बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने दिल्ली दौरे के दौरान राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटों पर तंज कसा। नीतीश कुमार ने नाम लिए बगैर इशारों में कहा कि उन्हें क, ख, ग, घ नहीं आता। इसपर भड़के लालू के दोनों बेटे भी कहां चुप रहने वाले थे। नीतीश के बयान पर भड़के लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने घोटालों से जोड़ कर क, ख, ग, घ का मतलब समझाया तो छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने कोरोना घोटाला का आरोप लगाया।
तेज प्रताप ने अपने अंदाज में समझाया ‘क, ख, ग, घ’ का मतलब
तेज प्रताप यादव ने अपने अंदाज में नीतीश कुमार को ‘क, ख, ग, घ’ का मतलब समझाया। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि ‘क’ से किसान क्रेडिट कार्ड घोटाला, ‘ख’ से खाद सब्सिडी घोटाला, ‘ग’ से ग्रामीण बैंक घोटाला और ‘घ’ से घोटालों के सरदार होता है। मुख्यमंत्री को निशाने लेते हुए कहा कि उन्होंने 15 वर्ष के अपने शासनकाल में जितने घोटाले किए हैं, उतने तो हिंदी वर्णमाला में वर्ण भी नहीं हैं।
अपनी चलती तो लाशें बेचकर भी कमाई कर लेती नीतीश सरकार
तेजस्वी यादव ने भी नीतीश कुमार को निशाने पर लिया। अपने ट्वीट में उन्होंने बिहार में कोरोना घाेटाला का आरोप लगाया। लिखा कि उन्होंने पहले ही इसकी भविष्यवाणी की थी। जब घोटाले का आंकड़ा सार्वजनिक किया था तो मुख्यमंत्री ने हमेशा की तरह नकार दिया। तेजस्वी ने आगे लिखा कि नीतीश कुमार के अधिकारियों ने एंटीजन का वो अमृत मंथन किया कि सात दिनों में प्रतिदिन जांच का आंकड़ा 10 हजार से एक लाख और 25 दिनों में दो लाख पार करा दिया।
अपने एक अन्य ट्वीट में तेजस्वी ने लिखा कि जब हमने आंकड़े पर सवाल उठाए तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने आंकड़ों से खेल करने से इनकार करने वाले तीन स्वास्थ्य सचिवों का तबादला कर दिया। फिर, पैसे बनाने के लिए अपने विश्वसापात्र ‘बाबूओं’ के माध्यम से कोरोना जांच के आंकड़ों में खेल कराया।
बिहार की आत्माविहीन भ्रष्ट @NitishKumar सरकार के बस में होता तो कोरोना काल में गरीबों की लाशें बेच बेचकर भी कमाई कर लेती! इंडियन एक्सप्रेस की जाँच में यह साफ हो गया है कि सरकारी दावों के उलट कोरोना टेस्ट हुए ही नहीं और मनगढ़ंत टेस्टिंग दिखा अरबों का हेर-फेर कर दिया! pic.twitter.com/GYyv67YlrG
तेजस्वी ने कहा कि बिहार की आत्माविहीन भ्रष्ट नीतीश सरकार की चली होती तो वह कोरोना काल में गरीबों की लाशें बेचकर भी कमाई करती। सरकार ने कोरोना जांच के फर्जी आंकड़े दिखा कर अरबों रुपयों की हेराफेरी की। फर्जी जांच दिखाकर नेताओं और अधिकारियों ने अरबों रुपयों की बंदरबांट कर ली है। सच्चाई से अवगत कराने के बावजूद मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री दावे करते रहे कि आंकड़े सही हैं।