प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार सुबह 11 बजे चौरी चौरा कांड के शताब्दी वर्ष समारोह का नई दिल्ली से ऑनलाइन उद्घाटन करेंगे. चौरी चौरा कांड का देश की आजादी में अहम योगदान है. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी डाक टिकट और विशेष आवरण भी जारी करेंगे. कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी ऑनलाइन जुड़ेंगी. वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य समारोह स्थल चौरी चौरा पर मौजूद रहेंगे.
मुख्यमंत्री योगी की पहल पर सरकार चौरी चौरा के शहीदों और उनके परिजनों को सम्मान दे रही है. इस घटना को माध्यमिक शिक्षा विभाग यूपी बोर्ड के पाठयक्रम में भी शामिल करने जा रहा है. छात्रों को शहीदों के स्थल चौरी चौरा का भ्रमण भी कराया जाएगा. समारोह की शुरुआत गुरुवार सुबह 8.30 बजे प्रभात फेरी से होगी। 10 बजे पूरे प्रदेश में एक साथ, एक समय पर वंदे मातरम् गूंजेगा.
बता दें कि गोरखपुर के चौरी चौरा में 4 फरवरी 1922 में आजादी के वीर जवानों ने अंग्रेजी हुकूमत से भिड़ंत के बाद पुलिस चौकी में आग लगा दी थी. इस घटना में 11 सत्याग्रही शहीद हो गए थे, जबकि 22 पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी.
विश्व रिकॉर्ड बनाने की भी तैयारी
चौरी चौरा समारोह में वंदे मातरम् गायन का विश्व रिकॉर्ड बनाने की भी तैयारी है. इसका अभियान बुधवार से शुरू हो गया. इसके तहत वंदे मातरम् के पहले छंद के गायन का वीडियो अपलोड करना है. गुरुवार 12 बजे तक 50 हजार वीडियो अपलोड करने की तैयारी है. इसमें कार्यक्रम स्थल से एक वीडियो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अपलोड करेंगे.
क्या है चौरी चौरा कांड?
इतिहास बताता है कि चार फरवरी को स्थानीय लोग चौरी-चौरा कस्बे में, महात्मा गांधी के शुरू किए गए असहयोग आंदोलन के समर्थन में जुलूस निकाल रहे थे तभी स्थानीय पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई. पुलिस की गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. इससे प्रदर्शनकारियों का आक्रोश भड़क गया. तब पुलिस वाले थाने में छिप गए, लेकिन लोगों ने बाहर से कुंडी लगाकर थाने में आग लगा दी. इस घटना में 22 पुलिसकर्मी मारे गये. घटना की प्रतिक्रिया में, अहिंसा के पैरोकार महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया.
चौरी-चौरा काण्ड में 172 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी. बतौर वकील पंडित मदन मोहन मालवीय की पैरवी से इनमें से 151 लोग फांसी की सजा से बच गये. बाकी 19 लोगों को 2 से 11 जुलाई 1923 के दौरान फांसी दे दी गई. इस घटना में 14 लोगों को उम्र कैद और 10 लोगों को 8 साल सश्रम कारावास की सजा हुई. जिन लोगों को फांसी दी गई, उनकी याद में एक स्मारक बनाया गया.