गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली और लाल किले में हिंसा फैलाने का दायरा हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। नये कृषि कानूनों के विरुद्ध आंदोलनरत किसानों को साजिश के तहत भड़़काने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि या कहें देश के खिलाफ माहौल बनाने के लिए टूलकिट बनाने में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने पहली गिरफ्तारी की है। बेंगलुरू से टूलकिट बनाने वाली पर्यावरण कार्यकर्ता २१ साल की दिशा रवि की गिरफ्तारी निश्चित तौर पर साजिश की परतें खोलेंगी। पुलिस को फिलहाल अभी दो और लोगों की तलाश है। साथ ही दिशा के मोबाइल और लैपटॉप से कई अहम जानकारियां भी वापस लेनी‚ जो गायब हैं। इसके बाद पूरा मसला ज्यादा साफ तरीके से सामने आएगा। हां‚ साजिश के आरोपों की आंशिक पुष्टि दिशा की स्वीकारोक्ति से हो गई है कि उसने टूलकिट में संपादन किया था। यह तो जगजाहिर है कि २६ जनवरी के दिन दिल्ली में जो भारी हिंसा भड़़की‚ वह बड़़ी साजिश की ओर इशारा करती है। शुरुआती जांच में यही पता लग पाया था कि इस पूरी वारदात के पीछे खालिस्तान समर्थकों की बड़़ी भूमिका है। ४ फरवरी को इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी और ११ दिन बाद दिशा की गिरफ्तारी से जांच का सिरा कई और साजिशकर्ताओं की तरफ चला गया है। दरअसल‚ जिस वक्त अमेरिका की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने टूलकिट शेयर किया था‚ तब दिशा ने ही ग्रेटा को चेताया था कि टूलकिट पब्लिक ड़ोमेन में चला गया है। बाद में ग्रेटा ने इसे डि़लीट कर दिया था। लाजिमी है कि गलत होने पर ही इसे ट्वीट किया गया था। दूसरी अहम बात यह भी कि अगर किसी तरह का षड़यंत्र नहीं किया गया तो लिखी चीजें क्यों डि़लीट की गईॽ यानी माहौल बिगाड़़ने के लिए ही टूलकिट बनाया गया था। जो जांच अभी तक की गई है उसमें सबसे चिंता की बात यह है कि इस टूलकिट को बनाने में खालिस्तानी समर्थक संगठन पोएटिक जस्टिस फाउडे़शन की अहम भूमिका है। साफ है कि देश विरोधी तत्व एकजुट होकर किसान आंदोलन की आड़़ में साजिश रच रहीं हैं। इसके बावजूद पुलिस को बेहद ईमानदारी के साथ मामले की जांच करनी होगी। चूंकि विपक्ष की गोलबंदी भी दिशा की गिरफ्तारी को लेकर तेज हो चली है तो यह जांच एजेंसी का दायित्व है कि वह साफ–सुथरे ढंग से हर किसी की आपत्ति या सवालों का जवाब दे। अगर वाकई में देश को अस्थिर करने का षड़यंत्र रचा जा रहा है तो इन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कहा कि जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि ने दो अन्य संदिग्धों निकिता जैकब और शांतनु के साथ मिलकर किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित ‘‘टूलकिट’’ बनायी और सोशल मीडिया पर साझा किया।
पुलिस ने दावा किया कि बेंगलुरु से शनिवार को गिरफ्तार की गई दिशा ने टेलीग्राम ऐप के माध्यम से जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को ‘‘टूलकिट’’ भेजी थी।
पुलिस ने बताया कि डाटा भी हटा दिया गया था। दिशा के टेलीग्राम खाते से पता चलता है कि ‘‘टूलकिट’’ से संबंधित कई लिंक हटाए गए थे। ‘टूलकिट’ में ट्विटर के जरिये किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशानिर्देश और सामग्री होती है।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि कथित तौर पर ‘‘टूलकिट’’ का निर्माण करने के लिए निकिता और शांतनु के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किये गये है।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (साइबर) प्रेम नाथ ने संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि दिशा ने ‘‘टूलकिट’’ फैलाने के लिए बनाए गए एक व्हाट्सएप समूह को हटा दिया था।
इससे पहले दिल्ली पुलिस ने कहा कि सोशल मीडिया पर ‘‘टूलकिट’’ कथित तौर पर साझा करने के लिए जैकब और शांतनु के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘टूलकिट का उद्देश्य भारत की छवि को धूमिल करना था।’’
नाथ ने दावा किया कि निकिता और शांतनु ने ‘खालिस्तान समर्थक समूह’ पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (पीएफजे) द्वारा ऑनलाइन जूम ऐप के माध्यम से आयोजित एक बैठक में भाग लिया और कहा कि जैकब भी ‘‘टूलकिट’’ दस्तावेज बनाने वालों में से एक था।
उन्होंने कहा, ‘‘दिशा, शांतनु और निकिता ने टूलकिट का निर्माण और संपादन किया। दिशा ने टेलीग्राम ऐप के जरिए ग्रेटा थनबर्ग को टूलकिट भेजी। दिशा ने उस व्हाट्सएप समूह को हटा दिया जो उसने टूलकिट को प्रचारित करने के लिए बनाया था। दिशा की गिरफ्तारी के दौरान विधिवत प्रक्रिया का पालन किया गया है।’’
यहां की एक अदालत ने रविवार को दिशा को पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। उन पर आपराधिक साजिश, राजद्रोह और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
नाथ ने कहा कि खालिस्तानी समर्थक समूह पीएफजे के संस्थापक मो धालीवाल ने कनाडा की एक महिला पुनीत के माध्यम से उनसे संपर्क किया था।
मालूम हो कि केन्द्र के नए कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान 26 जनवरी को पुलिस के साथ हिंसक झड़प हो गई थी। गणतंत्र दिवस पर हुई इस झड़प में 500 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी।
नाथ ने कहा, ‘‘निकिता, शांतनु, दिशा और अन्य लोगों ने टूलकिट का मसौदा बनाने में सहयोग किया। निकिता और उसके डिवाइस से मिली जानकारी के आधार पर, कई टीमों को महाराष्ट्र के बीड जिले और बेंगलुरु भेजा गया। शांतनु बीड में अपने घर पर नहीं मिला और हम उसकी तलाश कर रहे हैं।’’
पुलिस ने कहा कि दिशा, शांतनु और निकिता ने ‘‘टूलकिट’’ बनाया और संपादित किया। उन्होंने कहा कि दिशा रवि को बेंगलुरु में उसकी मां की उपस्थिति में गिरफ्तार किया गया। दिशा की गिरफ्तारी के समय सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया।
पुलिस ने बताया कि 11 फरवरी को निकिता के घर की तलाशी के दौरान, दो लैपटॉप और एक आईफोन मिला था, जिसमें कई ‘‘गुप्त दस्तावेज’’ भी थे। नाथ ने कहा कि निकिता अभी भी फरार है।
पुलिस ने कहा कि वे ‘‘टूलकिट’’ मामले के संबंध में पीटर फ्रेडरिक नामक एक व्यक्ति की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं। फ्रेडरिक 2006 के अंत से भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों की रडार पर है, जब उन्हें भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी की कंपनी में देखा गया था।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘उसका (पीटर्स का) नाम दस्तावेज़ में क्यों है। क्या उन्होंने उसे मो.धालीवाल के माध्यम से फ्रेडरिक से संपर्क किया या सीधे उनसे संपर्क किया, यह जांच का विषय है।’’