने राज्य में नये मेडिकल कॉलेज खोलने‚ छात्रों के लिए सेंटर फोर एक्सीलेंस‚ महिलाओं के लिए विशेष उद्यम योजना‚ अन्तर्राष्ट्रीय स्टेडियम का निर्माण‚ खेल विश्वविद्यालय की स्थापना‚ ५ जिलों में फामसी कॉलेज की स्थापना‚ स्कील डेवलपमेंट एवं उद्यमिता विकास के लिए अलग से विभाग की स्थापना के प्रस्ताव को भी स्वागत योग्य कदम बताया ।
होगा सर्वांगींण विकासः ड़ॉ.सुनील
नेत्र रोग विशेषज्ञ और जदयू नेता ड़ॉ. सुनील कुमार सिंह ने राज्य के आम बजट का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में पेश होने वाला यह बजट कई मायने में बेहद खास है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम किया‚ कोविड–१९ को पराजित करने की पूरी कोशिश की‚ कोरोना महामारी के दौरान बिहार सरकार ने कई महत्वपूर्ण कार्य किए। सिंह ने कहा कि बजट सर्वांगींण विकास का बजट है। ‘अवसर बढे आगे पढें’ निश्चय के तहत २३ चयनित जिलों में १२ में जीएनएम संस्था खुल गए हैं और बाकी में काम जारी है। तीन नए मेडिकल कॉलेज के निर्माण की प्रक्रिया जारी है। २८ जिलों में पारा मेडिकल कलेज खोले जाने थे‚ जिसमें १२ खुल चुके हैं। १०वीं–१२वीं पास युवकों के लिए दीर्घकालीन ट्रेनिंग की व्यवस्था होगी।
सभी वगो का रखा गया है ख्याल ड़ॉ. मधुरेंदु
पटना। जदयू चिकित्सा सेवा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. मधुरेंदु पाण्डेय ने बिहार सरकार की बजट को संतुलित एवं जनकल्याणकारी बताते हुए कहा कि बिहार सरकार ने अपने बजट में सभी वर्गों का ख्याल रखा है। जनता की मूलभूत सुविधाओं जैसे–शिक्षा‚ चिकित्सा‚ ग्रामीण विकास ‚समाज कल्याण, सडक , बिजली‚ पानी ‚कृषि आदि क्षेत्रों में विशेष रूप से ख्याल रखा गया है। उन्होंने कहा कि २ लाख १८ हजार ३०३ करोड रुपए की पेश की गई बजट से बिहार में विकास कार्य तेजी से होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सात निश्चय योजना की सफलता के बाद सात निश्चय पार्ट–२ की योजनाएं भी पूरी करने में यह बजट काफी मददगार साबित होगा।
बजट में अभियंताओं की अनदेखीः बेसा
बिहार अभियन्त्रण सेवा संघ (बेसा) ने बजट को अभियंताओ को निराश करने वाला बताया है। बजट में अभियंताओ के हितों की अनदेखी की गई है। सरकार ३६ प्रतिशत अभियंताबल से विकास कार्य पर १०० प्रतिशत राशि का खर्च कैसे कर पायेगी–इस पर सरकार अपना स्पष्ट दृष्टिकोण रखने में असफल रही है। संघ के महासचिव डॉ. सुनील कुमार चौधरी ने कहा है कि राज्य में सहायक अभियंता से लेकर अभियंता प्रमुख तक औसतन ६४ प्रतिशत पद खाली है। कमरतोड महंगाई एवं बुनियादी सुविधाओं से वंचित कार्य बोझ तले दबे हुए भय के साये में जीने को मजबूर दमनकारी नीतियों के द्वारा प्रताडित अभियंताओ से विकास की नई गाथा लिख आत्मनिर्भर बिहार की बात करना काल्पनिक सोच साबित हो सकता है। बजट में विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने‚ अनुसंधान व विकास को बढावा देने और प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित करने पर कोई जोर नही दिया गया