बिहार में कोरोना जांच के दौरान गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जमुई के सिविल सर्जन डॉ. विजयेंद्र विद्यार्थी सहित चार पदाधिकारियों को निलंबित कर दिया है। वहीं, आधा दर्जन से अधिक अन्य कर्मियों को बर्खास्त किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने जमुई में जांच में अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद सभी जिलों के जिलाधिकारी को कोरोना जांच संबंधी कार्रवाई की जांच कराने का निर्देश दिया है।
विभाग ने इस संबंध में किसी प्रकार की शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इस मामले की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक-एक चीज की जांच करने का निर्देश विभाग के प्रधान सचिव को दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर कोई भी गड़बड़ी हुई होगी तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री दिल्ली से लौटने के बाद पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। कहा कि प्रधान सचिव ने उन्हें बताया है कि 22 जिलों की जांच पूरी कर ली गई है। एक जगह पर इस तरह का मामला प्रकाश में आया है, जिस पर तत्काल कार्रवाई हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर ऐसी बात है कि किसी की जांच नहीं की और लिख दिया कि जांच हुई तो यह गलत बात होगी। ऐसे लोगों पर कार्रवाई होगी। अब हम पटना आ गए हैं इस पर और विस्तृत जानकारी लेंगे। यह भी कहा कि शुरू से ही कोरोना संक्रमण की प्रतिदिन रिपोर्ट उनके पास आती है। कितनी जांच हुई, कहां क्या स्थिति है, सब मेरे पास आता है। केंद्र सरकार को भी जांच रिपोर्ट भेजी गई है।
जमुई डीएम की अनुशंसा पर कार्रवाई
स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना जांच में लापरवाही एवं अनियमितता बरते जाने की रिपोर्ट और कोविड टेस्टिंग डाटा की जांच के क्रम में अपने दायित्वों के निर्वाह में घोर लापरवाही बरते जाने पर यह कार्रवाई की। इस संबंध में जिलाधिकारी, जमुई द्वारा कार्रवाई की अनुशंसा किए जाने के तुरंत बाद जिला सिविल सर्जन सहित अन्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी। जिला सिविल सर्जन सहित सभी निलंबित पदाधिकारियों को स्वास्थ्य विभाग में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है।
मनोज झा ने राज्यसभा में उठाया सवाल
शुक्रवार को राज्यसभा में बिहार में कोरोना जांच में गड़बड़ी संबंधी मामला राजद सांसद मनोज झा ने उठाया था। इस पर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पूरे मामले की जांच कराने का निर्देश दिया। जमुई में कोरोना जांच में गड़बड़ी की सूचना मीडिया रिपोर्ट में सामने आयी थी।
इन तीन को भी किया गया निलम्बित
जिन पदाधिकारियों को निलम्बित किया गया है, उनमें जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, जमुई डॉ. विमल कुमार चौधरी, सिकंदरा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शाजीद हुसैन एवं बरहट स्थित प्राथमिक चिकित्सा केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. नंद कुमार मंडल भी शामिल हैं।
आधा दर्जन कर्मियों को बर्खास्त किया गया
स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए जमुई में कोरोना जांच से जुड़े आधा दर्जन से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों को बर्खास्त करने का निर्देश दिया। इनमें जमुई के जिला प्रोग्राम मैनेजर, सिकंदरा एवं बरहट के दोनों प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों के हेल्थ मैनेजर, लैब टेक्नीशियन एवं एएनएम शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग ने जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष सह जिलाधिकारी को इन कर्मियों की पहचान कर बर्खास्त करने का निर्देश दिया है।
डॉ. विनय कुमार शर्मा बनें जमुई के नए सिविल सर्जन
विभाग ने आननफानन में मुजफ्फरपुर के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विनय कुमार शर्मा को जमुई के सिविल सर्जन के रुप में तैनात करने का निर्देश दिया। वहीं, मुंगेर के तारापुर स्थित अनुमंडलीय अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. खुशतर अजमी को सिकंदरा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और भागलपुर सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार यादव को बरहट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी नियुक्त किया गया है।
मामले की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से हमने पूछा है। पूरी गंभीरता से जांच करने का निर्देश दिया है। अगर किसी भी स्तर से कोई गड़बड़ी किया है तो उसे छोड़ेंगे नहीं। कार्रवाई करेंगे। मुझे प्रधान सचिव ने बताया है कि 22 जिलों में जांच हो गई है। इनमें एक जगह पर कोई मामला देख गया है, जिसपर कार्रवाई भी हुई है। पूरी विस्तृत जांच होगी। – नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री
क्या है घोटाला ……….
