वित्तीय वर्ष 2019–20 में राज्य की आर्थिक विकास दर बढ़ने के साथ–साथ प्रति व्यक्ति आय के मामले में भी बिहार ने लंबी छलांग लगायी है। यह खुलासा बिहार विधानमंड़ल के बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को पेश की गयी आर्थिक सर्वेक्षण 2020–21 की रिपोर्ट में हुआ है। विधानमंड़ल में आर्थिक सर्वेक्षण २०२०–२१ की रिपोर्ट पेश करने के बाद उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने संवाददाताओं को बताया किराज्य में प्रति व्यक्ति आय ३१२८७ रुपये है। पटना में प्रति व्यक्ति आय १‚१२‚६०४ रुपये है। इसके बाद समृद्ध जिलों में बेगूसराय और मुंगेर है। बेगूसराय में प्रति व्यक्ति आय ४५५४०‚ जबकि मुंगेर में ३७‚३८५ रुपए है। इस मामले में किशनगंज (१९‚३१३ रुपए)‚ अररिया (१८‚९८१ रुपए) और शिवहर (१७‚५६९ रुपए) सबसे पीछे हैं। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष २०१९–२० में राज्य की आर्थिक विकास दर १०.०५ प्रतिशत रही‚ जबकि इसी अवधि में राष्ट्रीय विकास दर ४.२ प्रतिशत थी। सरकार के प्रयास के कारण बिहार की विकास दर राष्ट्रीय औसत से भी अधिक रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान मूल्य पर वित्तीय वर्ष २०१९–२० में बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद छह लाख ११ हजार ८०४ रुपये था‚ जबकि प्रति व्यक्ति राज्य सकल घरेलू उत्पाद ५० हजार ७३५ रुपये था। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष २०१८–१९ में सरकार ने सकल राज्य घरेलू उत्पाद का ३.६ प्रतिशत ऋण लिया था जबकि वित्तीय वर्ष २०१९–२० में यह ४.८ प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत वित्तीय वर्ष २०१२–१३ में १४५ यूनिट थी‚ जो वित्तीय वर्ष २०१९–२० में बढकर ३३२ यूनिट हो गयी। इस प्रकार सात वर्ष में १२९ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी। श्री प्रसाद ने कहा कि इसी प्रकार ऊर्जा उत्पादन क्षमता में २७.४ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। उन्होंने कहा कि पन बिजली योजना में ५०.०६ प्रतिशत‚ जबकि कोयले पर आधारित उर्जा उत्पादित क्षमता में २१.०७ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सरकार के प्रयास से और बैंकों के सहयोग के बावजूद अब भी साख–जमा अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है। इसे बढाने के लिए बैंकों को अधिक से अधिक ऋण उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। रिपोर्ट के अनुसार प्रति व्यक्ति सकल जिला घरेलू उत्पाद के लिहाज से सभी ३८ जिलों की रैंकिंग बताई गयी है। पटना में प्रति व्यक्ति सकल जिला घरेलू उत्पाद सबसे ज्यादा है। पेट्रोल की खपत के मामले में सबसे आगे पटना‚ मुजफ्फरपुर और वैशाली जिले हैं। वही लखीसराय‚ बांका और शिवहर में पेट्रोल की खपत सबसे कम है। एलपीजी की खपत के मामले में मुजफ्फरपुर‚ पटना और बेगूसराय अव्वल हैं‚ जबकि बांका‚ अररिया और किशनगंज में एलपीजी की खपत सबसे कम है। लघु बचत के मामले में पटना‚ सारण और नालंदा सबसे आगे हैं‚ तो पश्चिम चंपारण‚ अररिया और किशनगंज सबसे पीछे। उपमुख्यमंत्री ने स्कूलों में हुए ड्रॉपआउट की चर्चा करते हुए कहा कि यह काफी बढा है। इसलिए इसे ठीक करना चुनौती है। सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि इसमें २०१९–२० के आंकडे हैं। कई जगहों पर सितम्बर २०२० तक के आंकडे लिए गए हैं। जो भी तुलना की गयी है‚ वह २०१९ और २०२० के बीचकी है। अगली बार कोरोना से जुडे आंकडे लिये जायेंगे। बिहार का कृषि क्षेत्र कोरोना की वजह से बहुत अधिक प्रभावित नहीं हुआ है। बाकी सर्विस सेक्टर जैसे–होटल‚ टूरिज्म पर कोरोना का काफी असर पडा है। वित्त विभाग के प्रधान सचिव एस. सिद्धार्थ ने कहा कि वित्तीय वर्ष २०१९–२० में राज्य की आर्थिक गतिविधि में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और यह आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट से स्पष्ट होता है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष २०२०–२१ के लिए आंकड़ों का संगहण और विश्लेषण करते समय विशेष ध्यान रखे जाने की जरूरत है।
