मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मानना है कि देश भर में बिजली की एक समान दर होनी चाहिये। मुख्यमंत्री ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की गवनिंर्ग काउंसिल की छठी बैठक में इस मसले पर अपने सुझाव दिये। १ अणे मार्ग स्थित नेक संवाद से वीडि़यो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के प्लांटों के माध्यम से जो अलग–अलग राज्यों में बिजली जाती है‚ उसका रेट भी अलग–अलग है। इसके लिए एक नीति बननी चाहिए यानि वन नेशन‚ वन रेट हो। उन्होंने कहा कि हमलोगों को बिजली काफी महंगी मिलती है‚ जिससे लोगों को राज्य सरकार की तरफ से ज्यादा अनुदान देना पड़ता है। पूरे देश के लिए एक नीति कर दी जायेगी‚ तो काफी अच्छा होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली के क्षेत्र में हमलोगों ने कई काम बिहार में शुरू किये। हर घर बिजली पहुंचाने की योजना बनाई और वो पहुंची और तब तक केंद्र सरकार की भी योजना बन गई‚ तो उनका भी सहयोग मिला। वर्ष २०१८ के अक्टूबर महीने में ही हर घर बिजली हमलोगों ने पहुंचा दी है। जब हमलोगों को वर्ष २००५ में काम करने का मौका मिला‚ उस समय यहां बिजली की खपत ७०० मेगावाट थी और जून २०२० के आकंड़ों के अनुसार कुल खपत ५‚९३२ मेगावाट तक पहुंच गयी है। राज्य सरकार लोगों को ५ हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा का अनुदान देती है। लोगों को कम कीमत पर बिजली मुहैया हो इसके लिए हमलोग कोशिश कर रहे हैं। प्री–पेड़ स्मार्ट मीटर लगाना हमलोगों ने शुरू कर दिया है। अब केंद्र सरकार भी इसे लागू कर रही है‚ इससे काफी फायदा होगा। प्री–पेड़ स्मार्ट मीटर के लागू होने से बिजली का दुरुपयोग नहीं होगा। लोगों को जितनी जरूरत होगी‚ उतनी ही बिजली का वे प्रयोग करेंगे। बिजली का दुरुपयोग होने से पर्यावरण पर भी संकट उत्पन्न होता है इसलिए प्रारंभ से ही हमलोगों ने प्री–पेड़ स्मार्ट मीटर की बात कही है।
उद्योगों को बढावा देने का प्रयास बहुत जरूरीः मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों को बढावा देने का प्रयास बहुत ही जरूरी है। हमलागों ने भी इसे लेकर अपनी पॉलिसी बनायी है‚ ताकि राज्य में उद्योग को बढ़ावा मिले। उद्योगों को बढ़ावा देने को लेकर १५ सालों से हमलोग प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि बिहार एक लैंड़लॉक्ड़ स्टेट है। इसके चलते कई प्रकार की दिक्कतें होती हैं। हमलोगों ने वर्ष २०११ से ही कहा है कि उड़ीसा में एक अलग बंदरगाह की सुविधा उपलब्ध करा दी जाये‚ तो बिहार से किसी चीज को भेजने में सहूलियत होगी। इस प्रस्ताव को हमने पिछले १० वर्षों में कई बार रखा है। इस पर ध्यान दिया जाए तो काफी अच्छा होगा।
बैंकों में जमा राज्य के पैसे उसे ही देने का प्रावधान होः मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार का क्रेडि़ट डि़पॉजिट रेशियो बहुत ही कम ३६.१ प्रतिशत है। यहां से डि़पॉजिट ३.७५ लाख करोड़ रुपये रहता है‚ लेकिन बैंकों से १.३५ लाख करोड़ रुपये का ही ऋण दिया जाता है। इसके बारे में हमलोग हमेशा कहते रहे हैं। देश भर में सीड़ी रेशियों का औसत ७६.५ प्रतिशत है‚ कुछ राज्यों का तो १०० प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि यह भी देख लिया जाये कि बिहार जैसे राज्यों का जो पैसा बैंकों में जमा होता है‚ वह विकसित राज्यों में चला जाता है। यहां का पैसा राज्य को ही देने का प्रावधान किया जाये। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पंचायत में बैंक की एक शाखा खोली जाय;‚ इसके लिए हमलोग पंचायत सरकार भवन की बिल्डि़ंग देने को तैयार हैं। अगर आप पूरे देश में उद्योग को बढ़ावा देना चाहते हैं‚ तो इन बुनियादी चीजों पर ध्यान देना होगा।