है। इन्फ्रास्टर के क्षेत्र में बढते निवेश के कारण अभियंताओ का राज्य के विकास में भूमिका पहले से भी ज्यादा बढती जा रही है । अतः अभियंताओ के मांगो की अनदेखी कर एवं उनके मान सम्मान की रक्षा किए बगैर राज्य के चहुमुखी विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। डॉ चौधरी ने कहा कि सरकार राज्य हित में इंजीनियरिंग कमीशन गठित करे। इससे इन्जीनियरों की क्षमता का बेहतर उपयोग हो सकेगा‚ अभियंत्रण सेवा जन के्द्रिरत बन सकेगा‚अभिनव तकनीक के प्रयोग को बल मिलेगा एवं राज्य के चहुमुखी विकास को रफ्तार मिल सकेगा। उन्होने कहा कि राज्य को अगर विकसित राज्यों की कतार में खडा करना है तो अभियंताओ को भयमुक्त वातावरण में कार्य करने के लिए सरकार अभियन्त्रण सुरक्षा बल का गठन कर अभियंताओ की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
बजट ड़पोरशंखीः आनंद माधव
बिहार सरकार द्वारा आज प्रस्तुत बजट को बिहार कांग्रेस मैनिफेस्टो कमिटी एवं रिसर्च विभाग के अध्यक्ष आनन्द माधव ने ड़पोरशंखी बताया। बजट में रोजगार की बात की गई पर कोई उसका रोड मैप या ब्लू प्रिंट नहीं दिया गया है। सरकार बीस लाख लोगों के रोजगार सृजन की बात कर रही है पर साढे चार लाख रिक्त पदों को भरने में अब तक सक्षम नहीं हुई। बजट में ना तो उद्योग की चर्चा है और ना ही बंद पडे चीनी मिल‚ जूट मिल को खुलवाने की बात है। शिक्षकों के प्रति इस सरकार की उदासीनता किसी से छिपी नहीं है। नये मेडिकल कलेज एवं अस्पताल खोलने की बात है परंतु पुराने अस्पतालों की दुर्दशा पर कोई टिप्पणी नहीं है। सात निश्चय पार्ट –वन अधिकांश कागज पर ही रहे अब सात निश्चय पार्ट–टू की बात की गई है। प्राथमिक शिक्षा में सुधार पर कोई बल नहीं है। पुलिस बल को चुस्त दुरुस्त करनें की कहीं कोई चर्चा नहीं है। मजदूरों के पलायन को रोकने हेतु कोई ठोस नीति की चर्चा इस बजट में नहीं है।
प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में बल मिलेगाः प्रो. तपन
कॉलेज ऑफ कॉमर्स‚ आर्ट्स एंड़ साइंस‚ पटना के प्राचार्य प्रो. तपन कुमार शांडि़ल्य ने बिहार सराकर के बजट पर कहा कि बिहार में शिक्षा के विकास के लिए बजट में कई प्रावधान किए गए हैं। राज्य में तीन नए मेडिकल कॉलेज‚ एक इंजीनियरिंग कॉलेज और पांच फामसी कॉलेज खोलने का प्रस्ताव है। कोरोना से प्रभावित बजट में चिकित्सा सेवा को कारगर बनाने के लिए एएनएम और जीएनएम संस्थान खोले जाएंगे। बिहार के हर जिले में मेधा स्कील सेंटर खोलने का प्रावधान किया गया है। जिसमें युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार देने की बात कही गई है। उच्च शिक्षा में महिलाओं को वढावा देने की वकालत की गई है। अविवाहित लडकियों को इंटर में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने पर २५ हजार तथा स्नातक को ५० हजार रुपए की राशि देने की घोषणा की गई है। सात निश्चय प्रोग्राम पार्ट –१ को प्रभावी ढंग से लागू करने का संकल्प दोहराया है। जिससे प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में बल मिलेगा।