कोरोना जांच से वैक्सीनेशन तक बिहार सुर्खियों में रहा है। इस बार 0000000000 वाले मोबाइल नंबर का मामला संसद में पहुंचा तो जमुई के DM एक्शन ले रहे हैं। शुक्रवार की शाम जमुई के सिविल सर्जन सहित 4 को सस्पेंड कर दिया गया है। वैसे राजधानी पटना से मुंगेर तक – हर जगह जांच के दौरान ऐसी खबरें आती रही थीं। कभी बिना जांचे ही रिपोर्ट देने की, कभी दूसरे की रिपोर्ट भेजने की, कभी आज पॉजिटिव को कल निगेटिव बताने की…। 10 डिजिट तक शून्य मोबाइल नंबर वाले मामले के बहाने भास्कर रिकॉल करा रहा है, हर गड़बड़ी को जो कोरोना के बहाने बिहार में सामने आई।
फर्जीवाड़े में जमुई के सिविल सर्जन सहित 4 सस्पेंड
कोरोना जांच के फर्जीवाड़े में शुक्रवार की शाम जमुई के सिविल सर्जन सहित 4 को सस्पेंड कर दिया गया है। मामला उजागर होने के बाद DM ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की थी। जांच में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ और शुक्रवार को दोपहर DM ने रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को भेज दिया था। प्रधान सचिव ने देर शाम इस गंभीर मामले में कार्रवाई कर दी है। प्रधान सचिव के आदेश पर जमुई के सिविल सर्जन डॉ विजेंद्र सत्यार्थी और प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ बिमल कुमार के साथ बरहट PHC के प्रभारी डॉ ए के मंडल, सिकंदरा PHC के प्रभारी डॉ साजिद हुसेन को सस्पेंड किया गया है। DM अवनीश कुमार ने इसकी पुष्टि की है।
22 स्टूडेंट्स की रिपोर्ट 24 घंटे में निगेटिव
मुंगेर में भी कम चौंकाने वाला मामला नहीं आया था। 8 जनवरी को मुंगेर के एक ही स्कूल के 22 छात्र कोरोना पॉजिटिव हुए तो हड़कंप मच गया। स्कूल खुलते ही कोरोना के संक्रमण का यह बड़ा मामला था। लेकिन इससे भी बड़ा मामला 24 घंटे बाद आया, जब सभी बच्चों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव से निगेटिव हो गई।
IGIMS में पॉजिटिव, RMRI में निगेटिव
कोरोना जब चरम पर था तब भी बिहार में ऐसे चौंकाने वाले मामले सामने आए थे। IGIMS में सीवान के 11 लोगों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई, जिसके बाद उन्हें NMCH में भर्ती किया गया। चौंकाने वाला मामला तो यह रहा कि NMCH ने जब जांच के लिए सभी का नमूना RMRI भेजा तो 11 के 11 निगेटिव पाए गए। इस मामले के बाद जांच पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया। दोनों संस्थान आपस में सफाई देने लगे थे। इसमें IGIMS का तर्क था कि कोरोना का अंतिम समय रहा होगा जब पहली जांच हुई, दूसरी जांच में दूसरे ही दिन वायरस डिएक्टिव हो गए। हालांकि मामला सवालों में ही रहा।
2 दिन में रिपोर्ट नहीं आई तो आप निगेटिव
