टूलकिट मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस के मुताबिक इसे बनाने के लिए जूम मीटिंग की गई थी. इस मीटिंग में करीब 70 लोग शामिल थे. इनमें से अधिकतर लोगों ने अपनी पहचान छिपा रखी थी यानी कि बिना नाम बताए वे इस मीटिंग को अटैंड कर रहे थे.
मो धालीवाल और अनीता लाल की हुई पहचान
पुलिस के मुताबिक इस मामले में पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के संस्थापक मो धालीवाल और सह-संस्थापक अनीता लाल की पहचान हो गई है. वहीं निकिता जैकब , शांतनु और दिशा रवि की पहचान पहले ही कर ली गई थी. बाकी आरोपियों की पहचान की कोशिश की जा रही है. इसके लिए शांतनु और निकिता की गिरफ्तारी की जरूरत है.
गूगल ने अब तक नहीं दी जानकारी
पुलिस के मुताबिक किसान हिंसा में टूलकिट तैयार करने और शेयर करने वाले सभी लोगों के बारे में गूगल से जानकारी मांगी गई थी. लेकिन उसने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की साइबर यूनिट को अब तक गूगल के जवाब का इंतजार है. पुलिस के अनुसार आरोपियों ने टूलकिट को गूगल doc पर शेयर किया था.
हम किसान आंदोलन के साथ- हरीश रावत
उधर टूलकिट मामले में आरोपी दिशा रवि की गिरफ्तारी पर विपक्षी नेताओं ने आलोचना की है. कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि इस मामले को हवा देकर सरकार अपने कुकर्मों को छिपा रही है. मैं समझता हूं कि विवेकशील लोग इसका विरोध करेंगे. उन्होंने कहा कि हम किसान आंदोलन के साथ हैं और उनके पीछे खड़े रहेंगे.
दिशा रवि के केस में दम नहीं- उदित राज
कांग्रेस के दूसरे नेता उदित राज ने कहा कि इस सरकार में जज और न्यायपालिका सभी समझौता कर चुके हैं. इसीलिए बिना किसी विवाद के दिशा रवि को जेल भेज दिया गया. उन्होंने कहा,’दिशा रवि के केस में कोई दम नहीं है कि उसे जेल भेजा जाए. अगर हम मान भी लें, कि उस मीटिंग में खालिस्तानी था, तो क्या हो गया. लिंक से कोई भी जुड़ सकता है, बातों से क्या कुछ भी कर सकता है.’
फर्जी ट्वीट करते हैं पीएम मोदी- उदित राज
उदित राज ने कहा,’जांच करना अलग बात है लेकिन प्राकृतिक न्याय होना चाहिए. कोरेगांव केस में फर्जी आरोपों में लोग जेलों में सड़ रहे हैं. यदि कोई देश तोड़ने का काम कर रहा है वो बीजेपी का IT सेल कर रहा है. पीएम के ट्वीट 60-65 प्रतिशत फर्जी हैं. अमित मालवीय को ही देखिए. वह कितने फर्जी ट्वीट करता है.’
लाल किले जैसी घटना की निंदा- के सी त्यागी
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा,’हम लाल किले जैसी हर घटना की निंदा करते हैं. कोई भी अलगाववादी संगठन का तालमेल किसान आंदोलन को कमजोर करता है, उनको ऐसे ग्रुप से दूर रहना चाहिए. प्रोटेस्ट करना, असहमत होना चाहिए. इस पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं होना चाहिए.’