प्रति व्यक्ति आमदनी में पटना शीर्ष तो शिवहर सबसे निचले पायदान पर
प्रति व्यक्ति आय के मामले में राज्य में पटना शीर्ष पर है, जबकि शिवहर सबसे निचले पायदान पर है। पटना और शिवहर में प्रति व्यक्ति सकल जिला घरेलू उत्पाद में छह गुना का अंतर है। पटना के बाद दूसरे नंबर पर बेगूसराय और तीसरे पर मुंगेर है। 15वीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में इस बार वर्ष 2011-12 के मूल्य पर जिलावार प्रति व्यक्ति सकल जिला घरेलू उत्पाद के वर्ष 2017-18 तक के आंकड़े दिए गए हैं।
वर्ष 2013-14 में पटना की प्रति व्यक्ति आय 91407 रुपए थी तो शिवहर की 15609 रुपए। प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से पटना, बेगूसराय और मुंगेर सर्वाधिक उन्नतिशील जिले हैं। हालांकि पटना और मुंगेर की प्रति व्यक्ति आय में भी करीब तीन गुना का अंतर है। पटना में वर्ष 2017-18 में प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा 1,12,604 रुपए, बेगूसराय में 45540 और मुंगेर में 37385 रुपए था। वहीं सबसे निचले पायदान पर स्थित शिवहर में प्रति व्यक्त आय 17569 रुपए है।
इस बार रिपोर्ट में 13 अध्याय
बतौर वित्तमंत्री पहली आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट सदन में रखने वाले उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बताया कि इस बार रिपोर्ट में 13 अध्याय हैं। खास बात यह है कि हर अध्याय के अंत में कोरोना काल में महामारी के असर और उसके प्रभाव को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के प्रभाव का उल्लेख किया गया है। कहा कि वर्ष 2019-20 में वर्तमान मूल्य पर बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) 6,11,804 करोड़ और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 4.14.977 करोड़ रुपए रहा। वर्ष 2018-19 में वर्तमान मूल्य पर आर्थिक विकास दर 15.1 प्रतिशत दर्ज की गई थी जो 2019-20 में बढ़कर 15.4 फीसदी हो गई। इसका असर प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद पर भी पड़ा है।
इन क्षेत्रों की वृद्धि दरें (प्रतिशत में)
वायु परिहन क्षेत्र | 35.6 |
पथ परिवहन क्षेत्र | 20.1 |
परिवहन समकक्ष सेवाओं | 19.7 |
परिवहन-भंडारण-संचार व 5 प्रसारण सेवाओं | 16.2 |
लोक प्रशासन | 15.8 |
अन्य सेवाओं | 13 |
खनन एवं उत्खनन | 297.7 |
पशुधन | 13.1 |
विद्युत, गैस, जलापूर्ति, व अन्य जनोपयोगी सेवाओं | 20.8 |
निर्माण सेक्टर | 13.2 |
तय सीमा के अंदर रहा राजकोषीय घाटा
बिहार में राजकोषीय घाटा निर्धारित सीमा के अंदर ही रहा। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2019-20 में बिहार में राजकीय वित्त व्यवस्था के प्रबंधन में बिहार राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2006 के संकल्पों का पालन किया गया। इस वर्ष राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद का दो फीसदी रहा। इसे तीन फीसदी से कम होना जरूरी है।
अगले सर्वेक्षण में दिखेगा कोरोना का असर
बिहार की अर्थव्यवस्था पर कोरोना का असर अगले साल होने वाले आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में दिखेगा। 15वें आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020-21 में बिहार की अर्थव्यवस्था के विकास के मौजूदा रुझानों में अंतर आना निश्चित है।