पटना के रहने वाले अमित को जुलाई में कोरोना का लक्षण दिखा। वह जागरुक इंसान की तरह तत्काल जांच कराने पहुंच गए। जांच के दौरान नमूना लेने वालों ने रिपोर्ट के सवाल पर बताया कि अगर दो दिन में आपके मोबाइल पर मैसेज या फोन नहीं आता है तो आप निगेटिव हैं। अमित के पास दो से चार दिन में कोई फोन नहीं आया और ना ही कोई मैसेज। ऐसे में अमित खुद को निगेटिव मानकर अपनी दिनचर्या में जुट गए। उन्होंने संक्रमित की तरह खुद को आइसोलेट नहीं किया, ना ही कोई अन्य परहेज किया। अमित के पैर के नीचे से जमीन तब खिसक गई जब 10 दिन बाद उन्हें फोन कर बताया कि वह कोरोना पॉजिटिव हैं। वह समझ ही नहीं पा रहे थे कि क्या करें। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की इस बड़ी लापरवाही से अमित को काफी मानसिक तनाव झेलना पड़ा। परिवार और मिलने-जुलने वालों के लिए भी प्रशासन की इस गलती ने काफी संकट की स्थिति पैदा कर दी थी।
वैशाली के युवक की मौत, बाद में रिपोर्ट निगेटिव
वैशाली के राघोपुर निवासी युवक की 17 अप्रैल 2020 को पटना एम्स में मौत हो गई थी। मौत का कारण मल्टीपल ऑर्गन फेल होने की बात कही गई। 15 अप्रैल 2020 को उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इस घटना के बाद पटना में कई अस्पतालों को सील कर दिया गया था। 17 अप्रैल को फिर कोरोना जांच के लिए नमूना लिया गया था और दोपहर में उसकी मौत हो गई। इसके बाद सरकार ने कोरोना से प्रदेश में दूसरी मौत होने की बात कही थी। लेकिन जब रिपोर्ट आई तो चौंकाने वाली थी। वह निगेटिव पाया गया। ऐसे में सवाल रिपोर्ट पर खड़े होने लगे।
निगेटिव-पॉजिटिव का बड़ा खेल
एक राजनीतिक पार्टी के नेता के साथ भी ऐसा ही मामला पटना में आया था। सरकारी अस्पताल में जांच कराने गए तो वहां उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इससे वह काफी तनाव में रहे। 24 घंटे तक उनकी हालत खराब थी लेकिन जब एक निजी लैब में जांच कराया तो रिपोर्ट निगेटिव आ गई। जांच के लिए 24 घंटे के अंदर दोनों जगह नमूना दिया गया था, लेकिन दोनो रिपोर्ट भिन्न आई। इस मामले में उन्होंने प्रधान सचिव के साथ स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत भी की थी।
जांच भी नहीं कराया और रिपोर्ट आ गई पॉजिटिव
पटना में तो ऐसे चौंकाने वाले मामले भी आए हैं, जिसमें संबंधित व्यक्ति जांच के लिए गया ही नहीं और मोबाइल पर रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। सितंबर माह में पटना में यह मामला चर्चा में था। कोरोना का कोई लक्षण नहीं था और ना ही कहीं जांच कराने गए थे, इसके बाद भी जब मोबाइल पर पॉजिटिव होने का मैसेज आया तो वह दंग रह गए। बाद में सफाई देने में स्वास्थ्य विभाग ने कहा – किसी अन्य की जांच में मोबाइल नंबर का एक-दो डिजिट इधर-उधर होने से ऐसी गड़बड़ी हुई है। ऐसे और भी कई मामले आए हैं।
जांच की तरह वैक्सीनेशन में भी गड़बड़झाला
कोविड जांच की तरह वैक्सीनेशन में भी बड़ा गड़बड़झाला है। कई ऐसे लोगों को वैक्सीन दे दी गई है, जिनके पास कोई मैसेज ही नहीं आया है। ना तो पहले मैसेज आया और ना ही बाद में कोई मैसेज आया। प्रमाण पत्र नहीं होने से वह काफी परेशान हैं। इसमें पटना के आर्थो सर्जन डॉ. अमूल्य और गैस्ट्रो सर्जन डॉ. संजीव कुमार के साथ 45 लोगों का खुलासा दैनिक भास्कर पहले ही कर चुका है। ऐसे लोगों की संख्या अधिक है, जिन्हें टारगेट पूरा करने में टीका लगा दिया गया है लेकिन उन्हें कोई प्रमाण नहीं दिया गया है। वह कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं।